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PSC SCAM: क्या है CGPSC घोटाला ? जिसकी CBI जांच का राज्य सरकार ने किया है ऐलान, क्या-क्या हुई है गड़बड़ियां

रायपुर 3 जनवरी 2023। …आखिर CGPSC की CBI जांच पर मुहर लग ही गयी। ये सिर्फ मोदी की पूरी हुई गारंटी नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं की उम्मीदों को इंसाफ मिलने की गारंटी है, जो चाहते थे कि CGPSC में हुई गड़बड़ी की जांच हो। ये फैसला उन युवाओं के सवालों का जवाब है, जो जानना चाहते थे कि CGPSC 2021 को लेकर जो सवाल उठे हैं, आखिरकार उसका जवाब क्या है। अगर कुछ गड़बड़ियां हुई है, तो फिर उस धुंध का साफ होना जरूरी है। आज उन तमाम युवाओं के मन में जरूर उम्मीदें होगी, जो ये मानते हैं कि CGPSC में गड़बड़ियां हुई है और इसकी अगर जांच हुई है, तो इसकी जांच जरूर होनी चाहिये।  

भाजपा ने CGPSC को बड़ा मुद्दा बनाया था। चुनावी सभाओं में भी PSC के घोटाले की खूब गूंज उठी थी। खुद PM मोदी ने इस बात का ऐलान किया था, अगर सरकार बनी, इसकी जांच करायी जायेगी और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा जायेगा। आखिर विष्णुदेव साय कैबिनेट की तीसरी बैठक में इस फैसले पर मुहर लग गयी। बैठक के बाद डिप्टी सीएम अरूण साव ने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि …. राज्य के युवाओं के हित में राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा-2021 के संबंध में प्राप्त अनियमितताओं की शिकायतों के परिपेक्ष्य में विस्तृत जाँच हेतु केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को प्रकरण प्रेषित किए जाने का निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा-2021 के अंतर्गत 12 विभागों के 170 पदों पर भर्ती के लिए चयन सूची जारी की गई है।

पीएससी घोटाले का क्या है पूरा मामला

CGPSC परीक्षा का नोटिफिकेशन साल 2021 में जारी किया था। भर्ती के लिए कुल पद 171 थे। परीक्षा का प्री एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया, जिसमें कुल 2 हजार 565 पास हुए थे। इसके बाद आई मेंस एग्जाम की बारी. 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को मेंस परीक्षा कराई गई। जिसमें कुल 509 अभ्यर्थी पास हुए, इनको इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। जिसके बाद 11 मई 2023 को परीक्षा का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ। 170 अभ्यर्थियों का इसमें फाइनल सिलेक्शन हुआ। इस भर्ती परीक्षा में कथित घोटाले की बात सामने आई है। 18 लोगों की लिस्ट जारी की गई है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि मेरिट लिस्ट में PSC चेयरमैन के रिश्तेदारों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के करीबियों का सिलेक्शन हुआ है। प्रदेश के पूर्व बीजेपी नेता ननकी राम कंवर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर भर्ती पर रोक लगाने की बात कही है। ननकी राम कंवर ने एडवोकेट संजय अग्रवाल के माध्यम से हाई कोर्ट में दायर याचिका में PSC पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,“PSC में अधिकारी और नेताओं के बेटे-बेटियों सहित रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, DSP जैसे पदों पर नियुक्त किया गया है. वहीं होनहार बच्चों को दरकिनार किया जा रहा है. अफसरों के रिश्तेदारों को अच्छे पद दे दिए गए हैं. जिसका असर दूसरे अभ्यर्थियों पर हुआ और उन्हें निचले पदों के लिए सिलेक्ट किया गया है.”याचिका में ये भी कहा गया है कि साल 2020 की परीक्षा में सिलेक्ट हुए तीन अभ्यर्थियों के नाम 2021 वाली नियुक्ति में जोड़ दिए गए हैं।

चेयरमैन और कांग्रेस नेताओं के बेटे बने डिप्टी कलेक्टर

हाई कोर्ट में दायर याचिका में PSC के चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के पांच करीबियों की नियुक्ति के बारे में बताया गया है, इनकी लिस्ट सौंपी गई है। सोनवानी के अपने परिवार, उनके करीबी रिश्तेदारों के बच्चों को डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी जैसे बड़े और ताकतवर पदों के लिए चुना गया है। वहीं छत्तीसगढ़ के कुछ बड़े अधिकारियों के बच्चों को भी आबकारी, श्रम विभाग में ऊंचे ओहदों पर नियुक्त कर दिया गया। CGPSC की भर्ती परीक्षाओं में बीजेपी की तरफ से लगातार गड़बड़ी के दावे किए जा रहे हैं। अब तो CBI जांच की मांग भी उठने लगी है।

प्रेस कांफ्रेस कर ओपी चौधरी ने लगाये थे गंभीर आरोप

वित्त मंत्री व तत्काली भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने परीक्षा की एक आंसर शीट सामने रखते हुए कहा,“परीक्षा में 8 अंकों का एक प्रश्न पूछा गया था. प्रश्न 1857 क्रांति में वीर हनुमान सिंह के योगदान से जुड़ा हुआ था. इस प्रश्न के उत्तर में एक अभ्यर्थी ने हनुमान सिंह की जगह वीर नारायण सिंह लिखा. इस अभ्यर्थी को 8 में से साढ़े 5 नंबर दिए गए. वहीं जिस अभ्यर्थी ने वीर हनुमान सिह के बारे में लिखा उसे सिर्फ 4 अंक दिए गए।”

चौधरी ने कहा कि इस तरह की आंसर शीट का मूल्यांकन एग्जामिनर, डिप्टी हेड एग्जामिनर और हेड एग्जामिनर तीनों स्तर पर होता है. लेकिन तीनों ने एक तरह के नंबर दिए हैं. चौधरी ने इसी बात पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है? या तो आंसर शीट की ठीक से जांच नहीं हुई या लापरवाही की गई है।

परीक्षा में गड़बड़ी सामने आने पर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि ये राज्य सरकार के गाल पर जोरदार तमाचा है. राज्य का युवा और बीजेपी इस धांधली की आवाज उठा रहे थे. लेकिन राज्य सरकार ने इसकी जांच के आदेश नहीं दिए. उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है।  

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