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“चार्जशीट में मेरा नाम राजनीतिक षड़यंत्र का हिस्सा” महादेव एप मामले की चार्जशीट में नाम होने पर पूर्व सीएम बोले, अब ED का काम..

रायपुर 6 जनवरी 2024। चार्जशीट में नाम आने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर ED को आड़े हाथों लिया है। राजनीतिक षड़यंत्र का आरोप लगाते हुए भूपेश बघेल ने कहा है कि ईडी कूटरचना और दवाब बनाकर उनका नाम लेने के लिए आरोपियों पर दवाब बना रही है। इधर, ईडी के वकील ने इस बात के संकेत दिये हैं कि पूछताछ के लिए पूर्व मुख्यमंत्री को भी ईडी समंस जारी कर सकती है। सप्लीमेंट्री चार्जशीट में खुद का नाम दर्ज होने पर भूपेश बघेल ने X पर अपना पक्ष विस्तारपूर्वक लिखा है।

पूर्व सीएम ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिस तरह से मेरा नाम लिखा है, वह पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। ईडी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कूटरचना कर लोगों को गिरफ़्तार कर रही है और उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के ख़िलाफ़ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं उनका कोई आधार नहीं है। जिस असीम दास के पास से रुपए बरामद हुए थे उसने जेल से अपने हस्तलिखित बयान में कह दिया है कि उन्हें भी धोखे में रखकर फंसाया गया है और उन्होंने कभी किसी राजनेता व उनसे जुड़े लोगों को पैसा नहीं पहुंचाया।

अब ईडी दावा कर रही है कि उसने यह बयान भी वापस ले लिया है। यह किस दबाव में हो रहा है, उसे सब जानते हैं। अब सवाल यह है कि ईडी ने जिस दिन कथित रूप से असीम दास से रुपए बरामद किए थे उस घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास है। इसका मतलब है कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसका मतलब यही है कि इसकी कूटरचना ईडी ने ही की थी। ईडी ने दावा किया है कि चंद्रभूषण वर्मा ने भी अपना पहले का बयान वापस ले लिया है। हम तो शुरुआत से कह रहे हैं कि ईडी मारपीट से लेकर धमकी देने तक हर हथकंडे अपनाकर मेरा व मेरे सहयोगियों का नाम लेने का दबाव बना रही है। ईडी के नए दस्तावेज से यह और स्पष्ट हो गया है। महादेव ऐप के घोटाले की जाँच मैंने ही मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शुरू की थी।

मैं चाहता था कि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे। छत्तीसगढ़ सरकार की इस जाँच के आधार पर ही ईडी धन-शोधन का मामला बनाकर जाँच कर रही है लेकिन दुर्भाग्य है कि ईडी ने जाँच को अपराध की बजाय राजनीतिक दबाव व बदनामी का हथियार बना लिया है। महादेव ऐप के पूरे मामले को जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया है उससे साफ है कि इसका उद्देश्य अब असली अपराधियों को बचाने और राजनीतिक दुष्प्रचार कर भाजपा को फायदा पहुँचाने का ही रह गया है।

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