शिक्षक/कर्मचारी

प्रमुख सचिव के बयान पर सहायक शिक्षक फेडरेशन ने जतायी नाराजगी… शिव मिश्रा बोले- पूरा दोष शिक्षकों पर ही थोप देना कहां तक उचित, पूछे ये 5 सवाल …

रायपुर 2 जुलाई 2022। बेबीनार में शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन ने नाराजगी जतायी है। प्रदेश उपाध्यक्ष शिव मिश्रा ने नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रमुख शिक्षा सचिव ने शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए, पूरा दोषारोपण शिक्षको पर ही कर दिया, जो आपत्तिजनक है। शिव मिश्रा ने कहा कि शिक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से उत्तरदायी कारण है जिन पर गहन चिंतन होना चाहिए ,केवल शिक्षक को दोषी ठहराने से न तो समाधान मिलेगा और न ही ये उच्चाधिकारी अपने उत्तरदायित्वों से बच पाएंगे ।

मेरा प्रश्न शिक्षा सचिव से –

  • आपने शिक्षक चयन की प्रक्रिया इतनी जटिल और पैनी बनाई है कि हायर सेकंडरी,स्नातक, ड़ी एड, बी एड, फिर पात्रता परीक्षा ,उसके बाद प्रतियोगी परीक्षा,इतना छानकर आप पानी पी रहे है, फिर भी गन्दा पानी आपको मिल रहा है, बेहद आश्चर्य का विषय है ।
  • आप हर वर्ष शिक्षा में नए नए प्रयोग कर रहे है,किसी भी योजना में स्थायित्व नही है,शिक्षक और विद्यार्थी वर्ष भर भ्रमित रहता है कि उसे करना क्या है ?
  • शिक्षा की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग करने वाले कितने कुशल और वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति आपके सिस्टम ने की है जरा इसका भी आत्मावलोकन करें ।
  • शिक्षको को मिलने वाली समयबद्ध पदोन्नती तथा अन्य हितलाभों को क्या विभाग ने प्रदान किया है ? बिल्कुल नहीं, आज प्रदेश में अधिकांश प्राथमिक शालाओं में प्रधानपाठक के पद रिक्त है बहुत से माध्यमिक शालाओं में विषय शिक्षक के पद रिक्त हैं सिर्फ जुगाड में शाला चल रहे हैं, वहीं सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति दूर करने के आश्वासन को पूर्ण करना तो दूर मुख्य सचिव के अध्यक्षता में बनी कमेटी आज तक अपना रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाई जिससे पूरे शिक्षकों का विश्वास खत्म हो रहा है क्या इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित नही होती है,शिक्षा का मनोविज्ञान हमेशा साथ साथ चलता है,शिक्षकों के हितलाभों सहित पदोन्नती यदि समय पर होती है तो शिक्षक बेहतर कार्य के लिए प्रेरित एवम प्रोत्साहित होता है जो आज नही किया जा रहा है ।
  • प्राथमिक शिक्षा 1 से 8 में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत यह उपबन्ध यद्धपि उचित था कि बच्चे को किसी कक्षा में न रोका जाए, उसे न्यूनतम स्तर तक लेकर कक्षोनति देदी जाए, लेकिन आज इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिल रहा है, बच्चे और अभिभावक शिक्षा के प्रति उदासीन हो गए है और लापरवाह भी,जिसका परिणाम शिक्षा का गिरता हुआ स्तर दिखाई दे रहा है, पुनः परीक्षा की व्यवस्था एवम पूर्व की भांति कमजोर बच्चों को रोकने की व्यवस्था पर भी पुनर्विचार होना चाहिए ।और भी बहुत से कारण है लेकिन यह भी सच है कि बोर्ड परीक्षाओं का परीक्षा परिणाम अच्छा है,स्थानिय भी ठीक ही है,प्राथमिक स्तर का भी परिणाम कही कमजोर नही है,फिर गुणवत्ता पर प्रश्न ? इसके उपरांत एक जिम्मेदार अधिकारी का ऐसा बयान निंदनीय है।

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