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CG: आदेश – कोल माईंस के विस्तार पर लगा ब्रेक… SECL की उदासीनता और भू-विस्थापितों के आक्रोश से हो सकता था बवाल, कलेक्टर ने सख्त कदम उठाते हुए जनसुनवाई की स्थगित

कोरबा 23 मार्च 2022 । औद्योगिक नगरी कोरबा में SECL प्रबंधन की मनमानी और भू-विस्थापितों के मुददे पर उदासीनता ने दीपका परियोजना के विस्तार पर ब्रेक लगा दिया हैं। 40 मिलियन टन कोयला उत्पादन के लिए 23 मार्च को होने वाली पर्यावरणीय जनसुनवाई को कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है।

गौरतलब है कि कोयला उत्पादन के क्षेत्र में कीर्तिमान हासिल करने वाली SECL की मेगा कोल प्रोजेक्ट कोरबा में ही संचालित है। ग्रामीण और किसानों की जमीन अधिग्रहित कर SECL की कोयला खदाने विस्तार की ओर आगे जरूर बढ़ी रही है, लेकिन खदानों के विस्तार से प्रभावित होने वाले भूविस्थापित ग्रामीणों के सरोकार को लेकर SECL प्रबंधन लगातार उदासीन बना हुआ है। यहीं वहज है कि SECL की मेगा प्रोजेक्ट में शामिल कुसमुंडा,दीपका और गेवरा परियोजना में आये दिन भूविस्थापित अपनी मांगो को लेकर आंदोलन करने के साथ ही कोयला उत्पादन बाधिक कर रहे है।

ऐसे में SECL प्रबंधन आज 23 मार्च को दीपका परियोजना के 40 मिलियन टन कोयला उत्पादन के विस्तार के लिए पर्यावरणीय जनसुनवाई कराने के प्रयास में ऐड़ी चोटी लगाये हुए थे, लेकिन कोरबा एसपी कार्यायल से 20 मार्च को जारी पत्र में एसईसीएल दीपका-कुसमुंडा और हरदीबाजार क्षेत्र के भूविस्थापितों में SECL प्रबंधन के खिलाफ गहरा आक्रोश होने की बात कही है। साथ ही ये भी हवाला दिया गया कि 14 मार्च 2022 को पुर्नवास, रोजगार सहित अन्य मांगो को लेकर कुसमुंडा खदान बंद कराने 5 हजार से अधिक की संख्या में भूविस्थापित और ग्रामीण पहुंचे थे। जिसमें त्रिपक्षीय वार्ता के बाद उनकी मांगो को समय पर पूरा करने का आश्वासन एसईसीएल प्रबंधन द्वारा दिया गया, जो कि आज तक पूरा नही हो सका है।

ऐसे में 23 मार्च की जनसुनवाई में नाराज भूविस्थापितों द्वारा व्यापक स्तर पर जनसुनवाई का विरोध किये जाने की संभावना के साथ ही कानून व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा पुलिस विभाग ने जताया था।। इस गंभीर मुददे पर कोरबा कलेक्टर रानू साहू ने भूविस्थापितों की समस्याओं और कानून व्यवस्था बनाये रखने को गंभीरता से लेते हुए SECL दीपका परियोजना के पर्यावरणीय जनसुनवाई को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। कलेक्टर रानू साहू के इस कड़े फैसले और जनसुनवाई के स्थगन आदेश से साफ समझा जा सकता है कि SECL प्रंबंधन अगर समय रहते अब भूविस्थापितों के ज्वलंत मुददे को लेकर गंभीर नही होता है, तो इसका सीधा प्रभाव कोयला उत्पादन के साथ ही खदानों के विस्तार पर पड़ना तय माना जा रहा है। ऐसे में कलेक्टर के इस फैसले के बाद एसईसीएल में हड़कंप मचा हुआ है।

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