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CORONA से जुड़ी अच्छी खबर- कोविड संक्रमण से लड़ने दूसरे मेड इन इंडिया वैक्सीन को मिली मंजूरी, कोरोना से लड़ाई में स्वदेशी वैक्सीन बनेगा अहम हथियार

 

नई दिल्ली 28 दिसंबर 2021- कोरोना वायरस के संक्रमण से जंग में आज का दिन अहम साबित होने वाला है। सरकार ने आज कोरोना की दो वैक्सीन और दवा को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। जिन दो वैक्सीन्स को मंजूरी मिली है, उनमें एक वैक्सीन नोवावैक्स की कोवोवैक्स है, वहीं दूसरी वैक्सीन भारतीय कंपनी बायोलॉजिकल ई की कोर्बिवैक्स है। सरकार द्वारा मंजूर हुए एंटी कोरोना ड्रग का नाम मोल्नुपिराविर है और इसे मर्क नाम की विदेशी कंपनी ने बनाया है।

गौरतलब है कि कोरोना के पहले फेस में भारत के लिए कोरोना से बचाव में पहली स्वदेशी वैक्सीन को-वैक्सीन ने काफी अहम भूमिका निभाई है। हालांकि अभी भी देश में 88 फीसदी से ज्यादा लोगों को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एस्ट्रा जेनेका द्वारा बनाई गई कोविशील्ड ही लगी है। भारत बायोटेक की सीमित उत्पादन क्षमता की वजह से इस टीके का प्रसार कम ही रहा है।

यहीं वजह है अब भारत में दूसरी मेड इन इंडिया वैक्सीन कोर्बिवैक्स को मंजूरी दी गई है। भारत ने इस वैक्सीन के 30 करोड़ डोज का ऑर्डर इस साल अप्रैल में ही दे दिया था। यह वो समय था, जब इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा था और इसकी प्रभावशीलता को लेकर कोई शुरुआती डेटा भी सामने नहीं आ सकी थी। हैदराबाद की इस निजी कंपनी ने अब तक एफिकेसी का डेटा रिलीज नहीं किया है, इसके बावजूद इस वैक्सीन को भारत के लिए काफी अहम करार दिया जा रहा है।
अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों की माने तो कोर्बिवैक्स वैक्सीन देश में इस्तेमाल की जाने वाली पहली प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन हो सकती है, यानी इसे बनाने के लिए कोरोनावायरस ( SARS-coV-2 )पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन के चुनिंदा अंशों का इस्तेमाल किया गया है। कोरोना वायरस में मौजूद यह स्पाइक प्रोटीन ही वायरस को किसी इंसान के शरीर में मौजूद कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है। वायरस इसके बाद खुद को बढ़ाता है और बीमारी पैदा कर देता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक जब कोरोना वायरस का यह स्पाइक प्रोटीन अलग से इंसान के शरीर में डाला जाता है, तो यह कम से कम हानिकारक होता है, क्योंकि वायरस पूरी तरह गायब होता है। इसे इंसान के शरीर में वैक्सीन के जरिए भेजने का फायदा यह होता है कि इम्युन सिस्टम वायरस को फैलने में मदद करने वाले स्पाइक प्रोटीन को पहचान लेता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडीज तैयार कर लेता है। जब असल कोरोनावायरस जिसमें वायरस और स्पाइक प्रोटीन दोनों शामिल होते हैं, शरीर पर हमला करे तो इम्युन सिस्टम वायरस को फैलाने वाले प्रोटीन को ही खत्म कर दे।

रिसर्च के मुताबिक इस तकनीक से कोरोना लोगों को संक्रमित या गंभीर रूप से बीमार करने में असफल साबित होगा बायोलॉजिकल ई ने अब तक कोर्बिवैक्स कोरोना वैक्सीन का डेटा रिलीज नहीं किया है। हालांकि ताजा जानकारी के मुताबिक कंपनी ने कोर्बिवैक्स के फेज-2 और फेज-3 के क्लीनिकल ट्रायल्स को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। कंपनी ने अमेरिका के ह्यूस्टन टेक्सस में स्थित बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन और कैलिफोर्निया के डायनावैक्स के साथ मिलकर इस वैक्सीन का निर्माण किया।

कंपनी की चेयरमैन और एमडी महिमा दत्ता ने कोर्बिवैक्स के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन करने से पहले ही कहा था कि वैक्सीन दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल में सफल पाई गई है। हालांकि इसकी प्रभावशीलता पर अब तक कोई समीक्षा नहीं हुई है।

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