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शासन ने शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने बनाया था संकुल प्राचार्य……पर, संकुल प्राचार्य ही खेलने लगे नियम विरुद्ध संलग्नीकरण का खेल…. बोले- मुझे है अधिकार… तो DEO ने कहा…..

रायपुर 24 नवंबर 2021। स्कूल शिक्षा विभाग का हाल बेहाल है…! इसलिए नहीं कि यहां पर पढ़ाई नहीं हो रही है बल्कि इसलिए कि यहां जिसे पावर मिल रहा है वह उसका दुरुपयोग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अब संकुल प्राचार्य को ही ले लीजिए ! शासन ने व्यवस्था सुधारने के लिए संकुल प्राचार्य व्यवस्था तैयार किया, ताकि शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार हो और योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो। लेकिन कुछ संकुल प्राचार्य खुद को शिक्षा विभाग का बड़ा अधिकारी समझ बैठे हैं और उनकी बातचीत से भी ऐसा नजर आ रहा है मानो शिक्षा विभाग के सबसे बड़े अधिकारी वही हों।

बिलासपुर जिले के बिल्हा ब्लॉक के शासकीय हाई स्कूल लोफन्दी के प्राचार्य का ही मामला ले लीजिए, जिन्हें संकुल प्राचार्य का दर्जा शासन ने दिया है, लेकिन साहब ने शायद खुद को डीपीआई समझ लिया है। यही कारण है कि उन्होंने अब शिक्षकों का संलग्नीकरणकरण करने का खेल शुरू कर दिया है। लोफंदी के प्रिंसिपल जॉर्ज लकड़ा ने नियम विरुद्ध शासकीय प्राथमिक शाला कछार के शिक्षक कृष्ण कुमार देवांगन को अपने शाला लोफन्दी में संलग्नीकरण करने का आदेश जारी किया है आदेश वायरल होने के बाद जब हमने उनसे इस संबंध में बात की तो उनका कहना है कि

” जो आदेश आप बोल रहे हो वो अस्थाई रूप से किया गया है। शिक्षण व्यवस्था के लिए इस तरह से किया जाता है, पहले भी इस तरह का आदेश हुआ है। पढ़ाई प्रभावित ना हो इसी वजह से अस्थाई तौर पर यह निर्देश दिया गया है, यह कोई स्थाई आदेश नहीं है। और हमको संकुल के अंदर इस तरह से संलग्नीकरण करने का अधिकार है।”

इधर इस मसले पर जब हमने अधिकारों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी एस के प्रसाद से बात की तो उन्होंने खुद कहा कि

” यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है कि ऐसा कोई आदेश जारी हुआ है लेकिन आप बता रहे हैं तो मैं मामले की तहकीकात कर लेता हूं। रही बात नियमों की तो संकुल प्राचार्य को किसी भी शिक्षक के संलग्नीकरण करने का अधिकार ही नहीं है। “

जिला शिक्षा अधिकारी के इस बयान से यह तो साफ है कि मामला अभी उच्च अधिकारियों के संज्ञान में नहीं आया है लेकिन यह भी स्पष्ट है कि संकुल प्राचार्य के द्वारा सीधे तौर पर मनमानी की गई है और सबसे बड़ी बात कि जिन्हें प्राचार्य का दर्जा दिया गया है उन्हें सामान्य नियम तक नहीं पता है और वह अपनी गलती को भी मानने के बजाय उसे अपना अधिकार बताने में तुले हुए हैं । देखना होगा कि मामला सामने आने के बाद जिला स्तर के अधिकारी अब इस मामले में क्या करते हैं और क्या ऐसे प्राचार्य को शो कॉज नोटिस जारी होता है जिन्हें सामान्य नियम भी पता नहीं है ।

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