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हाईकोर्ट न्यूज: 15 साल से चल रही थी विभागीय जांच, हाईकोर्ट की नोटिस के बाद IG ने किया बंद

बिलासपुर 28 अप्रैल 2024। हाईकोर्ट की नोटिस के बाद 15 साल पुरानी विभागीय जांच को आईजी ने बंद कर दिया है। दरअसल फिरंगीपारा, करगीरोड निवासी संतोष यादव वर्ष 2009 में पुलिस थाना तखतपुर, जिला-बिलासपुर में सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) के पद पर पदस्थ थे। उक्त पदस्थापना के दौरान एक अपराध के विवेचना में लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) बिलासपुर द्वारा उनके विरूद्ध आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच कार्यवाही प्रारंभ की गई।

उक्त विभागीय जांच के लंबित रहने के दौरान दिनांक 30 सितम्बर 2021 को वे सेवानिवृत्त हो गए परन्तु लंबित विभागीय जांच का हवाला देते हुए उनके पेंशन एवं ग्रेच्युटी राशि का भुगतान रोक दिया गया। उक्त कार्यवाही से क्षुब्ध होकर संतोष यादव द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई।

अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रेमनाथ बाली विरूद्ध रजिस्ट्रार दिल्ली उच्च न्यायालय एवं अन्य के वाद में वर्ष 2015 में दिये गये निर्णय पारित किया गया है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी के विरूद्ध चल रही विभागीय जांच का निराकरण 01 (एक) वर्ष के भीतर किया जाना अनिवार्य है। परन्तु याचिकाकर्ता के मामले में 15 (पंद्रह) वर्ष से अधिक की समयावधी बीत जाने के पश्चात् भी आज दिनांक तक विभागीय जांच प्रक्रिया पूरी कर जांच में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् मामले को अत्यन्त गंभीरता से लेते हुए पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) बिलासपुर से तत्काल जवाब मांगा गया। चूंकि जिस मामले की विवेचना में लापरवाही के आरोप में याचिकाकर्ता के विरूद्ध विभागीय जांच प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी वह आपराधिक मामला सक्षम न्यायालय द्वारा पूर्व में ही नस्तीबद्ध किया जा चुका है इस आधार पर पुलिस महानिरीक्षक, बिलासपुर द्वारा याचिकाकर्ता के विरूद्ध संचालित विभागीय जांच को नस्तीबद्ध (समाप्त) कर दिया गया।

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