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भाई शिक्षाकर्मी इसलिए अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं कर सकते : हाईकोर्ट का अनुकंपा नियुक्ति पर बड़ा फैसला….निधन के वक्त शिक्षाकर्मी का संविलियन नहीं हुआ था, इसलिए नहीं मान सकते शासकीय कर्मचारी, देनी होगी नौकरी…30 दिन में निर्णय लेने का निर्देश

बिलासपुर 1 अप्रैल 2022। परिवार में शिक्षाकर्मी पद पर कार्यरत रहने की वजह से परिवार के किसी अन्य सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति से नहीं रोका जा सकता।  हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल धमतरी के जनपद पंचायत मगरलोड में पदस्थ दिवंगत विस्तार अधिकारी के बेटे को राज्य सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति से इसलिए वंचित कर दिया था, क्योंकि आवेदक का एक भाई शिक्षाकर्मी के पद पर था। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया कि शिक्षाकर्मी शासकीय कर्मचारी नहीं होता, ऐसे में किसी शिक्षाकर्मी को आधार बनाकर आवेदक को अनुकंपा नियुक्ति के अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि 30 दिन के भीतर अनुकंपा नियुक्ति पर निर्णय ले।

दरअसल सितेश कुमार साहू ने अधिवक्ता अजय कुमार श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि उनके पिता तिहारू राम साहू जनपद पंचायत मगरलोड में पदस्थ थे, जिनका निधन 29.10.2017 को हो गया।  पिता के स्थान पर सितेश कुमार साहू ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, तो उसके आवेदन को ये कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि, उसके भाई थानेंद्र कुमार शिक्षाकर्मी वर्ग -3 के पद पर कार्यरत है। आवेदन निरस्त करते हुए विभाग ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि परिवार में कोई शासकीय सेवा में है तो उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती।

अधिवक्ता अजय कुमार श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में पैरवी करते हुए दलील दी कि शिक्षाकर्मी शासकीय सेवक नहीं होता। लिहाजा, इस आधार पर याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। इस मामले में सरकार की तरफ से जवाब में बताया गया कि याचिकाकर्ता के भाई का 1 जुलाई 2018 को शिक्षा विभाग में संविलियन हो गया है, इस कारण वो शासकीय सेवक बन चुका है। ऐसे में याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती।

सुनवाई के बाद जस्टिस संजय के अग्रवाल ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु 29.10.2017 को हुई थी, उस वक्त याचिकाकर्ता का भाई शिक्षाकर्मी था और शासकीय सेवक नहीं था। संविलियन 1 जुलाई 2018 को हुआ, इस कारण अनुकंपा नियुक्ति नीति के तहत शासकीय सेवक नहीं होने के कारण याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति से अपात्र घोषित करने के आदेश को निरस्त करते हुए, निर्देश दिया कि 30 दिन के भीतर अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित नीति के अनुसार निर्णय लिया जाये।

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