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CG POLITICS : CM विष्णुदेव साय को बधाई देने पहुंचे कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय,तो क्या घर वापसी करेंगे नंदकुमार ?

रायपुर 10 दिसंबर 2023। छत्तीसगढ़ को अंततः पहले आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में विष्णुदेव साय की ताजपोशी हो गयी है। मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होते ही विष्णुदेव साय को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। राजधानी रायपुर में बधाई देने वालों की भीड़ में आदिवासियों की राजनीति करने वाले कद्दावर नेता नंदकुमार साय भी विष्णुदेव साय को बधाई देने पहुंचे। करीब घंटे भर इंतजार के बाद नंदकुमार साय की मुलाकात तो हुई, लेकिन भारी भीड़ के कारण महज कुछ सेकेंड की मुलाकात के बाद नंदकुमार साय मीडिया से नजरे बचाते हुए लौट गये। ऐसे में अब नंदकुमार साय के घर वापसी को लेकर चर्चाए तेज हो गयी है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की सियासत में आदिवासी समाज को लेकर आवाज बुलंद करने वाले नंदकुमार साय एक वक्त तक बीजेपी के कद्दावर नेता थे। भाजपा के साथ लंबी राजनीति करने वाले वाले नंदकुमार साय कई बार छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की बात भी रख चुके थे। लेकिन तब डाॅ.रमन सिंह के बेहतर कार्यकाल के दौरान को दूसरा विकल्प मजबूत साबित नही हो सका। समय के साथ-साथ नंदकुमार साय की पार्टी में थोड़ी पूछ परख कम हुई तो, उन्होने पार्टी और संगठन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नाराजगी जतायी थी। जिसे लेकर इसी साल नंदकुमार साय ने भाजपा से नाता तोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार ने साय को उपकृत करते हुए सीएसआईडीसी का मुखिया भी बनाया बना दिया था। लेकिन नंदकुमार साय को कांग्रेस से विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की प्रबल उम्मीद थी। लेकिन साय की उम्मींदो को उस वक्त धक्का लगा जब कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा का टिकट ही नहीं दिया। इसके बाद साय को प्रदेश में दोबारा कांग्रेस की सरकार में अहम पद मिलने की उम्मींद थी। लेकिन बीजेपी की रणनीति के सामने कांग्रेस धरासायी हो गयी और प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी पूर्ण बहुमत से आ गयी। राजनीतिक जानकारों की माने तो एक साल में हुए इन सारे राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच नंदकुमार साये को बड़ा झटका विष्णुदेव साय के सीएम बनने पर लगा होगा। क्योंकि बीजेपी में रहते नंदकुमार साय ने आदिवासियों को लेकर मुखर होकर आवाज बुलंद किया।

उनकी पहचान बड़े आदिवासी नेता के रूप में भी थी। नंदकुमार साये कई बार छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुके थे। लेकिन जब बीजेपी हाईकमान ने आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया, तब नंदकुमार साय खुद ही अपनी पार्टी में नही है। ऐसे में विष्णुदेव साय के सीएम बनने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा ये भी होने लगी है कि आज अगर नंदकुमार साय भाजपा में ही रहते,तो सम्भवतः वह भी सीएम पद के बड़े दावेदार होते। पार्टी नेतृत्व उनके दशकों के इंतज़ार को ख़त्म कर प्रदेश की कमान या फिर किसी मजबूत पद की जिम्मेदारी जरूर देती। खैर राजनीति में कई बार महत्कांक्षा भारी पड़ जाती है, जो कि नंदकुमार साय के साथ भी हुआ। ऐसे में जिस तरह से नंदकुमार साय अपने मित्र और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को बधाई देने पहुंचे थे। उससे कयास लगाये जा रहे है आने वाले दिनों में नंदकुमार साय घर वापसी की ओर बढ़ सकते है।

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