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हाईकोर्ट : सस्पेंशन पीरियड नहीं बढ़ाने पर कर्मचारी निलंबन से बहाल होने का पात्र, हाईकोर्ट ने सचिव को दिया ये निर्देश

बिलासपुर 4 अगस्त 2023। विभाग की तरफ से अगर सस्पेंशन पीरियड को बढ़ाया नहीं जाता है, तो संबंधित कर्मचारी को निलंबन से बहाल होने का पात्र है। दरअसल दुर्ग की रहने वाली डॉ. वंदना भेले मुख्य अस्पताल अधीक्षक के पद पर जिला बेमेतरा में पदस्थ थी। उनके द्वारा स्थानांतरित स्थल, जिला-दुर्ग में विलंब से ज्वाईनिंग दिये जाने पर स्वास्थ्य सचिव ने 13 फरवरी 2023 को निलंबित कर दिया था। बाद में 21 मार्च 2023 को सचिव, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आरोप पत्र जारी किया गया।

निलंबन आदेश से नाराज डॉ. वंदना भेले ने हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की । अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा द्वारा हाईकोर्ट के स यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि चूंकि डॉ. वंदना भेले द्वारा पारिवारिक परेशानियों के कारण स्थानांतरित स्थल पर विलंब से ज्वाइन किया था, उनके द्वारा जानबूझकर आदेश की अवहेलना नहीं की गई थी। इसके साथ ही अधिवक्तागण द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा सचिव एवं अन्य के बाद का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि यदि किसी शासकीय अधिकारी/कर्मचारी को सेवा से निलंबित कर 90 दिवस के भीतर आरोप पत्र जारी कर दिया जाता है।

इसके बावजूद भी यदि वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीन कर्मचारी को लगातार निलंबित रखना चाहते हैं तो उन्हें निलंबन के 90 (नब्बे) दिवस के भीतर अधिकारी/कर्मचारी को लगातार निलंबन में रखे जाने का पर्याप्त एवं विशेष कारण बताते हुए निलंबन के विस्तारण का आदेश जारी किया जाना आवश्यक है। निलंबन का एक्सटेंशन आदेश जारी ना किये जाने से शासकीय कर्मचारी निलंबन से बहाली का पात्र है।

चूंकि याचिकाकर्ता के मामले में स्वास्थ्य सचिव रायपुर द्वारा डॉ. वंदना भेले को निलंबित कर आरोप पत्र जारी कर दिया गया परन्तु लगातार निलंबन में रखने का विशेष एवं ठोस कारण बताते हुए विस्तारण आदेश जारी ना किये जाने से याचिकाकर्ता निलंबन से बहाली का पात्र है। उच्च न्यायालय बिलासपुर ने उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् रिट याचिका को स्वीकार कर सचिव स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देशित किया गया कि निलंबन से बहाली एवं निलंबन भत्ता प्रदाय किये जाने के लिए तत्काल याचिकाकर्ता के आवेदन का निराकरण करें।

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