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NW न्यूज 24 स्पेशल : “लाख” होगा लाखों का: CM भूपेश के फैसले से बदलेगी लाख उत्पादक किसानों की किस्मत… बिना ब्याज मिलेगा खेती के लिए ऋण…

रायपुर, 19 नवम्बर 2022। छत्तीसगढ़ में लाख उत्पादन की अपार संभावन है। लिहाजा राज्य सरकार की तरफ से लाख उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के लाख उत्पादक किसानों को बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी आय में बढ़ोत्तरी के लिए राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिए मदद सहित आवश्यक व्यवस्था के निर्देश दिये हैं। राज्य में वर्तमान में 4 हजार टन लाख का उत्पादन होता है, जिसका अनुमानित मूल्य राशि 100 करोड़ रूपए है। राज्य में लाख उत्पादन को 10 हजार टन तक बढ़ाते हुए 250 करोड़ रूपए की आय कृषकों को देने का लक्ष्य है।

राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने हेतु कृषकों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिए क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय क्रय दर 550 रूपए प्रति किलो ग्राम तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय क्रय दर 275 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। इसी तरह कृषकों को बीहन लाख उपलब्ध कराने हेतु विक्रय दर का भी निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त ) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 640 रूपए प्रति किलोग्राम और रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 375 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।

राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जिला सहकारी बैंक के माध्यम से लाख फसल ऋण निःशुल्क ब्याज के साथ प्रदाय करने हेतु व्यवस्था की गई है। इसके तहत लाख पालन करने हेतु पोषक वृक्ष कुसुम पर 5 हजार रूपए, बेर पर 900 रूपए तथा पलाश पर 500 रूपए प्रति वृक्ष ऋण सीमा निर्धारित है। लाख पालन को वैज्ञानिक पद्धति से करने हेतु राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा कांकेर में प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया है। इस केन्द्र में 03 दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण के साथ लाख उत्पादन क्लस्टर में ऑनफार्म प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

राज्य में योजना के सफल क्रियान्वयन और लाख उत्पादन में वृद्धि करने के लिए 20 जिला यूनियनों में 03 से 05 प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए लाख उत्पादन क्लस्टर का गठन भी किया गया है। इसके तहत प्रत्येक लाख उत्पादन क्लस्टर में सर्वेक्षण कर कृषकवार बीहन लाख की मांग की जानकारी ली जा रही है। इनमें कृषकों को संघ द्वारा निर्धारित मूल्य पर बीहन लाख प्रदाय करने हेतु आवश्यक कुल राशि को अग्रिम रूप से जिला यूनियन खाते में जमा कराना होगा। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख के लिए कृषकों से प्राप्त मांग के अनुरूप राशि जमा किए जाने हेतु 15 दिसंबर तक समय-सीमा निर्धारित है।

इन इलाकों लाख की खेती भरपूर

भारत में लाख का उत्पादन मुख्यतः बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्यों में होता है।  छत्तीसगढ़ के बस्तर में लाख का उत्पादन कांकेर, सरोना और नरहरपुर की बांस पत्तर, बिहावापरा, भिरौद, शामतरा, मँडराडहा, घोटियावाही, देव डोंगर, धनेसरा, भैंस मुंडी, देवरी, बुदेली, अभनपुर, मानिकपुर और बाबू साल्हेटोला ग्राम पंचायतों में अधिक होता है। इन क्षेत्रों में पलाश, कुसुम, बेर, खैर, डुमर, बबूल आदि के वृक्ष बहुतायत से पाए जाते हैं जो लाख के कीड़ों के पालन के लिए उपुक्त होते हैं। यहाँ लाख की खेती के लिए केरिया लैक्का नामक कीड़े का उपयोग किया जाता है, जिसकी यहाँ दो नस्लें लोकप्रिय हैं, कुसुमी और रंगीनी।

लाख की भरपूर कीमत सरकार दे रही है

छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ ने बीहन लाख की आपूर्ति, मार्केटिंग और लोन की उपलब्धता जैसी तमाम व्यवस्थाएं की हैं. राज्य में लाख की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने इसकी खरीद के मूल्य भी तय कर दिये हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो कुसुमी बीहन लाख यानी बेर के पेड़ से प्राप्त लाख की क्रय दर 550 ​रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि रंगीनी बीहन लाख यानी पलाश के पेड़ से प्राप्त लाख की क्रय दर 275 ​रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है. वहीं किसानों को इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कुसुमी बीहन लाख (बेर के पेड़ से प्राप्त ) के लिए किसानों कृषकों को देय विक्रय दर 640 ​रुपये प्रति किलोग्राम रखी गई है. वहीं रंगीनी बीहन लाख (पलाश के पेड़ से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 375 ​रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित हुई है.

सरकार की तरफ से मिलता है लोन

लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने जिला सहकारी बैंक के माध्यम निःशुल्क ब्याज लोन के साथ-साथ ट्रेनिंग की भी व्यवस्था की है. कुसुम के पेड़ पर लाख की खेती करने के लिए 5,000 रुपये, बेर के पेड़ पर लाख की खेती के लिए 900 रुपये और पलाश की खेती पर लाख की खेती के लिए 500 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से लोन दिया जाएगा. वहीं वैज्ञानिक विधि से लाख की खेती के लिए राज्य लघु वनोपज संघ ने कांकेर इलाके में एक ट्रेनिंग सेंटर भी खोला है. यहां 03 दिवसीय इंस्टीट्यूशनल ट्रेनिंग के अलाना लाख उत्पादन क्लस्टर में ऑनफार्म ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवाई जा रही है.

50 हजार से अधिक लाख किसान

जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीसगढ़ में लाख की परंपरागत खेती की जाती है. लाख यहां के ग्रामीण और जनजातीय इलाकों की नकदी फसल है. राज्य में करीब 50,000 से अधिक किसान आज लाख की खेती से जुड़े हुए हैं. यहां कुसुम और बेर के पेड़ों पर कुसुमी लाख, पलाश और बेर के पेड़ों पर रंगीनी लाख का उत्पादन किया जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, अकेले छत्तीसगढ़ से 4,000 करोड़ टन लाख का उत्पादन मिल रहा है, जिसकी कीमत लगभग 100 करोड़ ​रुपये के आस-पास है. राज्य सरकार ने  लाख के उत्पादन को 10,000 टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिससे किसानों की आय को 250 करोड़ रुपये करने की योजना है. 

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