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CG: VIDEO: KGF PART 3 – कोलार नही……यहां कोरबा गोल्ड फील्डस हैं साहब ! लूट की खुली छूट….यहां हथियार बंद जवान भी कार्रवाई से कतराते हैं!

रायपुर 19 मई 2022 । KGF पार्ट-1 और पार्ट-2 आप में से अधिकांश लोगों ने रूपहले पर्दे पर जरूर देखी होगी। सोने की खान में इनलिगल माईनिंग और सलतनत पर कब्जें की ये कहानी फिल्मी थी, लेकिन क्या आपने KGF पार्ट-3 देखी हैं……नही देखी होगी ! अगर देखनी हैं तो कोरबा चले जाईये, यहां कोलार नही…. “कोरबा गोल्ड फिल्डस” हैं। फिल्म की तरह रियल कैरेक्टर में गांव वाले हैं, रियल माफिया के रूप मेें प्रहलाद और विशाल सिंह हैं, जिन्होने एसईसीएल की सलतनत पर कब्जा जमा रखा हैं। जिन पर हाथ डालने में खाकी कतराती हैं, इनकी गाड़ियों को रोकने में माईनिंग के हाथ-पाव फूल जाते हैं और कोल माईंस में तैनात हथियार बंद जवान इन पर कार्रवाई करने से पहले सौं बार सोचते हैं।

गौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल और डीजीपी अशोक जुनेजा अवैध कोरोबार और माफियाओं पर सख्ती के साथ उन्हे जड़ से खत्म करने का निर्देश दे रखा हैं। आदेश का नतीजा हैं कि पूरे प्रदेश में अवैध गांजा तस्करी पर पुलिस ने कड़ाई से कार्रवाई करते हुए नशे के सौदागरों के कमर तोड़ दिये हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला में कोल माफियाओं ने KGF फिल्म की तरह एक अलग सलतनत ही बना ली हैं। एसईसीएल माईंस के अंदर और बाहरी इलाके में रोजाना करोड़ो रूपये के कोयले की तस्करी खुलेआम की जा रही हैं। जिसके लिए बकायदा ये माफिया गांव के भोले भाले ग्रामीणों की जान को जोखिम में डालकर रोजाना कोयला चोरी के लिए खदान में उतारा जाता हैं। एशिया की सबसे बड़ी गेवरा कोल माईंस के इस विडियों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दीपका-हरदीबाजार, गेवरा, सरईपाली सहित मानिकपुर खदान में कोल माफिया के इशारे पर कैसे हजारो की संख्या में ग्रामीण खदानों में सीधे घुसकर रोजना हजारों टन कोयले की दिनदहाड़े चोरी कर रहे है।

लेकिन मजाल हैं कि इस सिंडिकेट पर कोई हाथ डाल सके। कहने को एसईसीएल की माईस में त्रिपुरा राईफल्स और केंद्रीय औद्योगिक बल के सशस्त्र जवान तैनात हैं, लेकिन खदान में दिनदहाड़े चोरी करने वाले गांव के इस भीड़ पर कार्रवाई करने से वो भी साैं बार सोचते हैं। पूर्व आईएएस ओं.पी.चौधरी ने गेवरा माईंस के इस विडियों को फेसबूक और ट्वीटर पर ट्वीट कर कर ना केवल कोरबा बल्कि प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े कर दिये हैं। उधर ओ.पी.चौधरी के सोशल मीडिया में कोरबा के मामले को उठाने के बाद पुलिस और माईनिंग विभाग हरकत में आयी। बिलासपुर पुलिस ने केजीएफ पार्ट 3 के सरगना प्रहलाद और विशाल सिंह सिडिंकेट की तीन ट्रेलर चोरी का कोयला जहां बुधवार को बिलासपुर में पकड़ा, वही गुरूवार की सुबह माईनिंग विभाग ने कुसमुंडा और हरदीबाजार क्षेत्र से इसी गिरोह के 2 ट्रक और 2 पिकअप चोरी का कोयला पकड़कर जब्त करने के साथ ही मानिकपुर खदान क्षेत्र से एक ट्रक चोरी का कोयला पकड़ा है। माईनिंग और पुलिस की इस पूरी कार्रवाई पर गौर करे तो माफियाओं की गाड़ियों के चालक पर कानूनी कार्रवाई तक जहां पुलिस सिमित है, वही माईनिंग विभाग चोरी के कोयला पर जुर्माने की कार्रवाई कर जब्त गाड़ियों को समय से पहले छोड़ने में ज्यादा गंभीर नजर आती है।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहीें है कि आखिर इन गाड़ियों और कोयला के अवैध कारोबार के पीछे अपनी सलतनत चलाने वाले प्रहलाद और विशाल सिंह जैसे माफियाओं तक पुलिस के हाथ क्यों नही पहुंचते ? या फिर पुलिस के निचले अफसर इन्हे विशेष संरक्षण देने में अपनी भूमिका निभा रहे है ? आखिर कोरबा से रोजना सैकड़ो ट्रक चोरी का कोयला बिलासपुर, अंबिकापुर होते हुए कलकत्ता और यूपी तक बड़ी ही आसानी से पहुंचा कर खपाया जा रहा है, लेकिन मजाल है कि इन जिलों की पुलिस ने कभी भी इन माफियाओं के सिडिंकेट पर कार्रवाई करने के साथ ही इन्हे बेनकाब किया हो। शायद अफसर इन माफियाओं पर सख्ती जरूर चाहते हो, लेकिन उनके मातहत चंद सिक्कों की खनक पर अपनी जमीर निलाम कर दे रहे है। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि क्या अब थानेदारों की जगह आईपीएस और आईएएस को इन माफियाओं पर नकेल कसने के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा ? क्योंकि कोरबा में कोयले की अवैध कारोबार के इस सिंडिकेट को भेद पाना थानेदारों के बस की बात नजर नही आती। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या लंबे समय से खदान क्षेत्र के थानों में पोस्टेड थानेदार इन माफियाओं के गिरेबा पर हाथ डालते है, या फिर “कोरबा कोलार फिल्डस” की ये रियल कहानी फिल्म बनने तक जारी रहती हैं, ये तो आने वााला वक्त ही बतायेगा।

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