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ब्रेकिंग: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के 50वें चीफ जस्टिस के तौर पर ली शपथ….दादा थे दीवान, पिता रहे CJI और अब बेटा भी बना प्रधान न्यायाधीश; दे चुके हैं ये बड़े फैसले

नई दिल्ली 09 नवंबर 2022: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पद संभाल लिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में जस्टिस चंद्रचूड़ को शपथ दिलाई। बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूर्व सीजेआई यूयू ललित की जगह ली।

सुप्रीम कोर्ट के मोस्ट सीनियर जज धनंजय वाई. चंद्रचूड़ भारत के नए मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) बने। आज यानी बुधवार को उन्होंने CJI पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में देश के 50वें CJI जस्टिस चंद्रचूड़ को पद की शपथ दिलाई। जस्टिस चंद्रचूड़ अपने ऐतिहासिक फैसलों को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश 65 साल की उम्र तक पद पर बने रह सकते हैं। वह न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित का स्थान लेंगे जिन्होंने 11 अक्टूबर को उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। यू.यू ललित को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 17 अक्टूबर को CJI नियुक्त किया था। 

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम अनगिनत ऐतिहासिक फैसले हैं. हाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक ऐतिहासिक फैसले में, जिसने महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया। अविवाहित या अकेली गर्भवती महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात करने से रोकने के कानून को रद्द कर सभी महिलाओं को ये अधिकार दिया है। पहली बार मेरिटल रेप को परिभाषित करते हुए पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने से गर्भवती विवाहित महिलाओं को भी नया अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि ये समानता के अधिकार की भावना का उल्लंघन करता है।

जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों का हिस्सा भी रहे हैं. अयोध्या का ऐतिहासिक फैसला, निजता के अधिकार, व्यभिचार को अपराध से मुक्त करने और समलैंगिता को अपराध यानी IPC की धारा 377 से बाहर करने, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, और लिविंग विल जैसे बड़े फैसले दिए हैं। वे उन जजों में से एक हैं, जिन्होंने कभी-कभी अपने साथी जजों के साथ सहमति भी नहीं जताई – आधार के प्रसिद्ध फैसले में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने बहुमत से असहमति जताते हुए कहा था कि आधार को असंवैधानिक रूप से धन विधेयक के रूप में पारित किया गया था और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था। 

उन्होंने भीमा कोरेगांव में कथित रूप से हिंसा भड़काने के आरोपी पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से संबंधित एक मामले में भी असहमति जताई थी, जब पीठ के अन्य दो जजों ने पुणे पुलिस को कानून के अनुसार अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को मेहनती जज कहा जाता है। अपने पिछले जन्मदिन पर भी लगातार कई घंटों तक काम करते रहे हैं।

धनंजय वाई. चंद्रचूड़ के पिता लगभग सात साल और चार महीने तक भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी CJI का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक मुख्य न्यायाधीश रहे। यह पहली बार होगा जब पिता के बाद बेटा भी भारत का मुख्य न्यायधीश बनेगा। अब पिता की विरासत को संभालने के लिए न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ भी उनके ही नक्शे कदमों पर चल रहे हैं। चंद्रचूड़ अपने कई ऐतिहासिक फैसलों को लेकर चर्चा में रहे हैं। बता दें कि देश के 50वें मुख्य न्यायधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ बड़े ही धैर्य से मामलों की सुनवाई करते हैं। कुछ दिन पहले ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने लगातार दस घंटे तक सुनवाई की थी। सुनवाई पूरी करते हुए उन्होंने कहा भी था कि कर्म ही पूजा है। कानून और न्याय प्रणाली की अलग समझ की वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ ने दो बार अपने पिता पूर्व चीफ जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के फैसलों को भी पलटा है।

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