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राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी प्रथमिकता संविधान में जो सही है उसमें रहेगी….यशवंत सिन्हा बोले- द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार अच्छी पर बेहतर…..

रायपुर 1 जुलाई 2022। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर छत्तीसगढ़ में समर्थन मांगनं पहुंचे यशवंत सिन्हा ने बड़ी बेबाकी से सारे सवालों का जवाब दिया। यशवंत सिन्हा ने इस दौरान विपक्षी उम्मीदवार द्रौपदी उम्मीदवार पर अपनी प्रतिक्रिया दी। विपक्षी उम्मीद को लेकर पूछे गये सवाल पर यशवंत सिन्हा ने कहा कि उम्मीदवार वो अच्छी है पर बेहतर मैं नहीं कह सकता अच्छे और बेहतर में अंतर होता है।


यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति पद पर उनका समर्थन करने वाले दलों को लेकर कहा कि जो दल विपक्षी दलों की बैठक में थे और जीन्होने सर्वसम्मति से मेरे नाम को तय किया उन्हें इधर-उधर नहीं होना चाहिए अगर वो इधर-उधर हुए है तो सवाल उनसे करना चाहिए । देश के मौजूदा हालत पर उन्होंने कहा कि रोकने का काम सरकार का है , जो लड़ाई हो रही है उसका परिणाम जनता ही तय करेगी तो जो लोग सक्रिय राजनीति में है और देश की दिशा से सहमत नहीं है तो वे जनता के बीच जाकर उन्हें बताए कि क्या हो रहा है और उसे ठीक करें । ये हो भी रहा है छत्तीसगढ़ में भी हो रहा है और इस लड़ाई को जारी रखना पड़ेगा । मेरा विश्वास है कि जनता समझेगी।
वहीं राजद्रोह की धारा को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि धारा 124 को खत्म किया जाना चाहिए। इसे हमारी कानून व्यवस्था का अंग नहीं होना चाहिए । सरकार का ये काम है। हालांकि उसे खत्म करने का काम राष्ट्रपति का नहीं मैं सिर्फ मशविरा दे सकता हूं। राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी प्रथमिकता संविधान में जो सही है उसमें रहेगी।


वहीं अग्निपथ स्कीम को लेकर उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना को मैं सही नहीं मानता हूं क्योंकि दुनियाभर में जो सर्विसेस है जैसे नेशनल सर्विस उसमें कहीं 2 साल कही 4 साल लोग सेना में सर्विस देते हैं । हमारे देश बाकी देशों से अलग है इसलिए हमने बीच का रास्ता निकाल लिया है। ये नेशनल सर्विस नहीं है और न आर्मी है । सरकार को पार्लियामेंट की डिफेंस कमेटी में इसे रखना था इसमें कुछ संशोधन आते फिर एक बढ़िया योजना सबके बीच आज होती। इसे लेकर जितना बवाल कटा ये सब जरूरी नहीं था। इसलिए सरकार से कहूंगा इसे अभी भी समय रहते सुधारे।


भाजपा की मौजूदा स्थिति पर तंज कसते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि अभी की भाजपा वो नहीं, जो बाजपेयी-आडवाणी के समय में थी। पहले पार्टी दल के भीतर सहमति बनाने का प्रयास करती थी। फिर दल के बाहर एक राय तैयरा होता था। उन्होंने कहा कि एक उदाहरण है जब इराक का युद्ध हुआ, तब अमेरिका का बहुत ज्यादा दबाव था कि अपनी फौज को वहां हमारी फौज के साथ भेजे। लेकिन सहमति नहीं बनी तो नहीं भेजा गया।
यशवंत सिन्हा से जब ये पूछा गया कि क्या आपने आडवाणी जी से समर्थन मांगा है, तो जवाब में यशवंत सिन्हा ने कहा कि आडवाणी जी वयोवृद्ध हैं और किसी से नहीं मिल रहे हैं, हालांकि उनकी बेटी से बात हुईहै।

देश में ईडी के इस्तेमाल को लेकर पूछे गये जवाब का जवाब देते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि मुझे याद नही पड़ता कि कभी सरकार में होते हमारे दिल मे कभी दूर-दूर तक ये ख़्याल भी आया कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल करूँ । आज सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का नंगा नाच हो रहा है। इससे निकृष्ट काम दूसरा कोई नहीं हो सकता है। कुछ लोग पहले मेरे समर्थन में थे पर अब जो नहीं दिखाई दे रहे शायद उसका कारण भी यही है।

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