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अक्षय तृतीया को मनाया जाएगा “माटी पूजन दिवस”…..मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा…जानिये क्या होगा खास आयोजन

रायपुर 27 अप्रैल 2022। छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया माटी पूजन दिवस के रूप में मनाया जायेगा। मुख्यमत्री भूपेश बघेल ने इस बात की घोषणा की थी। इस मौके पर खास आयोजन भी किया जायेगा, जिसका मकसद धरती माता की रक्षा करना है। 3 मई को माटी पूजन दिवस पर धरती माता की रक्षा के लिए शपथ भी दिया जायेगा।

राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के घोषणा के अनुरूप निर्णय लिया है कि माटी पूजन दिवस पर राजधानी में राज्यस्तरीय आयोजन किया जायेगा। वहीं जिलों में भी अलग-अलग आयोजन किये जायेंगे। कार्यक्रम के तहत किसानों और नागरिकों के बीच जनप्रतिनिधि जायेंगे और उनसे धरती माता की रक्षा की शपथ दिलायेंगे।

अब तक प्रदेश में अक्षय तृतीया को सिर्फ ज्वेलरी कारोबार और पारंपरिक उत्सव के रूप में जोड़कर देखा जाता था। पहली बार इस तरह से अक्षय तृतीया को किसान और धरती माता की रक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है।

अक्षय तृतीया का सनातन धर्म में महत्व

हिंदु परंपराओं में अक्षय तृतीया (वैशाख मास के शुक्ल पक्ष का तीसरा दिन) बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कामों का कभी क्षय (हानि) नहीं होती। वो हमेशा बने रहते हैं। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है, अबूझ मुहूर्त यानी इस दिन कोई भी काम ग्रह स्थिति और शुभ मुहूर्त देखकर नहीं किया जाता। पूरा दिन ही शुभ मुहूर्त माना गया है। ऐसा क्यों है कि इस तिथि को अक्षय यानी जिसका कभी क्षरण ना हो, जो हमेशा कायम रहे, कहा जाता है। इसके पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं। ये तिथि भगवान परशुराम के जन्म से लेकर गंगा के धरती पर आने और कृष्ण-सुदामा के मिलन तक से जुड़ी है।अक्षय तृतीया को सबसे ज्यादा भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। परशुराम उन आठ पौराणिक पात्रों में से एक हैं जिन्हें अमरता का वरदान मिला हुआ है। इसी अमरता के कारण इस तिथि को अक्षय कहते हैं, क्योंकि परशुराम अक्षय हैं। भगवान परशुराम के जन्म के अलावा भी कुछ और पौराणिक घटनाएं हैं, जिनका अक्षय तृतीया पर घटित होना माना जाता है।

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