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परिंदों के दुश्मन: वन विभाग की ज्यादती देख कुछ विदेशी मेहमान आए ही नहीं, कुछ जल्दी चले गए, राजीव वन को बरबाद करने का कौन है गुनाहगार!

रायपुर 4 फरवरी 2024। राजधानी रायपुर में 20 वर्ष पहले बनाया गया राजीव स्मृति वन नाम का एक ऐसा अर्बन फॉरेस्ट है जो सेंट्रल इंडिया के सबसे अच्छे अर्बन फॉरेस्ट में से एक है। यहां बारह माह चिड़िया घोसला बनाकर अंडे देती है। ठंड के दिनों में दूसरे स्थान से और विदेश से आई चिड़िया यहां पर देखने मिलती रही है। यहाँ तक कि बहुत कम दिखने वाला मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी इंडियन पैराडाइज भी यहाँ ठण्ड में देखने को मिला है।

चिड़ियाओं से नाराज हुआ वन विभाग

इस वर्ष कुछ ऐसा हुआ कि वन विभाग इन चिड़ियाओं से नाराज हो गया और शीत ऋतु चालू होते ही जमीन की उन घास, झाड़ियां को जहां ये चिड़ियायें कीड़े खाती थी और जरूरत आने पर छुप जाती थी को काट दिया गया। नतीजा यह हुआ की कुछ विदेशी मेहमान चिड़ियायें जो आ गए थीं, वह समय के पहले चली गई। जब सफाई के नाम से यह कटाई चालू हुई तब वन्यजीव प्रेमियों ने डीएफओ को शिकायत दर्ज कराई थी कि यह कटाई रोकी जाये, बर्डर और विशेषज्ञों की राय पहले ली जाये, तब कुछ दिनों के लिए इसे रोक दिया गया परंतु बाद में बिना किसी से राय लिए उस इलाके को पूरा साफ कर दिया गया जहां पर विदेशी मेहमान ज्यादा रहते थे, इस कारण से वह समय से पहले वे चले गए।

रायपुर के बर्डर डॉक्टर दिलीप वर्मा ने बताया की ब्लू थ्रोटेड ब्लू फ्लाई कैचर और टिकल्स थ्रश नाम की चिड़िया ठंड चालू होते से ही आई थी पर वन विभाग द्वारा सफाई के नाम से की गई घास और झाड़ियां की कटाई के कारण व समय के पहले चली गई। घास और जमीन पर गिरे पत्तों के नीचे के कीड़ों को यह खाती हैं और छुपती हैं। यहां तक कि क्रेस्टेड गोशाक और क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल तो इस साल आए ही नहीं, जिसका कारण उनके लिए उचित रहवास नहीं होना है।

प्रण लिया है बर्बाद कर के छोड़ेंगे राजीव वन को

राजीव वन में कुछ ही बॉस के पेड भी हैं, इनमे से कुछ की कटाई कर आग लगाई गई है। बांस के पेडों में कई प्रकार की चिड़ियायें रहती और चहकती हैं। जानकार पूछते है कि कटाई से 25-50 बांस ही मिले होंगे, इससे वन विभाग लखपति तो नहीं बन गया होगा, काटते नहीं तो क्या होता?

फिर चालू किया चिड़ियाओं को भगाने का काम

राजीव वन में कुछ ऐसा इलाका है जो कि अत्यधिक घना है। वन विभाग ने नोटिस भी लगा रखा है कि घने वन क्षेत्र में जाना निषेध है। यहां पर वर्ष भर चिड़ियायें रहती है परंतु अब बिना बर्डर और विशेषज्ञों की राय लिए हुए सफाई और खरपतवार हटाने के नाम से पूरा घना इलाका साफ किया जा रहा है। इन घने इलाकों में बहुत बड़ी मात्रा में जैव विविधता पाई जाती है जो कि नष्ट हो रही है। राजीव वन को वन का नाम दिया गया और छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले पेड़ों का भी रोपण कर अर्बन फॉरेस्ट बनाया गया। परंतु यहां के इंचार्ज का कहना है की अगर हम कटाई नहीं करेंगे तो यह जंगल बन जाएगा जबकि यह गार्डन है। वन विभाग को पहले निर्णय कर लेना चाहिए कि वह अर्बन फारेस्ट मेन्टेन कर रहा है कि गार्डन। अगर गार्डन है तो “वन” नाम बदल देना चाहिए।

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