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ब्रेकिंग: जग्गी मर्डर केस में हाईकोर्ट ने खारिज की अपील, सभी 28 आरोपियों की उम्रकैद की सजा रहेगी बरकरार

बिलासपुर 4 अप्रैल 2024। जग्गी हत्याकांड से जुड़ी एक बड़ी खबर आ रही है। चीफ जस्टिस और जस्टिस डिवीजन बेंच ने फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने आरोपियों की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने आरोपियो की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट के आदेश के बाद सभी आरोपियों की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रहेगी।

दरअसल NCP नेता रामावतार जग्गी मर्डर केस के आरोपियों ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष अपील दायर की थी। जिस पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसला सुनाते हुए जग्गी मर्डर केस के 28 दोषियों की अपील को खारिज कर दी है। बेंच ने सभी की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। आपको बता दें कि डिवीजन बेंच ने बीती 29 फरवरी को रामावतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों की अपील पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर गुरुवार को आदेश जारी किया गया है।

आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में दो तत्कालीन सीएसपी और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह शामिल हैं। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे, जिनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे और अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा गई थी, जिसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में साल 2003 में एनसीपी के नेता रामअवतार जग्गी की हत्या कर दी गयी थी। ये उस वक्त की सबसे बड़ी राजनीतिक हत्या थी, जिसमें अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को भी आरोपी बनाया गया था। इस मामले में 27 आरोपियों को सजा सुनायी गयी थी। जिस पर हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील दायर की गयी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए सभी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। इस मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को उम्र कैद की सुनाई सुनाई हैं। इनमें याया ढेबर का नाम भी शामिल हैं। आपको बता दें कि रामअवतार जग्गी एनसीपी के नेता थे। उन्हें वह पूर्व दिवंगत केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी नेता थे। 2003 में उनकी हत्या मौदहापारा थाने के पास की गई थी।  हालांकि इस हत्याकांड में पूर्व दिवंगत सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को भी आरोपी बनाया गया था लेकिन उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया था।

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