अंग्रेजी नहीं बोल पाने पर कॉलेज में उड़ता था मजाक, आज आईएएस बन सबका मुंह किया बंद….दसवीं में पत्रकार के सामने कलेक्टर बनने का सपना किया था ज़ाहिर…पढ़िए इस महिला आईएएस की दिलचस्प सक्सैस स्टोरी
सतना 18 अक्टूबर 2021 सतना (मध्य प्रदेश) के छोटे से गांव अमदरा में एक वकील-शिक्षिका दंपति के यहां बेटी पैदा हुई। गांवों के रूढ़िवादी परिवारों में बेटियों के हिस्से जश्न कम, पाबंदियां, हिदायतें और नसीहतें ज्यादा आती हैं। जाहिर है, इस बेटी की पैदाइश पर भी ढोल-नगाडे़ नहीं बजने थे, लेकिन दो लोग आह्लादित थे। उनका दांपत्य जीवन जो महक उठा था। इसलिए उन्होंने नाम रखा- सुरभि! सुरभि गौतम की खुशकिस्मती यह थी कि माता-पिता, दोनों शिक्षा का मोल समझते थे। परिवार के अन्य बच्चों की तरह गांव के सरकारी स्कूल में सुरभि का भी दाखिला हुआ। वह हिंदी माध्यम स्कूल था। शुरू से ही सुरभि कमाल करती रहीं, मगर परिवार के ज्यादातर सदस्यों के लिए यह कोई खास बात नहीं थी।
सुरभि गौतम पढ़ाई में शुरू से ही ठीक थीं. लेकिन हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने की वजह से उनकी इंग्लिश कमजोर थी. जिसकी वजह से कई बार क्लास में टीचर के सवालों का वो जवाब नहीं दे पाती थीं. इससे उनका मजाक भी उड़ता था. 12वीं में बुखार आने की वजह से 15 दिनों तक 15 किलोमीटर दूर डॉक्टर के पास चेकअप के लिए उन्हें जाना पड़ता था. ऐसी हालत में भी सुरभि ने पढ़ाई से अपना ध्यान नहीं हटाया और अच्छे अंकों से 12वीं की परीक्षा भी पास की.
12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुरभि ने स्टेट इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा को भी अच्छे अंको से पास किया. भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया. यहां उन्हें कमजोर इंग्लिश की वजह से हीन भावना का शिकार होना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने सबसे ज्यादा इंग्लिश पर जोर दिया. इससे उनकी इंग्लिश कुछ दिनों में ही अच्छी हो गई. इसके लिए उन्हें इंजीनियरिंग कॉलेज में अवॉर्ड भी मिला था.
सुरभि की सफलता की तो बस अभी शुरुआत हुई थी. उनका दसवीं का रिजल्ट आया तो इस बार उन्होंने मैथ्स के साथ ही साइंस में भी 100 में 100 अंक प्राप्त किए थे साथ ही उनकी अच्छी रैंक भी आयी थी. ऐसे में एक पत्रकार उनका इंटरव्यू करने पहुंचने और उनसे पूछा कि बड़े होकर क्या बनेंगी. सुरभि ने इसके पहले कभी गंभीरता से नहीं सोचा था कि करियर किस क्षेत्र में बनाएंगी. उन्होंने वही जवाब दिया कि नहीं पता. इस पर उन्हें कहा गया कि ये क्या जवाब हुआ कुछ तो कहिये तो उन्होंने ऐसे ही जो दिमाग में आया कह दिया कि बड़े होकर कलेक्टर बनूंगी, बस अगले दिन की हेडलाइन में यह छप गया. दरअसल ये अगले दिन के अखबार के साथ ही सुरभि के मन में भी कहीं छप गया था जो आगे चलकर सामने आया.
गांव की पहली लड़की जो बाहर पढ़ने गयी
सुरभि पढ़ाई में लगातार कमाल कर रही थी और उनको पीसीएम में सबसे ज्यादा अंक लाने के कारण एपीजे अब्दुल कलाम स्कॉलरशिप भी मिल गयी थी. 12वीं के बाद सुरभि गांव से बाहर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए गयीं और वहां की पहली लड़की बनी जो गांव से बाहर पढ़ने गयी. क्लास में पहुंची तो टीचर्स से छिपती घूमीं क्योंकि एक गांव की लड़की के लिए सब कुछ बहुत नया और अनोखा था खासकर इंग्लिश भाषा. सब बच्चे जहां तड़ीपड़ इंग्लिश में आंसर कर रहे थे वहीं सुरभि सवाल का जवाब आने पर भी इंग्लिश न आने की वजह से कोई जवाब नहीं दे पायीं.
लैब में एक्सपेरिटमेंट नहीं कर पायीं क्योंकि उनके लिए सब नया था. वो उनकी जिंदगी का सबसे खराब दिन था. हॉस्टल आकर वे खूब रोयीं और घर फोन करके कहा कि वापस आ रही हैं. उनकी मां ने बस इतना ही कहा कि अगर तुम वापस आ गयीं तो गांव की बाकी लड़कियों के लिए हमेशा के लिए रास्ता बंद हो जाएगा. तब सुरभि की आत्मा जागी और उन्होंने तय किया की चाहे जो हो जाए इंग्लिश पर कमांड करके ही रहेंगी. उस दिन से वे दिन-रात मेहनत करने लगीं और रिजल्ट कुछ ही दिनों में सामने था.
सुरभि ने पायी एक के बाद एक सफलता
सुरभि के लिए ये एक नये विस्तार का समय था. कॉलेज से निकली तो यूपीएससी के लिये मिनिमम ऐज से कम थीं. इस बीच गेट, इसरो, सेल, एमपीपीएससी सभी एग्जाम दे डाले और इनके 6 महीने बाद आईईएस एग्जाम भी. क्या आप यकीन करेंगे कि सुरभि पहली ही बार में सभी परीक्षाएं पास कर गयीं. यही नहीं आईईएस में उनकी एआईआर रैंक 01 आयी और जितने अंक उनके आये थे, यूपीएससी के इतिहास में कभी किसी लड़की के नहीं आये.
इंजीनियरिंग कंप्लीट होते ही कॉलेज प्लेसमेंट के समय ही सुरभि को टीसीएस मैं जॉब मिल गई. उनका लक्ष्य नहीं था वह कुछ और करना चाहती थी, इसलिए उन्होंने जॉब ज्वाइन नहीं किया. फिर सुरभि ने ISRO, BARC, GTE, MPPSC, SAIL, FCI, SSC और दिल्ली पुलिस ऐसे बहुत से कंपटीशन एग्जाम दिए एग्जाम में अच्छे नंबरों से पास भी हुई. 2013 में उन्होंने IES परीक्षा पास की. इस परीक्षा में उनकी ऑल इंडिया लेवल में फर्स्ट रैंक आई थी. 2016 में आईएएस की परीक्षा भी ट्रैक कर ली और आईएएस ऑफिसर बन गई.