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विधानसभा ब्रेकिंग : अनियमित कर्मचारी, संविदा व दैनिक वेतनभोगी के नियमितिकरण को लेकर सदन में हंगामा, विपक्ष की टोकाटोकी के बीच मुख्यमंत्री ने सदन में दिया जवाब…विपक्ष ने की नारेबाजी, सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित

रायपुर 27 जुलाई 2022। नियमित कर्मचारी, संविदा व दैनिक वेतनभोगी के नियमितिकरण को लेकर सदन में आज जोरदार चर्चा हुई। विद्यारतीन भसीन की जगह पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवाल पूछा। नियमितिकरण की कमेटी को लेकर पूछे गये सवाल क जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि साल 2019 में प्रमुख सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग की अध्यक्षता में में समिति बनायी थी। इस समिति में प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी, सचिव जीएडी , सचिव वित्त, सचिव पंचायत एंव ग्रामीण विकास विभाग, सचिव आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विभाग शामिल थे। मुख्यमंत्री ने बताया कि समिति ने विभागों में पदस्थ… अनियमित कर्मचारी, दैनिक वेतनभोगी और संविदाकर्मियों के बारे में जानकारी मांगी गयी है। नियमितिकरण के संदर्भ में जीएडी ने विधि एवं विधायी कार्य विभाग से भी अभिमत प्राप्त किया जा रहा है। नियमितिकरण के मुद्दे पर हंगामा इतना बढ़ा कि कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।

नियमितिकरण के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विधि एवं विधायी कार्य विभाग से भी अभिमत प्राप्त किया जा रहा है। विधि विभाग द्वारा इस संबंध में महाधिवक्ता का अभिमत चाहा गया है।

विद्यारतीन भसीन की जगह पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवाल पूछा। कौशिक ने सवाल पूछा कि प्रदेश में कितने संविदा और अनियमित कर्मचारी है क्या इसे लेकर जानकारी आ गयी है। जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि 2020 में बैठक हुई थी, जिसमें डाटा मंगाया गया है, कुछ विभागों से जानकारी आ गयी है, कुछ जगहों से जानकारी नहीं आयी है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2020 के बाद से अभी तक कोई जानकारी नहीं आयी है। जबकि आपके पास सामान्य प्रशासन विभाग है, आप अगर निर्देश देंगे तो आधे घंटे में में आपके पास जानकारी आ जायेगी। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि अगली बैठक कमेटी की कब होगी।

जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि विधि विभाग ने एजी के पास अभिमत नहीं आया है। अभिमत के लिए कब-कब भेजा गया है, इसकी जानकारी उपलब्ध करा दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमितिकरण की समय सीमा बताना संभव नहीं होगा, लेकिन वो जरूर कोशिश करेंगे कि इस मामले में जल्द से जल्द अभिमत आ जाये। मुख्यमंत्री जवाब देने के लिए खड़े हुए तो विपक्ष ने बीच-बीच में टोका-टोकी शुरू हो गयी ।

इस मामले में अजय चंद्राकर ने कहा कि जब महाधिवक्ता का अभिमत नहीं आया है, तो फिर इसी प्रश्नोत्तरी में 25 लोगों के नियमितिकरण का जो जवाब आया है। वो नियमितिकरण किस आधार पर किया गया और बाकी लोगों का नियमितिकरण क्यों नहीं किया गया। जवाब के बाद विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा किया। विधायक सौरभ सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस को पता था कि अनियमित कर्मचारियों का नियमितिकरण नहीं हो सकता था, बावजूद घोषणा पत्र में उसे शामिल किया गया।

मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि जिस तरह से सेना में चार साल का नियम लागू कर दिया गया, उसी तरह से अगर सभी विभागों में यही नियम लागू हो गया तो उसकी भी तैयारी करनी होगी। सौरव सिंह ने कहा कि अभिमत की बात कही जा रही है, लेकिन अभिमत नहीं ना आया है और ना आयेगा। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि अभिमत भी आयेगा और कार्यवाही भी होगी… आप चिंता ना करे।

शिवरतन शर्मा ने पूछा कि क्या ढाई साल में क्या इस मामले में कोई समीक्षा की गयी है, क्या कैबिनेट में इस पर चर्चा की गयी है और अगर हुई है तो इसकी जानकारी दें। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि …समिति का गठन 2019 में हुआ था। कमेटी की बैठक से पहले जीएडी ने अभिमत के लिए विधि को भेज दिया था। विपक्ष ने इस मामले में हंगामा शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री जवाब देने केलिए खड़े हुए तो विपक्ष ने बीच-बीच में टोका टोकी शुरू कर दी। इस मामले को लेकर सत्ता-विपक्ष में तीखी नोंकझोंक भी हुई। विपक्ष ने इसे लेकर सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

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