शिक्षक/कर्मचारी

शिक्षक प्रमोशन : हाईकोर्ट के फैसलों को साधारण भाषा में समझें, प्रिंसिपल का प्रमोशन कैसे होगा ? कब से वरीष्ठता तय होगी?… किनकी याचिका खारिज, किस याचिका को किया मान्य…पढ़िये पूरी रिपोर्ट

रायपुर 10 मार्च 2023। शिक्षक प्रमोशन को लेकर फैसला आ गया है। हाईकोर्ट की डबल बेंच से फैसला आने के साथ-साथ प्रमोशन को लेकर तमाम अड़चनें भी खत्म हो गयी है। आज चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और पार्थ प्रीतम साहू की डबल बेंच ने अपने 98 पेज के फैसले में अलग-अलग केस को लेकर अलग-अलग बिंदुओं पर अपना निर्णय सुनाया है। इस फैसले की सबसे अहम बात ये है कि कोर्ट ने 2019 के राजपत्र पर मुहर लगायी है। वहीं शिक्षक एलबी, यूडीटी व प्राथमिक एचएम से 50-50 प्रतिशत मिडिल स्कूल के हेडमास्टर बनेंगे।

खास बात ये है कि प्राथमिक शाला प्रधान पाठक और यूडीटी नियमित जो पोस्ट ग्रेजुएट हैं, उनकी पदोन्नति व्याख्याता के पद पर होगी। फैसले में एक और अहम बात ये है कि प्रिसिपल पद के लिए व्याख्याता और मिडिल स्कूल के हेडमास्टर दोनों पात्र होंगे। व्याख्याता जो हेडमास्टर प्रमोशन के बाद बने हैं, उनको प्राचार्य पद में पदोन्नति के लिए उनकी वरीष्ठता हेडमास्टर के पद पर कार्यभर ग्रहण दिनांक से गिनी जायेगी।

कोर्ट ने सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप से किया इंकार

आज अपलोड हुए फैसले के मुताबिक केस नंबर 502, 557, 598, 599, 892, 1702, 2436, 2742 ये सभी केस 2022 में लगे थे। इन पिटीशन में याचिकाकर्ता प्रधान पाठक भी थे, रेगुलर टीचर भी थे और एलबी शिक्षक भी थे। इन सभी ने राज्य सरकार की उस रियायत को चुनौती दी थी, जिसमें प्रमोशन के लिए 5 साल की अहर्ता को घटाकर 3 साल कर दिया था। वहीं ई कैडर और ई एलबी को एक कैडर बनाने और प्रधान पाठक की मांग थी कि उनका पेमेंट सरकार के फैसले से कम हो जायेगा, लिहाजा उनके पेमेंट का फिक्सेशन किया जाये। हाईकोर्ट ने इन तमाम याचिका को खारिज कर दी है। कोर्ट ने सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए उस पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है।

सरकार ने बताया – रेगुलर की तुलना में एलबी का अनुपात ज्यादा, कोटा देने में दिक्कत नहीं

दरअसल 2019 के राजपत्र में राज्य सरकार ने प्रमोशन का जो नियम बनाया था, उसके मुताबिक प्रमोशन के लिए 5 साल का नियम था, जिसे कैबिनेट में संशोधित करते हुए वन टाइम रिलेक्सशेसन के तहत 5 साल की समयावधि को घटाकर 3 साल कर दिया गया था। इस फैसले से नियमित शिक्षकों को आपत्ति थी। हालांकि कोर्ट में सरकार की तरफ से बताया गया कि रेगुलर की तुलना में एलबी का अनुपात ज्यादा है, इसलिय़े उन्हें कोटा देने में दिक्कत नहीं है।

ऐसे बनेंगे प्रिंसिपल

कोर्ट ने प्रिंसिपल के पद पर प्रमोशन को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की है। 2019 के राजपत्र में ये स्पष्ट था कि प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन में 10 फीसदी पद सीधी भर्ती से भरे जायेंगे, वहीं 90 प्रतिशत पद प्रमोशन में भरे जायेंगे। उन 90 प्रतिशत पद में भी 65 प्रतिशत पदों पर व्याख्याता से प्रिंसिपल बनेंगे, जबकि 25 प्रतिशत मिडिल स्कूल के हेडमास्टर से प्रिसिपल पद पर पदोन्नत होंगे।

केस नंबर 1569, 3431, 4409, 4627 पर भी कोर्ट ने स्पष्ट फैसला सुनाया है। 2022 में लगी इन याचिका को कोर्ट में ये कहकर चुनौती दी गयी थी कि मिडिल एचएम को प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन का नियम गलत है। कोर्ट ने इनकी मांगों को खारिज किया है। कोर्ट के फैसले ने सरकार के निर्णय को सही बताते हुए कहा है कि 25 प्रतिशत मिडिल स्कूल के एचएम से प्रिंसिपल बनेंगे।

वहीं केस नंबर 3286, 3432, 3437, 4603, 3431 जो प्रिंसिपल के पद के लिए दायर की गयी याचिका थी, उसे कोर्ट ने मान्य किया है। कोर्ट ने कहा है कि मिडिल स्कूल के हेडमास्टर से प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति के लिए वरीयता का निर्धारण मिडिल स्कूल में हेडमास्टर पद पर की गयी ज्वाइनिंग डेट से की जायेगी।

शालेय शिक्षक प्रधान पाठक संघ के मनोज साहू व सुरेश वर्मा ने बताया..

रवि पटेल-502, चिंता राम धीवर-557, संजय यदु-598, मधुसूदन टंडन-599 एवं अन्य प्रकरण क्रमांक-558, 892, 1702, 2436, 2742 की याचिका खारिज की गयी है। पदोन्नति में वन टाइम रिलेक्सेशन 5 वर्ष से तीन वर्ष सेवा की शिथिलता, एक केडर एवं वेतन कम मिलने की इन सभी की मांगों को खारिज किया गया है। कोर्ट के द्वारा एल बी संवर्ग के 3 वर्ष सेवा में शिथिलता को पदोन्नति के लिए मान्य किया गया है।

वहीं प्रकरण क्रमांक-1569, 3431, 4409, 4627/2022 में सभी याचिकाकर्ता के द्वारा 25% मिडिल स्कूल के प्रधानपाठकों को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति को चैलेंज किया गया था, जिसे खारिज किया गया है। अब मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक भी प्राचार्य के पद पर पदोन्नत होंगे।
राजपत्र 2019 के नियम के पहले जो मिडिल स्कूल प्रधान पाठक से ब्याख्याता के पद पर पदोन्नत हुए है, उनकी वरिष्ठता मिडिल स्कूल में ज्वाइनिंग से ली जायेगी।

उसी तरह रिट अपील WA 196,212,324/2022 में ब्याख्याता एल बी के द्वारा सन 1998 से वरिष्ठता की मांग एवं प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए 5 वर्ष की अनुभव को शिथिल करते हुए 3 वर्ष करने की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

Back to top button