ब्यूरोक्रेट्स

IAS काडर नियमों में बदलाव के खिलाफ में छत्तीसगढ़ सहित चार राज्यों के मुख्यमंत्री……पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से जतायी अपनी नाराजगी …जानिये क्या होने वाला है बदलाव

रायपुर 24 जनवरी 2022। IAS काडर नियमों में संशोधन पर छत्तीसगढ़ सहित चार राज्यों के मुख्यमंत्री ने ऐतराज जताया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संशोधन पर आत्ति जतायी है और PM को पत्र भी लिखा है। इससे पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने काडर नियमों में बदलाव पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। काडर नियमों के विरोध में केरल, महाराष्ट्र सरकार भी है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार यह संशोधन 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के आगामी सत्र में पेश कर सकती है। इसको लेकर केंद्र ने 25 जनवरी से पहले राज्यों से उनका जवाब मांगा है।

मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा था कि मौजूदा नियमों में बदलाव से ना सिर्फ अफसरों में अनिश्चितता की भावना आयेगी, बल्कि कामकाज भी प्रभावित होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि बदलाव के बाद चुनाव में ब्यूरोक्रेट की निष्पक्षता पर भी सवाल उठने लगेंगे। दरअसल, मोदी सरकार आईएएस (कैडर) रूल्स, 1954 में बदलाव करना चाहती है। इसके अनुसार, राज्य सरकारों के आरक्षण (अधिकार) को बायपास कर केंद्र किसी भी आईएएस अफसर को डेपुटेशन पर बुला सकती है।

वहीं, केरल और तमिलनाडु के सीएम ने भी मोदी सरकार को पत्र लिख इस बाबत चिंता जाहिर की है। केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने पत्र लिखकर कहा है, “वर्तमान प्रतिनियुक्ति नियम स्वयं संघ के पक्ष में भारी हैं। और सख्ती लाने से सहकारी संघवाद की जड़ कमजोर हो जाएगी” तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में प्रस्तावित संशोधनों को छोड़ने का अनुरोध किया और कहा कि “इसके बजाय राष्ट्र की संघीय भावना को और मजबूत करने के लिए राज्य सरकार के साथ जुड़ें।”

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा था पत्र

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा, अखिल भारतीय सेवा के कैडर नियमों में संशोधन का प्रस्ताव, अधिकारियों की पदस्थापना के अधिकार एकपक्षीय रूप से बिना राज्य सरकार अथवा संबंधित अधिकारी की सहमति के प्रदान करते हैं। यह संविधान में रेखांकित संघीय भावना के पूर्णत: विपरीत है। छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी कानून व्यवस्था, नक्सल हिंसा के उन्मूलन, राज्य के सर्वांगिण विकास, वनो के संरक्षण सहित विभिन्न प्रशासनिक कार्यों में अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। नियमों में बदलाव से इन अधिकारियों में अस्थिरता और अस्पष्टता का भाव जागृत होना स्वाभाविक है।

इससे उनके शासकीय दायित्वों के निर्वहन में असमंजस की स्थिति निर्मित होगी। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण निष्पक्ष होकर काम करना विशेषकर निर्वाचन के समय निष्पक्ष होकर चुनाव संचालन संभव नहीं होगा। राज्यों में प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा सकती है एवं अस्थिरता की स्थिति निर्मित हो सकती है।

क्या है कैडर नियम: आईएएस (कैडर) नियम, 1954 के मुताबिक इसके अंतर्गत आने वाले अधिकारियों की भर्ती केंद्र द्वारा होती है लेकिन राज्य कैडर आवंटित किए जाने के बाद वे राज्य सरकार के अधीन आ जाते हैं। आईएएस कैडर नियमों के मुताबिक एक आईएएस अधिकारी को संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति के बाद ही केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन सेवा के लिए प्रतिनियुक्त किया जा सकता है।

क्या है संशोधन: कार्मिक मंत्रालय ने प्रस्ताव में कहा है कि केंद्र की जरूरतों के हिसाब से प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है। ऐसे में नियमों में बदलाव के लिए केंद्र ने प्रस्ताव दिया है। जिसके मुताबिक सभी राज्य सरकार मौजूदा नियमों के तहत तय किये गये केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व की सीमा तक अलग-अलग स्तरों के पात्र अधिकारियों की उपलब्धता केंद्र सरकार को देंगे।

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