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Alert!इन मसालों में बेचा जा रहा कैंसर बनाने वाला केमिकल, विदेश में लगी पाबंदी, जानिए डिटेल

नई दिल्लीः अगर आप खाना खाते हैं तो दाल, सब्जी, चिकन और मटन जैसे व्यंजन तभी स्वादिष्ट लगते हैं, जब हमने तमाम तरह के मसाले डाले हों। मसाले नहीं तो समझो खाना खा तो लेते हैं, लेकिन मन नहीं भरता। भारत के मसालों की खुशबू देश और दुनियाभर में खूब पसंद की जाती है। इसलिए ही भारत को मसालों का देश भी कहा जाता है। यहां कई तरह के मसालों का उत्पादपन होता है। हर बढ़ियां सब्जी का मसाला अलग होता है।

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आपने भी सुना और देखा होगा कि छोला मसाला, पनीर मसाला, चिकन मसाला खूब दुकानों पर रखा रहता है। इतना ही नहीं लोग इन सभी मसालों को बड़े स्तर पर खरीदारी भी करते हैं। मासले खाने की वजह तमाम रोगों से निजात पाना भी है। इतना ही नहीं कई मसाले ऐसे भी हैं जिनसे इम्यूनिटि पावर बढ़ती है, जिससे शरीर में बीमारियां उत्पन्न नहीं होती है। कुछ जानकारों के अनुसार, आप कभी खुले मसाले नहीं खरीदें तो ज्यादा अच्छा होगा, क्योंकि इनमें हानिकारक मिलावट हो रहती हैं।

हमेशा डिब्बाबंद व प्रतिष्ठित ब्रांड के मसाले इस्तेमाल करने की जरूरत होगी। मसालों से संबंधित जानकारी के लिए आपको हमारा आर्टिकल नीचे तक ध्यान से पढ़ना होगा।

इन मसालों पर लगाई पाबंदी

क्या आपको पता है कि जान को जोखिम में देखते हुए कुछ मसालों पर बैन भी लगा दिया गया है। हॉन्ग कॉन्ग के फूड एंड एनवायरमेंटल हाइजीन डिपार्टमेंट के सेंटर फॉर फूड सेफ्टीने 5 अप्रैल को एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट में दावा किया गया कि MDH और Everest ब्रांड के मिलाकर 4 मसालों में कैंसर करने वाले पेस्टीसाइड एथिलीन ऑक्साइड ज्यादा मिला। जांच में MDH के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स्ड मसाला पाउडर, करी पाउडर मिक्स्ड मसाला पाउडर और Everest के फिश करी मसाला के सैंपल फेल साबित हुए हैं। इसके साथ ही हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर में बंद होने के बाद भारत में भी FSSAI ने इन मसालों के सैंपल टेस्टिंग के लिए उठा लिए हैं।

डायजेशन के लिए यह हैं शानदार मसाले

फटाफट जानें एथिलीन ऑक्साइड के बारे में
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, एथिलीन ऑक्साइड कमरे के तापमान पर एक मीठी गंध वाली फ्लेमेबल कलरलैस गैस होती है। इसे कीटनाशक और स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में भी काफी कम मात्रा के साथ इस्तेमाल करने का काम किया जाता है, जिसे जानना बहुत ही जरूरी है।

इसमें डीएनए को नुकसान करने की क्षमता की वजह से इसे बेहतरीन स्टरलाइजिंग एजेंट समझा जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, कीटनाशक (पेस्टीसाइड) को कई सारी चीजों को बचाने में काम किया जाता है। इस वजह से तंबाकू, कुछ मेडिकल प्रॉडक्ट, कॉस्मेटिक्स करने वाले कुछ टूल्स के अंदर भी इसके तत्व हो सकते हैं।

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कार्सिनोजेन है एथिलीन ऑक्साइड, जानें

इस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर ने एथिलीन ऑक्साइड को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन में रखने का काम किया गया है। इसके साथ ही इस ग्रुप में वो तत्व रखने का काम किया जाता है। कैंसर होने की पुष्टि हो चुकी है। रिपोर्ट में इस कार्सिनोजेन एजेंट की मात्रा पर्मिसिबल लिमिट से ज्यादा मिली है। वहीं, एथिलीन ऑक्साइड के संपर्क में होने से कैंसर का खतरा ज्यादा बना रहता है। जैसे- लिम्फोमा, ल्यूकेमिया, पेट का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर।

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