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चेक बाउंस को लेकर क्या है बैंकों के नियम,2 साल तक हो सकती है जेल

फिल्ममेकर राजकुमार संतोषी को गुजरात के जामनगर कोर्ट ने दो साल जेल की सजा सुनाई है. इसके अलावा उन्हें 2 करोड़ रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. कोर्ट ने संतोषी के ऊपर ये सजा चेक बाउंस के एक मामले में लगाया है.

चेक बाउंस को लेकर क्या है बैंकों के नियम,2 साल तक हो सकती है जेल

क्या है मामला?

जामनगर के एक प्रमुख उद्योगपति और शिपिंग मैग्नेट अशोक लाल ने दावा किया है कि उन्होंने राजकुमार संतोषी की फिल्म में 1 करोड़ रुपये लगाया था, जिसके बदले में संतोषी ने 10 लाख रुपये के 10 चेक दिए मिले थे. ये सभी चेक बाद में बाउंस हो गए थे. आशोक ने आरोप लगाया कि उन्होंने फिल्ममेकर से इस बारे में बात करने की कोशिश की, लेकिन उनकी बात नहीं हो पाई. इसके बाद उन्होंने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया.

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कैसे बाउंस हो सकते हैं चेक?
अकाउंट में बैलेंस न होना या कम होना
सिग्‍नेचर मैच न होना
शब्‍द लिखने में गलती
अकाउंट नंबर में गलती
ओवर राइटिंग
चेक की समय सीमा समाप्‍त होना
चेक जारी करने वाले का अकाउंट बंद होना
जाली चेक का संदेह
चेक पर कंपनी की मुहर न होना आदि
चेक बाउंस होने पर कितना लगता है जुर्माना?

चेक बाउंस होने पर बैंक जुर्माना वसूलते हैं. जुर्माना उस व्‍‍यक्ति को देना पड़ता है जिसने चेक को जारी किया है. ये जुर्माना वजहों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. आमतौर पर 150 रुपए से लेकर 750 या 800 रुपए तक जुर्माना वसूला जाता है.

चेक बाउंस को लेकर क्या है बैंकों के नियम,2 साल तक हो सकती है जेल

2 साल तक हो सकती है जेल

चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के मुताबिक चेक बाउंस होने की स्थिति में व्‍यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है. उसे 2 साल तक की जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है. हालांकि ये उसी स्थिति में होता है जब चेक देने वाले के अकाउंट में पर्याप्‍त बैलेंस न हो और बैंक चेक को डिसऑनर कर दे.

चेक बाउंस होने के बाद क्या होता है?
ऐसा नहीं चेक डिसऑनर होते ही भुगतानकर्ता पर मुकदमा चला दिया जाता है. चेक के बाउंस होने पर बैंक की तरफ से पहले लेनदार को एक रसीद दी जाती है, जिसमें चेक बाउंस होने की वजह के बारे में बताया जाता है. इसके बाद लेनदार को 30 दिनों के अंदर देनदार को नोटिस भेजना होता है. अगर नोटिस के 15 दिनों के अंदर देनदार की तरफ से कोई जवाब न आए तो लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में नोटिस में 15 दिन गुजरने की तारीख से एक महीने के अंदर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

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अगर इसके बाद भी आपको रकम का भुगतान नहीं किया जाता है तो देनदार के खिलाफ केस किया जा सकता है. Negotiable Instrument Act 1881 की धारा 138 के मुताबिक चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है और इसके अलावा दो साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.

 

 

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