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…जब विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद नंगे पांव मिलने आये थे पद्मश्री जागेश्वर राम, मुख्यमंत्री ने दूर से देखकर पहचान लिया था…

रायपुर, 25 जनवरी, 2024। जागेश्वर राम को पद्मश्री देने का ऐलान किया गया है। अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति की सेवा में बिताने वाले जागेश्वर राम ने इस विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षा के लिए भी विशेष रूप से कार्य किया और इसमें उन्हें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का सहयोग मिला। साय जब मुख्यमंत्री बने तब जागेश्वर उनसे मिलने नंगे पांव ही राज्य अतिथि गृह आए। मुख्यमंत्री ने उन्हें जब दूर से देखा तो आत्मीयता से आवाज लगाई। ऊहां कहां खड़े हस, ऐती आ।

दरअसल जागेश्वर राम और मुख्यमंत्री श्री साय के बीच आत्मीयता की जो कड़ी जुड़ी, वो प्रदेश की अति पिछड़ी जनजाति मानी जाने वाली बिरहोर जनजाति की वजह से जुड़ पाई। जागेश्वर राम महकुल यादव जाति से आते हैं। अपने युवावस्था के दिनों में जब पहली बार वे बिरहोर जनजाति के संपर्क में आये तो इस विशेष पिछड़ी जनजाति की बेहद खराब स्थिति ने उन्हें बेहद दुखी कर दिया। वे शेष दुनिया से कटे थे। शिक्षा नहीं थी, वे झोपड़ियों में रहते थे। स्वास्थ्य सुविधा का अभाव था। उन्होंने संकल्प लिया कि अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति के बेहतरी में लगाऊंगा। यह बहुत बड़ा मिशन था और इसके लिए उन्होंने अपनी ही तरह के संवेदनशील लोगों से संपर्क आरंभ किया।

इसके चलते वे तत्कालीन सांसद विष्णु देव साय के संपर्क में आये। श्री राम ने उनके समक्ष इस जनजाति के विकास के लिए योजना रखी। सांसद ने उन्हें पूरे सहयोग के लिए आश्वस्त किया। इसके बाद सांसद श्री साय के सहयोग से भीतघरा और धरमजयगढ़ में आश्रम खोले। शुरूआत में ऐसी स्थिति थी कि लोग आश्रम से अपने बच्चों को घर ले जाते थे लेकिन जब आश्रम में पहली पीढ़ी के बच्चे पढ़कर निकले और उनके जीवन में सुखद बदलाव आये तो बिरहोरों ने अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू किया। इस गौरवमयी उपलब्धि के लिए राज्य अलंकरण समारोह में उन्हें शहीद वीर नारायण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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