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शिक्षकों की खबर: निरस्तीकरण मामले में संशोधन पूर्व शालाओं में ही करना होगा ज्वाइन, स्कूल शिक्षा विभाग को महाधिवक्ता कार्यालय से मिला मार्गदर्शन

रायपुर 13 नवंबर 2022। संशोधन निरस्तीकरण प्रभावित शिक्षकों को फिलहाल संशोधन पूर्व शाला में ही ज्वाइन करना होगा। राज्य सरकार ने महाधिवक्ता कार्यालय से जो मार्गदर्शन मांगा था, उसका जवाब भेज दिया गया है। जानकारी के मुताबिक पत्र में प्रीवियस स्कूल शब्द को स्पष्ट करते हुए यह बताया गया है कि संबंधित शिक्षकों को मूल शाला यानी पदोन्नति के उपरांत जिन शालाओं में उन्हें नियुक्त किया गया था, उन्हें उन्हें शालाओं में ज्वाइन करना होगा।

आपको बता दे की 3 नवंबर को हाईकोर्ट ने संशोधन निरस्तीकरण मामले में फैसला सुनाया था, जिसके तहत संशोधन निरस्तीकरण मामले में 45 दिन के भीतर कमेटी को निर्णय लेने के लिए कहा गया था। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की अगुवाई में एक कमेटी बनाने का आदेश दिया था, इस कमेटी में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग के अलावा डीपीआई और पांचो संभाग के संयुक्त संचालक को भी रखने का आदेश दिया गया था। याचिकाकर्ताओं को यह निर्देश था, कि वह 15 दिनों के भीतर कमेटी के समक्ष आवेदन करेंगे और कमेटी उन आवेदनों पर 45 दिन के भीतर अपना फैसला लेगी।

हालांकि वेतन संबंधी शिकायतों पर हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि शिक्षक प्रीवियस स्कूल में ज्वाइन करेंगे, ताकि उनका वेतन जारी हो सके। हालांकि प्रीवियस स्कूल के शब्द को लेकर ही अधिकारी कंफ्यूज थे, जिसे लेकर कई संयुक्त संचालकों ने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर प्रीवियस शब्द को स्पष्ट करने को कहा था। जानकारी यह चाही गई थी कि प्रीवियस स्कूल किसे माना जाए ? संशोधन पूर्व शाला को प्रीवियस स्कूल माना जाएगा या जहां संशोधन के बाद पदस्थ हुए शिक्षक थे उसे प्रीवियस स्कूल कहा जाएगा।

इस बाबत स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से महाधिवक्ता कार्यालय से इसका मार्गदर्शन मांगा था, जिसके बाद महाधिवक्ता कार्यालय ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र भेज कर स्थिति स्पष्ट की है। यह पत्र शिक्षकों के लिए नई परेशानी बन सकता है।

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