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शिक्षा विभाग में वाह रे अफसरशाही ! न डीईओ के आदेश की परवाह , न जेडी के निर्देश का है डर ….. आखिर क्यों इतने बेखौफ है बीईओ , प्राचार्य और क्लर्क ….गलती किसी और की और परेशानी…..

रायपुर 10 नवंबर 2021। प्रदेश में शिक्षा विभाग एक ऐसा अद्भुत विभाग बनकर उभर रहा है, जिसमें कार्यालय का अदना सा क्लर्क सब पर भारी पड़ जा रहा है। कमाल की बात ये है कि जिस बीईओ साहब को पूरे ब्लॉक की व्यवस्था सुधारने के लिए बैठाया गया है वह केवल अपनी निजी व्यवस्था को सुधारने पर ही ध्यान दे रहे हैं। तभी तो बीईओ साहब को न जिला शिक्षा अधिकारी के लिखित आदेश की परवाह है और न जेडी के आदेश का खौफ।

अब नवनिर्मित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के पेंड्रा ब्लाक का ही मामला ले लीजिए, वहां पर 6 माह गुजर जाने के बाद भी रिटायर्ड महिला शिक्षिका को पेंशन राशि का भुगतान नहीं किया गया था। जब इस मामले की शिकायत शिक्षिका ने सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे से की, तो उन्होंने मामले को वहां के जिला शिक्षा अधिकारी मनोज राय के संज्ञान में लाया और साथ ही साथ बिलासपुर संभाग के संयुक्त संचालक को भी इस से अवगत कराया।

जिला शिक्षा अधिकारी ने भी वहां के सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारी और सभी प्राचार्य को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि हर हाल में रिटायर्ड कर्मचारियों को अनुमानित पेंशन राशि और उपादान राशि प्रदान करें और 25 अक्टूबर तक इस संबंध में प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करें, लेकिन आज अंतिम तिथि के 15 दिन गुजर जाने के बाद भी आलम यह है कि कर्मचारी को फूटी कौड़ी का भुगतान नहीं हुआ है ।

यही नहीं सलेस्टिना एक्का का प्रकरण सामने आते ही वहां से एक और प्रकरण निकल कर सामने आया, जिसमें पति की मृत्यु के बाद उसकी धर्मपत्नी अमिता लोदाम को पेंशन और उपादान राशि मिलनी है और उनके भी प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं हुई है । सबसे बड़ी ताज्जुब की बात यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और संयुक्त संचालक कार्यालय से स्पष्ट आदेश जारी होने के बाद भी जिस प्रकार का रवैया विकासखंड कार्यालय का है,  वह कई सारे सवाल खड़े करता है।

इस मामले में जब  BEO से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत बिल का काम हो गया है, इस महीने बिल का भुगतान हो जाएगा। बीईओ के जवाब से साफ है कि DEO ने जिस ततपरता से प्रकरण के निराकरण का निर्देश दिया था, उसका पालन नहीं किया गया।

जब संघ और मीडिया के सामने आ जाने वाले प्रकरणों का यह हाल है तो अन्य मसलों का क्या होता होगा? इधर बड़ा सवाल यह भी है कि ऐसे गैर जिम्मेदार विकासखंड शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है । ऐसा नहीं है कि यह हाल केवल 1 जिले का है बस्तर जिले में भी यही हाल है हालांकि वहां मामला सामने आने के बाद वहां के बीईओ कार्यालय से लगातार दो बार बिल ट्रेजरी में लगाया गया है लेकिन दोनों ही बार बिल सही नहीं लगाने की वजह से बिल रिजेक्ट हो गया है और कर्मचारी को भुगतान नहीं हो सका है ।

यही नहीं पेंशन के मामले अन्य जिलों से भी निकल कर सामने आ रहे हैं इसे देखते हुए सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने लोक शिक्षण संचालनालय और स्कूल शिक्षा विभाग में अधिकारियों से मुलाकात करके उन्हें इस संबंध में ज्ञापन दिया है और ऐसे मामलों में तत्काल राहत प्रदान करने के लिए आदेश जारी करने का निवेदन किया है

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