शिक्षक/कर्मचारी

पोस्टिंग संशोधन निरस्तीकरण में बड़ा खुलासा: प्राधिकरण अध्यक्ष, कमिश्नर व जेडी ने संशोधन के लिए लिखा था पत्र, शिक्षक बोले, जब हम गलत, तो गलत का साथ देने वालों पर भी करो कार्रवाई

रायपुर 6 सितंबर 2023। क्या सिर्फ शिक्षक नेताओं ने ही संशोधन कराया ? क्या जेडी और बाबूओं की मनमर्जी से ही संशोधन हो गया ? या फिर संशोधन के पीछे नेताओं और ताकतवर अधिकारियों की सिफारिश भी थी? ये सवाल इसलिए उठा है कि शिक्षकों के पोस्टिंग संशोधन से जुड़ा एक पत्र सोशल मीडिया में तैर रहा है। सोशल मीडिया के जरिये ही nwnews24.com, जिसमें ये बड़ा खुलासा हुआ है, कि पोस्टिंग के संशोधन के लिए नेताओं और अफसरों ने भी सिफारिश और निर्देश दिये थे। nwnews24.com के पास एक पत्र पहुंचा है, जो बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष व विधायक लखेश्वर बघेल की तरफ से बस्तर कमिश्नर को भेजा गया था। जिसके बाद कमिश्नर ने प्राधिकरण के अध्यक्ष के पत्र का संदर्भ देते हुए जेडी को पत्र भेजकर संशोधन करने को कहा। फिर जेडी ने सभी डीईओ को पत्र भेजा। कुल मिलाकर संशोधन के लिए अधिकारियों ने निर्देशित किया था।

बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष ने लिखा था कमिश्नर को संशोधन के लिए पत्र

बस्तर कमिश्नर को भेजे पत्र में लखेश्वर बघेल ने कहा था कि शिक्षकों ने अपने प्रमोशन और पोस्टिंग को लेकर शिकायत की है। उनकी मांगों पर विचार करते हुए और शिकायत की जांच करते हुए यथाशीघ्र संशोधन की कार्रवाई करें। 28 फरवरी को भेजे पत्र में लखेश्वर बघेल ने अपनी नाराजगी भी जतायी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पदोन्नति में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने गड़बड़ियां की है। इसे लेकर जनप्रतिनिधियों ने जो अनुशंसाएं भेजी है, उस पर भी कार्रवाई नहीं की गयी है। लिहाजा आवेदनों की सूक्ष्मता के साथ जांच कर यथाशीघ्र संशोधन की कार्रवाई करें। बस्तर प्राधिकरण के पत्र के बाद कमिश्नर ने संयुक्त संचालक को संशोधन को पत्र भेजकर संशोधन को निर्देश दिया।

जेडी ने संशोधन के लिए सभी डीईओ को दिये थे निर्देश

हैरानी की बात ये बस्तर प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्व बघेल के पत्र का हवाला देते हुए बस्तर के संयुक्त संचालक ने सभी डीईओ को पत्र जारी कर पदस्थापना स्थान में संशोधन कर पदस्थ करने का निर्देश दिया है। ये पत्र 8 जून 2023 को बस्तर के तत्कालीन जेडी ने डीईओ को लिखा है। संयुक्त संचालक ने 22 मई 2023 को हुई बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक का जिक्र करते हुए लिखा है कि संभाग स्तर पर सहायक शिक्षक से शिक्षक एवं शिक्षक से प्रधान पाठक माध्यमिक शाला के पद पर प्रमोशन के बाद काउंसिलिंग के जरिये पोस्टिंग की गयी। बस्तर प्राधिकरण की बैठक में कहा गया है कि पोस्टिंग जिले के भीतर किया जाये, लिहाजा ऐसे शिक्षक जो कार्यभार ग्रहण नहीं किये हैं, उन्हें अंतिम अवसर देते हुए जिले के भीतर रिक्त स्थान पर पोस्टिंग संशोधित की जाये।

..तो फिर शिक्षक बलि का बकरा क्यों?

अगर प्रमोशन संशोधन गलत था, तो विधायक सह प्राधिकरण के अध्यक्ष ने कमिश्नर को पत्र क्यों लिखा? संयुक्त संचालक ने डीईओ को निर्देश क्यों दिया ? अगर नियोक्ता को अधिकार नहीं था, तो फिर नियोक्ता ने किस हैसियत से पोस्टिंग में संशोधन का निर्देश दिया। अगर ये गलत था, तो उसी वक्त उन गलतियों को क्यों नहीं रोका गया। …और अगर गलतियों पर अब कार्रवाई हुई है, तो पत्र लिखने वाले अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।

क्या ऐसे पत्र कोर्ट में सरकार की किरकिरी नहीं करायेंगे

दरअसल अभी तक तो बातें पैसे के लेन देने और भ्रष्टाचार की हो रही थी, लेकिन हकीकत तो यही है कि ये पूरा मामला खुल्लम खुल्ला था। प्राधिकरण की तरफ से पत्र लिखा जा रहा था, विभाग की तरफ से निर्देश जारी हो रहे थे। कई नेताओं की सिफारिश जा रही थी, कई अधिकारी अपने चहेतों को पोस्टिंग में संशोधन करा रहे थे। अब जबकि मामला संशोधन निरस्तीकरण के बाद कोर्ट पहुंच रहा है, तो जाहिर है ऐसे पत्र और अनुशंसाएं भी कोर्ट के संज्ञान में लायी जायेगी। क्या ऐसे में सरकार की कार्रवाई खुद सवालों में नहीं घिर जायेगी।

शिक्षक बोल रहे, अगर हम गलत, तो फिर हमारा साथ देने वाले भी गलत, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं

ऐसे में अब तो प्रभावित शिक्षक खुलकर अपनी बातों को कह रहे हैं। हमारे आवेदन को गलत करार देकर संशोधन निरस्त कर दिया गया। सरकार की नजर में अगर हम गलत हैं, तो फिर हमारा साथ देने वाले भी गलत हैं। …और अगर वो गलत हैं, तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिये। चार संभाग के संयुक्त संचालक को निलंबित किया गया, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार किया, गलत तरीके से संशोधन किया, हमारा संशोधन निरस्त कर दिया गया, क्योंकि हमने गलत तरीके से संशोधन करवाया, तो फिर उन पत्र लिखने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिये। क्योंकि उन्होंने गलत का साथ दिया।

कुल मिलाकर संशोधन निरस्तीकरण कर विभाग भले ही पूरे विवाद के खत्म हो जाने की उम्मीदें कर रहा है, लेकिन हकीकत है कि ये तूफान के पहले की शांति है। क्योंकि संशोधन के निरस्तीकरण में सिर्फ शिक्षकों के आवेदन ही नहीं कई नेता-मंत्रियों की सिफारिशी पत्र भी संयुक्त संचालक के पास पहुंचे थे। जो अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं।

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