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58% आरक्षण पर सुप्रीम के निर्देश पढ़िये: चयन, नियुक्ति और पदोन्नति का सरकार को निर्देश, लेकिन हर आदेश में लिखना होगा….

रायपुर 2 मई 2023। 58% आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की रियायत के बाद प्रमोशन और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आयेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में इस बात का उल्लेख भी किया है कि राज्य सरकार को प्रमोशन और नयी नियुक्तियों की इजाजत दी जाती है, हालांकि ये सभी प्रक्रिया इस याचिका के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी। कल दोपहर को आये फैसले के बाद देर शाम खुद ही मुख्यमंत्री ने चीफ सिकरेट्री, डीजीपी, पीएससी चेयरमैन के साथ बैठक की थी और नियुक्ति प्रक्रिया को तेज करने को कहा था। कोर्ट इस मामले में जुलाई में फिर सुनवाई करेगा। दरअसल, इससे पहले 2022 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने  भूपेश बघेल सरकार के आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 58% करने के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता ने आरक्षण का पक्ष रखते हुए कहा कि जिस वक्त हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द किया, उस वक्त कई नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन कोर्ट के निर्देश के बाद सारी प्रक्रिया ठप हो गयी। आरक्षण रद्द होने की वजह से प्रदेश में कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी हो सकती है। क्योंकि हाईकोर्ट के फैसले के पूर्व कई विज्ञापन जारी हो चुके थे और कई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी।

कोर्ट में अधिवक्ता पूजा धर ने अंतरिम राहत के निर्देश को लेकर एतराज जताया, उन्होंने आरक्षण पर फौरी राहत दिये जाने का विरोध किया।

जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ऐसी परिस्थिति राज्य में होने नहीं देना चाहते, जिसके तहत प्रदेश में प्रशासनिक कार्यों कोे सुचारू रूप से चलाने में किसी तरह का व्यवधान आये। कोर्ट ने कहा कि वो राज्य सरकार को इजाजत देते हैं कि वो चयन प्रक्रिया, नियुक्ति और प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू करे। कोर्ट ने कहा कि जितनी भी नियुक्ति, चयन और प्रमोशन होंगे, उसमें ये अनिवार्य रूप से अंकित करना होगा, कि ये सभी इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगा।

आपको बता दें कि 2012 में छत्तीसगढ़ सरकार ने 58% आरक्षण किया था। इसके तहत अनुसूचित जाति का आरक्षण (SC) 16 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति और (ST) के लिए इसे 32 प्रतिशत और अन्य पिछड़ी जातियों के लिए कोटा 14 प्रतिशत किया था। इस फैसले को बिलासपुर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। पिछले साल छत्तीसगढ़ HC ने इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया। छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सेवा भर्ती में आरक्षण को कानून में संशोधन के जरिए बढ़ाया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया था।  इस फैसले के खिलाफ भूपेश बघेल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी।  सरकार के अलावा कई आदिवासी संगठनों द्वारा भी याचिका दाखिल की गई थी।

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