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‘ऐतिहासिक फैसला,जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के चार साल पूरे होने पर बीजेपी नेताओं ने कुछ यूं दी बधाई

5 अगस्त 2023 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के चार साल पूरे होने पर शनिवार (5 अगस्त) को बीजेपी (BJP) नेताओं ने बधाई दी. 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से विशेष दर्जा निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया था. 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2019 में आज ही के दिन लिए गए अनुच्छेद 370 को हटाने के ऐतिहासिक फैसले ने जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास की एक नई सुबह की शुरुआत की. केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले का लोगों ने स्वागत किया है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रगति और विकास के युग का जश्न मनाने में जम्मू-कश्मीर के अपने भाइयों और बहनों के साथ शामिल हूं.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक शेष पॉल वेद बताते हैं, “स्थानीय लड़के अब कम संख्या में चरमपंथी दस्तों में शामिल हो रहे हैं. जो ऑपरेशन ऑल आउट शुरू किया गया, उसमें काफ़ी चरमपंथी मारे गए. इसका अंजाम ये दिखा है कि चरमपंथियों के कथित पाकिस्तानी हैंडलर्स ने कश्मीर में टारगेटेड किलिंग्स को अंजाम देना शुरू किया. अब उस पर भी काफ़ी हद तक क़ाबू पा लिया गया है. लेकिन ये भी सच है कि अब भी कश्मीर में चरमपंथ का एक अंडरकरंट मौजूद है.”

2019 में अनुछेद 370 हटने के समय कहा गया था कि जम्मू -कश्मीर से चरमपंथ का सफ़ाया होगा, क्या ऐसा हुआ है?

शेष पॉल वेद ने कहा, “दावा ज़रूर किया गया लेकिन इतने बड़े काम को इतने कम समय में पूरा नहीं किया जा सकता है. अभी तीन ही साल गुज़रे हैं और जब तक पड़ोसी पाकिस्तान की सोच नहीं बदलेगी तब तक आप ये उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि आप चरमपंथ को इतनी जल्दी ख़त्म कर सकते हैं.”

कश्मीर इकनॉमिक अलायंस के अध्यक्ष मोहम्मद यासीर ख़ान बताते हैं, “कश्मीर के पर्यटन उद्योग पर हम कह सकते हैं कि ये बहुत बेहतरीन तरीक़े से चल रहा और ये सिर्फ़ दिखावे वाली बात नहीं है. 2021, 2022 और 2023 में बड़ी तादाद में पर्यटक कश्मीर आए. साथ ही कश्मीर के बाग़बानी सेक्टर, जिसमें सेब का कारोबार शामिल है, इन दोनों को मिलाकर क़रीब 20,000 करोड़ रुपए सालाना की आमदनी होती है.”

हालांकि मोहम्मद यासीन ख़ान के मुताबिक़, “स्थानीय बाज़ारों में ये चीज़ दिखाई नहीं पड़ती. 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर लंबे समय तक बंद रहा. फिर कोविड का प्रकोप झेलना पड़ा. कारोबारियों को बैंकों से क़र्ज़ा लेना पड़ा जो वे आज तक अदा नहीं कर सके हैं. ज़्यादातर लोगों का सवाल ये है कि अगर राज्य में इतना पैसा आ रहा है तो फिर वो बाज़ारों में और स्थानीय कारोबार में क्यों नहीं दिखता?”.

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