पॉलिटिकलबिग ब्रेकिंग

कंफ्यूज मत होईये : ….तो क्या पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान नहीं होगा ?….. अनुपूरक में अंशदायी पेंशन की राशि के प्रावधान पर अटकलों का दौर जारी…..लेकिन इस खबर से समझिये अनुपूरक की राशि से ऐलान पर क्यों नहीं पड़ेगा कोई फर्क…सरकार चाहे तो कर सकती है घोषणा..

रायपुर 8 मार्च 2022। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यकाल का चौथा बजट पेश करने जा रहे हैं। कर्मचारी वर्ग को बड़ी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजस्थान की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाली की सौगात जरूर देंगे।

राजस्थान में पुराने पेंशन की घोषणा के बाद से ही लगातार छत्तीसगढ़ में कर्मचारी वर्ग पुरानी पेंशन की आवाज को बुलंद कर रहे हैं। पिछले दिनों कर्मचारी व शिक्षक संगठनों को प्रदेश के विधायकों का भी साथ मिला था, सभी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन बहाली की मांग की थी।

लेकिन उम्मीदों पर अचानक से सस्पेंस तब बढ़ गया जब मंगलवार को विधानसभा अनुपूरक बजट पास हुआ। उस अनुपूरक बजट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संबोधन में कहा कि …

इस अनुपूरक बजट में अन्य प्रावधानों के साथ नवीन अंशदायी पेंशन योजना के लिए 14 प्रतिशत अंशदान के लिए राशि का प्रावधान भी किया गया है

जैसे ही नवीन पेंशन योजना के लिए राशि का प्रावधान किया गया कर्मचारियों के बीच अटकलों का दौर शुरू हो गया अनुपूरक में राशि का प्रावधान करने का मतलब कहीं ये तो नहीं कि राज्य सरकार नये पेंशन को ही बरकरार रखेगी?…कहीं इसलिए अनुपूरक में 14 प्रतिशत अंशदान की राशि का प्रावधान तो नहीं किया गया ?

हालांकि ये बात सपष्ट रूप से समझना चाहिये कि अनुपूरक में नये पेंशन के अंशदान का प्रावधान करने का ये कतई मतलब नहीं है कि सरकार पुरानी पेंशन को बहाल नहीं कर सकती। सरकार अगर चाहे तो पुरानी पेंशन को बहाल करने का ऐलान आज कर सकती है। ऐसे भी अनुपूरक बजट सिर्फ तात्कालीक तौर पर राशि की व्यवस्था के लिए पेश किया जाता है। नये वित्तीय वर्ष के लिए नये बजट के अनुरूप राशि का प्रावधान होता है, उसमें अनुपूरक में प्रावधान की गयी राशि का कोई लेना देना नहीं होता। मतलब इसका सीधा सा ये है कि 492 करोड़ का जो अनुपूरक बजट पेश किया गया है वो सिर्फ नये बजट पूर्व कुछ मदों में राशि की जरूरतों को पूरा करने के लिए पेश किया गया है। अनुपूरक में अंशदायी पेंशन के लिए राशि में प्रावधान करने का मतलब ये कतई नहीं होता कि नये बजट में उसे खत्म नहीं किया जा सकता।

क्यों पेश किया गया अनुपूरक बजट?
मुख्य रूप से supplementary budget राज्य सरकार विपरीत परिस्थितियों में ही पेश करती है. यानी जब किसी विभाग को बजट सत्र में आवंटित की गई धनराशि कम पड़ जाती है तो ऐसे में राज्य सरकारें वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ही अनुपूरक बजट ले आती हैं. सामान्य या वार्षिक बजट पूरे वित्त वर्ष के लिए होता है लेकिन साल के बीच में इस प्रकार के अनुपूरक बजट संवैधानिक परिपाटी है. जानकारों की मानें तो जिस खर्च का पहले से पूर्वानुमान नहीं होता या  इमरजेंसी खर्च या फिर परिस्थिति के हिसाब से खर्च आ जाते हैं. उदाहरण के लिए कोरोना काल में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे खर्चों के लिए विभागों से मांग पत्र लिया जाता है. जब ये अनुपूरक बजट लाया जाता है तो उस दौरान इन बातों को भी रखा जाता है कि जितना अनुपूरक बजट लाया गया है उतनी धनराशि, किन स्रोतों से राजस्व के रूप में राज्य सरकार को मिलेगी.

अनुपूरक बजट पेश करने के होते हैं दो पहलू 
वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले जब राज्य सरकारों को ये लगता है कि जो बजट, सदन से पारित कराया गया उसका तमाम विभागीय योजनाओं में बजट की कमी हो रही है. तब ऐसे में राज्य सरकार सप्लीमेंट्री बजट लेकर आती हैं. उसे सदन से पास करा लेती हैं. साथ ही कहा कि सप्लीमेंट्री बजट पेश करने को दो रूप से देखा जा सकता है. पहला सप्लीमेंट्री बजट अगर राज्य कार्य पेश करती हैं तो इसका मतलब मुख्य बजट पेश करने के दौरान होमवर्क में कमी रह गई, जिसकी वजह से दोबारा बजट का प्रोविजन कराना पड़ रहा. इसके साथ ही इसका दूसरा पहलू है कि वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने पूरी गंभीरता से काम किया, जिसके चलते बजट की कमी हो गई और फिर राज्य सरकार ने सप्लीमेंट्री बजट पेश कर बजट का प्रोविजन किया.

Back to top button