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मौत का पुल अपडेट: मोरबी पुल हादसे में मरने वालों की संख्या 141 पहुंची, 100 से ज्यादा घायल, बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के खोला गया पुल !

गुजरात 31 अक्टूबर 2022। मोरबी पुल हादसे में समय के साथ-साथ मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं। सुबह तक मरने वालों की संख्या 141 से ज्यादा हो गई है। बताया जा रहा हैं कि पुल का रिनोवेशन का काम पूरा होने के बाद पिछले हफ्ते ही आम लोगों के इस्तेमाल के लिए खोला गया था। लेकिन स्थानीय नगर पालिका ने पुल को शुरू करने से पहले कोई फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नही किया गया था।

गौतरलब हैं कि गुजरात के मोरबी में रविवार को हुए पुल हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो गयी हैं। मरने वालों में महिला-पुरूषों के साथ ही बच्चें भी शामिल हैं। पुल मोरबी में मच्छु नदी पर था, जहां लोग रविवार को छठ पूजा और वीकेंड मनाने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे थे। जानकारी के मुताबिक इस घटना के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। बताया गया है कि पुलिस इस पूरे घटना में साजिश या फाउल प्ले के एंगल की भी जांच कर रही है। पुलिस यह देख रही है कि कहीं इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश या कोई अन्य साजिश तो नहीं है।

जानकारी के मुताबिक ओरेवा नाम के एक निजी ट्रस्ट ने सरकार से टेंडर मिलने के बाद इस ब्रीज का रिनोवेशन का काम शुरु किया था और पिछले हफ्ते ही इसे पब्लिक के इस्तेमाल के लिए खोल दिया गया। अधिकारियो ने बताया कि मरम्मत के लिए पुल सात महीने के लिए बंद था। सस्पेंशन ब्रिज नाम से मशहूर इस पुल को 15 साल के लिए ओरेवा कंपनी को संचालन और रखरखाव के लिए दिया गया था। मार्च महीने में पुल के रिनोवेशन का काम शुरु हुआ था और इस दौरान यह पुल लोगों के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला ने बताया कि रिनोवेशन का काम पूरा हो जाने के बाद इसे लोगों के लिए खोला गया। लेकिन पुल को शुरू करने से पहले स्थानीय नगरपालिका ने कोई फिटनेस सर्टिफिट जारी नहीं किया था। पुल को गुजरात के नए साल के मौके पर 26 अक्टूबर को फिर से खोला गया था। इसके बाद पुल पर लोगों की आवाजाही शुरू हो गई थी। इंजीनियरिंग मार्वेल को दर्शाता यह पुल 19वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था।

पुल को मोरबी के शासकों की प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकृति रिफ्लेक्ट करने के रूप में जाना जाता है। इस सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण सर वाघजी ठाकुर ने करवाया था जिन्होंने 1922 तक मोरबी पर शासन किया था। बताया जाता है कि इस पुल का निर्माण दरबारगढ़ पैलेस को नज़रबाग पैलेस से जोड़ने के लिए बनवाया गया था। 1.25 मीटर चौड़े और 233 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण यूरोप में उन दिनों मौजूद टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाया गया था। हादसे के बाद से कोहराम मचा हुआ हैं। पुल के टूटने के बाद से राहत-बचाव कार्य अभी भी जारी हैं। वही इस घटना में घायलों का अस्पताल में उपचार जारी हैं।

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