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HC के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- अतिक्रमण पर फिलहाल नहीं होगी कार्रवाई….HC ने कहा “रातों-रात 50 हजार लोगों को नहीं उजाड़ा जा सकता”

हल्द्वानी 05 जनवरी 2023: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में करीब 50 हजार लोगों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर स्टे लगा दिया है, जिसमें रेलवे को सात दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कौल ने कहा कि इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि मामले में समाधान की जरूरत है।

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से 4500 घरों को खाली करने की कवायद का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अतिक्रमण हटाकर रेलवे की जमीन खाली करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले का समाधान निकालने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं की याचिकाओं समेत कुल 6 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिककर्ताओं की दलील थी कि हाईकोर्ट के सामने सही फैक्ट नहीं रखे गए और बनभूलपुरा में जो लोग 100 साल से भी ज्यादा वक्त से रह रहे हैं उन्हें हटाना ठीक नहीं हैं।

‘किसी को रातों-रात नहीं हटाया जा सकता’
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जमीन भले ही सरकारी हो लेकिन क्या प्रभावित परिवारों के पुनर्वास कोई इंतजाम किया गया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका रातों-रात घर नहीं बना सकते, इसलिए सरकार को इस मामले का कोई व्यावहारिक रास्ता निकालना होगा। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि मामले का एक मानवीय पहलू भी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लटकाकर नहीं रखा जा सकता इसलिए इसका समाधान करना होगा। कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि कब्जे वाली जगह पर आगे कोई भी नया निर्माण नहीं होना चाहिए।

सबसे पहले पूरा मामला समझते हैं…
दरअसल, हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की 29 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर कई साल पहले कुछ लोगों ने कच्चे घर बना लिए थे। धीरे-धीरे यहां पक्के मकान बन गए और धीरे-धीरे बस्तियां बसती चली गईं। नैनीताल हाईकोर्ट ने इन बस्तियों में बसे लोगों को हटाने का आदेश दिया था।

रेलवे ने समाचार पत्रों के जरिए नोटिस जारी कर अतिक्रमणकारियों को 1 हफ्ते के अंदर यानी 9 जनवरी तक कब्जा हटाने को कहा। रेलवे और जिला प्रशासन ने ऐसा न करने पर मकानों को तोड़ने की चेतावनी दी है। लोग अब अपने घरों को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

हल्द्वानी ​​​​​​के ​बनभूलपुरा में 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। इनमें अधिकतर मुस्लिम हैं। सूत्रों के मुताबिक, आजादी के पहले इस हिस्से में बगीचे, लकड़ी के गोदाम और कारखाने थे। इनमें उत्तर प्रदेश के रामपुर, मुरादाबाद और बरेली के अल्पसंख्यक समाज के लोग काम करते थे। धीरे-धीरे वह यहां बसते गए और रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर कब्जा हो गया।

हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास का यह इलाका करीब 2 किलोमीटर से भी ज्यादा के क्षेत्र को कवर करता है। इन इलाकों को गफ्फूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के नाम से जाना जाता है। यहां के आधे परिवार भूमि के पट्टे का दावा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में 4 सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिद और चार मंदिर हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में क्या कहा गया है?
इस बस्ती को हटाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई है उसमें कहा गया है कि बनभूलपुरा के निवासी सालों से इस जगह पर रह रहे हैं, लिहाजा उन्हें यहां से हटाना ठीक नहीं है। रेलवे की जमीन पर डिमार्केशन नहीं हुआ है। रेलवे ने बार-बार केवल 29 एकड़ जमीन की बात कही थी, पर अब उसे क्यों बढ़ाया जा रहा है? एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर आज सबकी निगाहें लगी हैं तो वहीं उत्तराखंड में सरकारी अमले ने भी बस्ती खाली करवाने के लिए कमर कस ली है।

  • नैनीताल जिला प्रशासन जमीन खाली करने के लिए नोटिस दे चुका है
  • मौके पर पीएसी की 5 कंपनिया तैनात कर दी गई हैं
  • 8 जनवरी तक पीएसी की 3 और कंपनी तैनात कर दी जाएंगी
  • करीब 4000 से 5000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा रही है
  • सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी मांगी गई हैं
  • इलाके को जोन, सेक्टर और सुपरजोन में बांटा गया है
  • उत्तराखंड सरकार के अधिकारी स्थानीय लोगों के साथ बैठकें कर रहे हैं

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