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रसोई गैस की कीमतों पर एक्शन मोड में सरकार, प्राइस कंट्रोल पर बनाई कमेटी…

नई दिल्ली 13 सितम्बर 2022 : सरकार, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) जैसे सरकारी फ्यूल रिटेलर्स को करीब 20,000 करोड़ रुपये (2.5 बिलियन डॉलर) देने की तैयारी में है। ऐसा करके सरकार, फ्यूल रिटेलर्स को हुए घाटे की भरपाई करना चाहती है और कुकिंग गैस प्राइसेज को काबू में रखना चाहती है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने यह बात बताई है। सरकारी ऑयल कंपनियों को इंटरनेशनल प्राइसेज पर क्रूड खरीदना पड़ता है और प्राइस-सेंसिटिव मार्केट में बेचना पड़ता है। वहीं, प्राइवेट कंपनियों के पास स्ट्रॉन्गर फ्यूल एक्सपोर्ट मार्केट को टैप करने की सहूलियत है।

ऑयल मिनिस्ट्री ने 28000 करोड़ रुपये का कॉम्पन्सैशन मांगा है। लेकिन, फाइनेंस मिनिस्ट्री करीब 200 बिलियन रुपये का कैश पेआउट करना चाहती है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर यह बताया है। लोगों ने बताया है कि बातचीत एडवांस्ड स्टेज में है, लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। 3 बड़े सरकारी फ्यूल रिटेलर्स, संयुक्त रूप से भारत का 90 पर्सेंट से ज्यादा पेट्रोलियम फ्यूल सप्लाई करते हैं।

भारत अपनी जरूरत की करीब आधी लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस इंपोर्ट करता है और इसका इस्तेमाल सामान्य तौर पर कुकिंग फ्यूल के रूप में किया जाता है। सऊदी कॉन्ट्रैक्ट का प्राइस पिछले 2 साल में 303 पर्सेंट बढ़ गया है। वहीं, दिल्ली में रिटेल प्राइस 28 पर्सेंट बढ़े हैं। यह बात ऑयल मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने 9 सितंबर को कही है। सऊदी कॉन्ट्रैक्ट का प्राइस, भारत में LPG के लिए इंपोर्ट बेंचमार्क है। महंगाई को बढ़ने से रोकने के लिए भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) ने अप्रैल की शुरुआत से पेट्रोल और डीजल के पंप प्राइसेज में बढ़ोतरी नहीं की है।

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