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newwaynews24.com का “आयाम 2021”: IAS नहीं होते तो दयानंद पी पत्रकार होते….लेकिन यकीन इतना था कि UPSC छोड़ कभी कोई दूसरा इम्तिहान दिया ही नहीं……..चंद्रकांत को पापा ने कहा था “कलेक्टर” बनना….लेकिन कैसे बनना है? ये पता करने में लग गये सालों… युवाओं को अपने अनुभवों से अफसरों ने बनाया मुरीद

रायपुर 7 दिसंबर 2021। newwaynews24.com के आयाम-2021 का सफर आज रायपुर के सेंट्रल लाइब्रेरी  पहुंचा। बहुत कम वक्त में युवा प्रतिभागियों के सबसे पसंदीदा कार्यक्रम “आयाम-2021” में आज के मेहमान समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर 2006 बैच के IAS दयानंद पी और रायपुर नगर निगम स्मार्ट सिटी के एडिशनल MD 2017 बैच के IAS चंद्रकांत वर्मा थे। UPSC और PSC के प्रतियोगियों से मेहमानों ने ना सिर्फ अपने अनुभवों को साझा किया, बल्कि अपने संघर्षों से उन्हें प्रेरणा भी दी। युवाओं को मेहमानों ने सफलता का सूत्र दिया “असफलता हमेशा धैर्य की परीक्षा लेती है”, इसलिए असफलता से घबराओ मत और इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करो। इस दौरान IAS दयानंद पी ने अपने संघर्ष की कहानी से बच्चों में विश्वास जगाया, कि अपने लक्ष्य पर हमेशा खुद को केंद्रित रखो, अगर आपका विजन क्लियर है तो सफलता निश्चित है। वहीं IAS चंद्रकांत ने जब UPSC में एक के बाद एक असफलताओं के बावजूद अपनी कामयाबी के यकीन का किस्सा सुनाया तो युवाओं की तालियां गूंज उठी।

…तो IAS नहीं पत्रकार बन जाते दयानंद पी 

बिहार में जन्मे IAS पी दयानंद ने अपनी पूरी पढ़ाई यूपी के इलाहाबाद में की। बचपन में ही मेधावी रहे दयानंद ने स्कूलिंग के दिनों में ही सपना IAS का देख रखा था। बच्चों को अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूलिंग के दिनों में तो वो लगनशील थे, लेकिन कालेज-यूनिवर्सिटी में उनका लक्ष्य थोड़ा भटक गया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढने के दौरान चकाचौध और दोस्तों की संगत में पढ़ाई से थोड़े दूर होने लगे, लेकिन जल्द ही अहसास हो गया कि जिस राह पर वो जा रहे हैं, ये उनका सपना नहीं है। लिहाजा उन्होंने पढ़ाई पूरी कर तन्मयता के साथ IAS की तैयारी शुरू की। IAS दयानंद बताते हैं कि उनका लक्ष्य बिल्कुल क्लियर था, कि बनना है तो सिर्फ और सिर्फ IAS ही बनना है। इसलिए आज तक उन्होंने UPSC-PSC छोड़कर कोई दूसरा इम्तिहान दिया ही नहीं। हालांकि उन्होंने बच्चों को बताया कि जैसा कि हर यूथ के मन में “प्लान B” होता है, उनके मन में भी था कि अगर IAS नहीं बना तो जर्नलिज्म एंड मास कॉम कर पत्रकार बन जाऊंगा। IAS दयानंद के लिए UPSC की शुरुआती राह आसान नहीं थी, लेकिन प्रयास के बाद उन्हें देश में 12वां स्थान मिला और वो IAS सेलेक्ट हुए। अपने संघर्ष की कहानी से प्रेरित करते हुए आईएएस दयानंद ने बताया कि आपने अपने लक्ष्य जो बनाये है, उस पर हमेशा खुद को फोकस रखे। कॉलेज-यूनिवर्सिटी में आकर ध्यान भटकता है, बावजूद उसके अपने सपनों को दूर ना होने दें।

पापा से पहली बार सुना था “कलेक्टर” का नाम 

IAS चंद्रकांत की संघर्ष तो युवाओं के लिए मिसाल बन गयी। रायपुर के रहने वाले चंद्रकांत वर्मा बताते हैं कि उनकी पढ़ाई देवभोग जैसे सुदूर क्षेत्र में हुई। एक बार स्कूल में शिक्षक ने सभी बच्चों से पूछा, बताओं क्या बनना है तुम्हे। तब चंद्रकांत को मालूम भी नहीं था कि उन्हें आखिरकार बनना क्या है। घर आकर पिता से पूछा- तो उन्होंने बताया कि अबकी बार टीचर पूछे, तो बताना कि मुझे तो “कलेक्टर” बनना है। जब कलेक्टर बनने की बात पापा ने चंद्रकांत को बतायी, तब तक तो उन्हें ये मालूम भी नहीं था कि कलेक्टर आखिर बनते कैसे हैं ? … लेकिन उसी दिन से कलेक्टर शब्द सपना बनकर चंद्रकांत वर्मा की आंखों में बस गया। 12वीं के बाद उन्होंने जब इस सपने को जीने की शुरुआत शुरू की। चंद्रकांत बताते हैं कि तब साइकिल से उनका हर दिन का 10 किलोमीटर का सफर होता था, मुश्किल हालात के बीच जब उन्होंने रायपुर के एक कोचिंग में दाखिला लिया तो उन्हें बोला गया कि पहले PSC करो… फिर UPSC करना। हालांकि वो इस फंडा से सहमत नहीं थे, लिहाजा उन्होंने अपनी UPSC की तैयारी शुरू कर दी। UPSC की तैयारी के दौरान ही उन्होंने उन्होंने PSC की परीक्षा दी। वो तीन बार PSC में सेलेक्ट हुए, पहली बार नायब तहसीलदार बने, दूसरी बार में डीएसपी बने और तीसरी बार डिप्टी कलेक्टर बने, लेकिन दिल इन पदों से भर नहीं रहा था। उन्होंने UPSC की तैयारी जारी रखी, आखिरकार IAS के लिए सेलेक्ट हुए।

 

UPSC की परीक्षा में “ईमानदारी” बेहद जरूरी

IAS दयानंद और IAS चंद्रकांत ने बच्चों को UPSC व PSC की परीक्षा में ईमानदारी की जरूरत बतायी। फिर चाहे ईमानदारी से पढ़ाई की हो…परीक्षा के वक्त जवाब देने या इंटरव्यू के वक्त पैनल का सामना करने की। अफसरों ने बताया कि अगर आप बनावटी तैयारी या फिर दिखावे के लिए पढ़ाई कर रहे हो तो कामयाबी कभी नहीं मिल सकती। उसी तरह अगर आप इंटरव्यू में आते हो तो सवालों का बिल्कुल ईमानदारी से जवाब दीजिये। पैनेलिस्ट इतने अनुभवी होते हैं कि वो हर सवाल का बेहद बारीकी से उत्तर समझते हैं, अगर उन्हें भ्रमित करने की कोशिश करेंगे तो एक के बाद एक अपने ही सवालों में उलझलते चले जायेंगे।

 

इंटरव्यू के लिए बच्चों को मिले खास टिप्स

IAS दयानंद इंटरव्यू के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि एक कंडीडेंट का पैनेलिस्ट को दिया गया बेहतर जवाब दूसरे कंडीडेंट के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। उन्होंने अपने अनुभव को बताया कि उनकी हॉबी पूछी गयी थी, जो उस वक्त योगा और मेडिटेशन था, पैनेलिस्ट ने उसी पर सवाल पूछने शुरू किये। करीब 40 मिनट के इंटरव्यू में 15 मिनट उसी पर सवाल हुए। उन्होंने अपने तर्कों और जवाब से पैनेलिस्ट को संतुष्ट कर दिया, लेकिन उनके इंटरव्यू के बाद दूसरे कंडीडेट का इंटरव्यू शुरू हुआ तो इक्तेफाक से उसकी भी हॉबी योगा और मेडिटिशन की थी, लेकिन वो पैनेलिस्ट को ज्यादा बेहतर ढंग से नहीं समझा पाया…तो इंटरव्यू में आपको हर विषय पर अपनी पकड़ रखनी है। जो सवाल पूछे जायें, उसका इंमानदारी से जवाब दें और ना आयें तो भ्रमित करने की कोशिश ना करे।

बच्चे ने पूछा- इंटरव्यू में पूछा जाये कि IAS क्यों बनना ? तो क्या जवाब दें

एक प्रतियोगी छात्र ने पूछा कि अधिकांश इंटरव्यू में पूछा जाता कि – आप आईएएस क्यों बनना चाहते हैं?… इस सवाल का जवाब क्या देना चाहिये। जवाब देने के बजाय IAS दयानंद ने बच्चे ही पूछा, आप बताओ, कि क्यों बनना चाहते हो। छात्र ने बताया कि देश के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा होना चाहता हूं….देश के लिए कुछ करना चाहता हूं…छात्र के बाद कुछ और युवाओं से जब IAS दयानंद ने यही सवाल किये तो सभी का जवाब इसी से मिलता जुलता था, जिसके बाद IAS दयानंद ने हंसते हुए कहा, ये क्यों नहीं बोलते हो, कि मैं भी बत्ती वाली गाड़ी पर चढ़ना चाहता हूं, मैं अपने जेनरेशन को बदलना चाहता हूं। हकीकत में ये हर स्टूंडेंट की ख्वाहिश होती है, लेकिन हम जवाब को बनावटी बना देते हैं। आप ऐसी भूल कभी भी UPSC के इंटरव्यू में ना करें , क्योंकि अगर आपने बनावटी आंसर दिये, तो आप अपने ही सवालों में उलझ जाओगे।

स्वार्थी हुए बिना सफलता नहीं मिल सकती

IAS दयानंद से जब कुछ बच्चों ने सफलता के टिप्स पूछे तो उन्होंने सफलता का सूत्र वाक्य दिया- “स्वार्थी बनो”… दूसरों का अहित करने के लिए नहीं, बल्कि खुद को कामयाब करने के लिए। उऩ्होंने बताया कि आप तैयारी कर रहे होते हो तो कभी घर का कुछ काम आ जाता है… कभी किसी की शादी, कभी कोई आयोजन, लोगों और रिश्तेदारों के मदद करने के चक्कर में हम अपना लक्ष्य भूल जाते हैं। इसलिए यहां आपको खुद के लिए स्वार्थी बनना होगा। बिना स्वार्थी बने सफलता नहीं मिल सकती।

आलोचनाओं से घबरायें नहीं, आसपास के लोग ही आलोचक होते हैं

एक छात्र के सवाल पर जवाब देते हुए IAS चंद्रकांत ने बताया कि आलोचनाएं तो होगी. जब भी कोई आप बड़ा काम करते हो तो आलोचनाएं होगी, लेकिन इससे घबरायें मत। क्योंकि जो लोग आलोचना कर रहे होते हैं, वहीं आपकी कामयाबी के बाद सबसे पहले आपकी तारीफ के लिए खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आपने कोई काम ठाना है और उसे नहीं पूरा कर पाते हैं तो आपके ही घर के लोग बोलेंगे कि तुम पढ़ाई नहीं करते थे, तुम तो बन ही नहीं सकते थे, बेवजह टाइम खराब कर रहे थे। वहीं IAS दयानंद बताया कि जब आप पहली बात किसी को बोलते हो कि IAS बनना है, तो वो हंसेंगे कि, ये आईएएस बनेगा ? आईएएस को देखो, वो अलग तरह के होते हैं… वो तो भगवान जैसे होते हैं… लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि हमलोग भी सामान्य लोग है….बस मन में भरोसा रखिये, लक्ष्य पर फोकस रखिये सफलता जरूर मिलेगी और निगेटिविटी से दूर रहिये। उन्होंने कहा कि निगेटिव चीजो हमेशा हमारा मनोबल गिराती है, इसलिए जितना हो सके खुद की ऊर्जा को सकारात्मक रूप से इस्तेमाल करें।

कट ऑफ मार्क्स के चक्कर में ना पड़े- चंद्रकांत

चंद्रकांत वर्मा से बच्चों ने सबसे ज्यादा सवाल पूछा। अपने इंट्रोडक्शन के दौरान चंद्रकांत वर्मा ने बच्चों को बताया कि उन्होंने खुद रिचार्ज करने के लिए हर सप्ताह कोई ना कोई कम्पीटेटिव एग्जाम दिये। ताकि खुद की तैयारी भी परख सकें और परीक्षा के पहले अपने को रिचार्ज कर सकें। यहां तक UPSC के मेंस के पहले भी वो SSC की परीक्षा देने चले गये थे, ताकि लिखने की पैक्टिश बनी रहे।  चंद्रकांत वर्मा ने बताया कि चतुर्थ श्रेणी की परीक्षा छोड़ दें तो उन्होंने देश में होने वाली हर तरह की परीक्षाएं दी और उसे पास भी किया। चंद्रकांत वर्मा ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा में कभी भी कट आफ मार्क्स के चक्कर में ना पड़े। अगर कोई हार्ड क्योश्चन आया है तो इसका मतलब है कि ये सबके लिए हार्ड है। कट आफ मार्क्स डाउन जायेगा। इसलिए इन सब में वक्त बरबाद करने के बजाय अपना ध्यान परीक्षा पर रखें।

 

 

 

 

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