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NW स्टोरी- राम वन गमन पर्यटन परिपथ,जहां पड़े थे प्रभु राम के पग, उस पावन छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के जरिए श्री राम से जुड़ी निशानियों को संरक्षित कर रही भूपेश सरकार

रायपुर 10 जून 2023 छत्तीसगढ़ के भांचा राम यानि प्रभुराम यहां कण-कण में व्याप्त हैं. छत्तीसगढ़ वो पावन भूमि है जहां से वनवास काल के दौरान न सिर्फ प्रभु राम भ्राता लक्ष्मण और माता सीता के साथ गुजरे, बल्कि लम्बे वक्क्त तक विश्राम भी किया. बावजूद इसके पिछली सरकार के दौरान तक प्रभु श्रीराम के वन गमन को संरक्षित और संवर्धित करने की दिशा में ज्यादा काम नहीं हुए. न ही दुनिया के एकमात्र कौशल्या माता मंदिर के जीर्णोद्धार के बारे में निर्णय लिया गया. लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने और मुख्यमंत्री के तौर पर प्रभु श्री राम के भक्त भूपेश बघेल की ताजपोशी के साथ ही न सिर्फ राम वन गमन को लेकर बल्कि माता कौशल्या के मन्दिर जीर्णोद्धार का मार्ग भी प्रशस्त हुआ. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व वाली सरकार में न सिर्फ भगवान श्री राम के पदचिन्हों को संजोने की कार्ययोजना बनी, बल्कि उसे अमलीजामा भी पहनाया गया. प्रदेश सरकार ने इसके लिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ योजना लाया.

राम वन गमन पर्यटन परिपथ उन जगहों से होकर गुजर रही है, जहां भगवान राम के पैर पड़े हैं. इसमें कोरिया से लेकर सुकमा तक का हिस्सा है. 50 फीसदी से ज्यादा छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ का काम पूरा भी हो गया है. छत्तीसगढ़ में भगवान राम का ननिहाल है. ऐसे में सरकार उन सभी जगहों को संवारने में जुटी है, जहां से भगवान राम से जुड़ी कथा और वर्णन जुड़ी है.

छत्तीसगढ़ में जहां भगवान राम के पैर पड़े उसका पूरा रूट मैप समझिए

राम वन गमन पर्यटन परिपथ छत्तीसगढ़ में उन नौ स्थानों से गुजर रही है, जहां भगवान राम से जुड़ी यादे हैं. इन नौ स्थानों पर विकास काम बेहद तेजी से किया जा रहा है. इनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-साऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं

इसमें चंदखुरी रायपुर में मन्दिर जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का काम लगभग पूरा हो चुका है. यहां की अलौकिक छटा अब देखते ही बनती है. यहां भगवान श्री राम की 51 फीट ऊंची बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है और पूरे मन्दिर परिसर को बेहद खूबसूरत बनाया गया है. वहीं शिवरीनारायण के साथ राजिम और तुरतुरिया और अन्य चिन्हित स्थानों में भी काम जारी है.

छत्तीसगढ़ में जिन जगहों पर काम चल रहा है, वहां खूबसूरत वादियां हैं. भूपेश बघेल सरकार की कोशिश है कि पर्यटन की दृष्टिकोण से इन जगहों को संवारा जाए. साथ ही उन जगहों पर सुंदर पुष्प वाटिकाएं भी लगाई जा रही हैं.

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ की लंबाई 528 किलोमीटर है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के मुताबिक परिपथ में सड़क पर दोनों ओर खूबसूरत फूल के पौधे लगाए भी लगाए जा रहे हैं. वन विभाग की तरफ इसकी शुरुआत हो गई है.

राम वन गमन पर्यटन परिपथ की लंबाई और बजट-

राम-वन-गमन पथ के मुख्य मार्ग सहित उप मार्गों की कुल लंबाई करीब 2260 किलोमीटर है. पहले चरण में 133 करोड़ 55 लाख रुपए की लागत से पर्यटन परिपथ के विकास और सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है

राम वन गमन पर्यटन परिपथ पर पड़ने वाली जगहों की खासियत-

जगदलपुर- यह बस्तर का जिला मुख्यालय है. यहां के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम वनवास काल में यहां से गुजरे थे. जगदलपुर के जंगलों से चित्रकूट के लिए रास्ता जाता है. पांडुओं के अंतिम राजा काकतिया ने अपनी यहां राजधानी बनाई थी.

सिहावा- सिहावा छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में पड़ता है. यहां की पहाड़ियों पर अलग-अलग ऋषियों का आश्रम है. भगवान राम ने दंडकारण्य के आश्रण में वनवास के दौरान ऋषियों से भेंटकर कुछ समय गुजारे थे. सिहावा में शरभंग, अगस्त्य, अंगिरा, श्रृंगि, कंकर, मुचकुंद और गौतम ऋषि के आश्रम हैं

राजिम- यह गरियाबंद जिले में पड़ता है. इसे गरियाबंद का प्रयाग कहते हैं. राजिम में सोंढुर, पैरी और महानदी का संगम है. वनवास के दौरान भगवान राम ने यहां अपने कुलदेवता महादेव की पूजा की थी. संगम पर कुलेश्वर महाराज का मंदिर है

चंदखुरी- यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित है. 126 तालाब वाले गांव के रूप में इसकी पहचान है. जलसेन तालाब के बीच में भगवान राम की मां कौशल्या माता का मंदिर है. दुनिया में एक मात्र यह जगह है, जहां माता कौशल्या का मंदिर है. कहा जाता है कि चंदखुरी में ही माता कौशल्या का जन्म हुआ है. इसलिए चंदखुरी को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है

तुरतुरिया- यह बलौदबाजार भाटपारा में पड़ता है. यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है. कहा जाता है कि लव-कुश की जन्मस्थली तुरतुरिया है. बलभद्री नाले का पानी चट्टानों के बीच से निकलता है. इसमें तुरतुर की आवाज आती है, यही वजह है कि इस जगह का नाम तुरतुरिया है

शिवरीनारायण- शिवरीनारायण जांजगीर चांपा जिले में पड़ता है. भगवान राम ने यहां रुककर शबरी के जूठे बेर खाए थे. शिवरीनारायण में ही जोक, शिवनाथ और महानदी का संगम है. इस जगह पर नर-नारायण और शबरी का मंदिर है. मंदिर के पास स्थित वट वृक्ष के पत्ते दोने के आकार के हैं

रामगढ़ की पहाड़ी- यह सरगुजा जिले में पड़ता है. रामगढ़ की पहाड़ी पर तीन कक्षों वाली सीताबेंगरा गुफा है. वनवास के दौरान भगवान राम यहां पहुंचे थे. इसमें सीता का कमरा था

75 जगहों पर होना है सौंदर्यीकरण का कार्य-

दरअसल, छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ से जुड़े जगहों के साथ-साथ कुल 75 जगहों को चिह्नित किया गया है, जिसे नए पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है. ये सभी जगह भगवान राम के वनवास काल से संबंधित है. उन जगहों का भगवान राम से कोई न कोई नाता है. पहले चरण में नौ जगहों पर काम चल रहा है. इसमें उत्तरी छत्तीसगढ़ में कोरिया से लेकर दक्षिण में सुकमा तक शामिल है……

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