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CG NEWS : जब बीच जन चौपाल में दिव्यांग ने मांगी इच्छा मृत्यु, फिर कलेक्टर ने किया कुछ ऐसा कि अफसर और आम लोग देखते रह गये……

कोरबा 13 सितंबर 2022। कोरबा कलेक्टर संजीव झा की संवेदनशीलता एक बार फिर सामने आयी हैं। मंगलवार को जन चौपाल में एक दिव्यांग भूविस्थापित कलेक्टर के सामने पहुंचकर परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की मांग कर दी। आर्थिक तंगी से लाचार दिव्यांग की समस्या सुनकर पहले तो कलेक्टर ने उसे समझाईश दी, इसके बाद फैसला आन द स्पॉट के तर्ज पर कलेक्टर ने बीच बैठक में ही एसईसीएल के सीजीएम को मोबाइल पर कॉल लगाकर पीड़ित भूविस्थापित के बेटे को माइंस में संचालित निजी एजेंसी में तत्काल नौकरी देने का निर्देश दिया गया।

कोरबा जिला में एसईसीएल की खदानों से प्रभावित भूविस्थापितों की नौकरी आज भी एक बड़ी समस्या हैं। मंगलवार को समय सीमा की बैठक के बाद कलेक्टर संजीव झा कलेक्टोरेट के सभागार में सभी प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी में जन चौपाल में आम लोगों की समस्या सुन रहे थे। इसी दौरान विज यनगर कोसमंदा निवासी बंशी दास नामक दिव्यांग शख्स कलेक्टर के सामने फरियाद लेकर पहुंचा। कलेक्टर उसकी समस्या जानते, उससे पहले ही उसने आवेदन आगे बढ़ाते हुए इच्छा मृत्यु देने की मांग कर दी।

अपनी तकलीफ बताते हुए बंशी दास ने बताया कि काफी लंबे समय से एसईसीएल प्रबंधन ने उसकी भूमि कुसमुंडा कोयला खदान के लिए अधिग्रहण कर लिया गया, लेकिन आज तक उसे नौकरी नही मिल सकी। बंशी दास ने खुद के दिव्यांग होने के कारण परिवार के भरण पोषण में आ रही कठिनाईयों से अवगत कराया। पूरे प्रकरण की जानकारी लेने के बाद कलेक्टर संजीव झा ने बंशी दास को बड़ी ही शालीनता से समझाया गया। कलेक्टर ने बताया कि उनकी भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित हैं। प्रकरण के हाईकोर्ट से निराकरण के बाद ही नियमानुसार प्रबंधन द्वारा रोजगार एवं बसाहट के संबंध में कार्यवाही की जाएगी।

आर्थिक तंगी और परिवार के भरण पोषण के लिए कलेक्टर संजीव झा ने बीच जन चौपाल में ही एसईसीएल कुसमुण्डा के सीजीएम को फोन लगाकर पीड़ित भूविस्थापित के बेटे को तत्काल खदान में कार्यरत निजी एजेंसी के माध्यम से नियोजित करने के निर्देश दिया गया। कलेक्टर संजीव झा की संवेदनशीलता और फैसला ऑन द स्पॉट के तर्ज पर समस्या के निदान से पीड़ित भूविस्थातिप काफी प्रभावित हैं। इच्छा मृत्यु की मांग करने पहुंचे बंशी दास ने कलेक्टर की समझाईश और निर्णय पर ना केवल आभार जताया, बल्कि बेटे को नौकरी मिल जाने पर पारिवारिक आर्थिक तंगी से निजात मिल जाने की उम्मींद भी जताई हैं।

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