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 मणिपुर में महिलाओं से बदसलूकी मामले की आज नहीं होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI चंद्रचूड़ नहीं होंगे उपलब्ध

28 जुलाई 2023 मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने के मामले पर आज (28 जुलाई) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा था कि उन्होंने क्या एक्शन लिया है? अब मणिपुर वीडियो मामले पर सुनवाई से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर दिया है.  सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट से कहा है कि राज्य सरकार की सहमति लेकर मामले की जांच CBI को ट्रांसफर कर दी है. मुकदमे का तेजी से निपटारा जरूरी है. साथ ही केंद्र ने अपील की है कि मुकदमा राज्य से बाहर ट्रांसफर करने का आदेश दिया जाए और सुनवाई करने वाली निचली अदालत को यह निर्देश भी दे कि चार्जशीट दाखिल होने के 6 महीने के भीतर फैसला दे.

मामले में एक और याचिका दायर
मणिपुर हिंसा को लेकर लोगों में लगातार गुस्सा है। 27 जुलाई को इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई। इस पर बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अदालत में पहले से ही इस मुद्दे पर गौर किया जा रहा है तो एक और याचिका की क्या जरूरत है। साथ ही उन्होंने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने अपनी याचिका पेश करने को कहा।

याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने बेंच को बताया कि मणिपुर हिंसा से संबंधित मुद्दे को उठाने वाली लंबित याचिकाएं 28 जुलाई को सुनवाई के लिए लिस्टेड हैं। तिवारी ने अनुरोध किया कि उनकी याचिका को भी संबंधित मामले के साथ शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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