ब्यूरोक्रेट्स

लोग IAS अधिकारी क्यों बनना चाहते हैं जबकि वे अपने वेतन से सबसे सस्ती मर्सिडीज भी नहीं खरीद सकते हैं…पढ़िए हमारी ये खास खबर…

यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने से लेकर प्रशिक्षण लेने तक तो वो क्रांतिकारी बने रहते हैं, समाज को बदलना है, सरकारी तंत्र को सुधारना है, भ्रष्टाचार को मिटाना है जैसे नारों के साथ वो साक्षात्कार देते रहते हैं उसके बाद तंत्र मे घुसते ही अहंकार, पैसा , पद, लालच का ऐसा रंग चढ़ता है कि तंत्र इनको ही कपट, बेईमानी की डगर पर डाल देता है , कुछ ईमानदार IAS हुए हैं जैसे अशोक खेमका जिनका ईमानदारी के चलते 50 से ज्यादा बार ट्रांसफर हो चूका है दूसरे हैं डी के रवि, जिन्होंने टैक्स चोरों पर नकेल कसी तो उनकी हत्या कर दी गई

दुर्गा शक्ति नागपाल जिनको एक मस्जिद की दीवार गिराने के चलते निलंबित कर दिया गया था अनोखे आर्मस्ट्रांग पेम, इनको ” मिरेकल मेन ” भी कहा जाता है इन्होंने जन भागीदारी से 100 किलोमीटर की सड़क बना दो जो मणिपुर को नागालैंड और आसाम से जोड़ती है

IAS बनने का सबसे बड़ा लालच है ऊपरी कमाई, ऐसी पढ़ाई लिखाई से क्या फायदा की आदमी ईमान बेचने को तैयार हो जाए ..

चील भी ऊंचे आसमान पर उड़ती है लेकिन उसकी नजर तो जमीन पर चूहे पर ही रहती है, मांस के टुकड़े पर ही रहती है .. ऐसी उड़ान से क्या फायदा ?

क्या हमारा देश ठगों , बेइमानो, मक्कारो का देश बनता जा रहा है ? देश प्रेम के लिए कोई जगह नहीं , गरीबों , जरूरतमंदों, जर्जर शिक्षा, स्वास्थ्य की ओर कोई जिम्मेदारी नहीं , सरकारी ओहदा क्यों पाना है ? सिर्फ पैसे और पॉवर के लिए , जनता को लूटने के लिए

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