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ट्रांसफर से सीनियरिटी लॉस का मामला पहुंचा न्यायालय….. शासन का पक्ष जानने के लिए हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस…. अब क्या हो सकता है आगे जानने के लिए पढ़े यह पूरी खबर

रायपुर 22 जनवरी 2022। प्रदेश में सहायक शिक्षकों का शिक्षक और प्रधान पाठक पर पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में पंचायत विभाग का एक पुराना नियम उन तमाम शिक्षकों के लिए गले की फांस बन गया है, जिन्होंने पंचायत विभाग में रहते हुए अपना स्थानांतरण करवाया था। क्योंकि पंचायत विभाग के पुराने नियम के हिसाब से सहायक शिक्षक का जनपद पंचायत परिवर्तित होने पर और शिक्षक तथा व्याख्याता का जिला पंचायत परिवर्तित होने पर उनकी वरिष्ठता उस तारीख से गिनी जाती है जिस तारीख से उन्होंने स्थानांतरण होने वाली जगह में कार्यभार ग्रहण किया है।

ऐसे में उन्हें अपने से जूनियर शिक्षक का जूनियर बनना पड़ रहा है और यह उन्हें अब नागवार गुजर रहा है। क्योंकि प्रमोशन में भी यही नियम बाधा बनकर सामने आ रही है इसे देखते हुए रायपुर जिले के आरंग की गीता पद्माकर, प्रमिला वर्मा और कुसुमलता कुर्रे ने अपने वकील राजेंद्र पटेल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की और अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए बताया कि उनकी नियुक्ति क्रमश: जनपद पंचायत धरसीवा मैनपाट व जैजैपुर में वर्ष 2005 में शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर हुई थी बाद में 2009 में प्रमिला , 2012 में गीता और 2016 में कुसुमलता जनपद पंचायत आरंग में स्थानांतरण कराकर आ गई और उन सब का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन भी हो गया।

अब जब पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची तैयार किया गया है तो उनकी वरिष्ठता की गणना उनके आरंग में कार्यभार ग्रहण दिनांक से किया जा रहा है जिससे उन्हें अपने पदोन्नति के अवसर होते हुए नजर आ रहे हैं और इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने न्यायालय से यह निवेदन किया है कि उनकी वरिष्ठता की गणना स्थानांतरण तिथि के बजाय प्रथम नियुक्ति दिनांक से की जाए । जस्टिस संजय के. अग्रवाल की सिंगल बेंच ने इस मामले में शिक्षा विभाग के सचिव संभागीय संयुक्त संचालक रायपुर और जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर को नोटिस जारी किया है ।

आखिर क्यों फंस रहा है पेंच , क्या हो सकता है आगे ??

दरअसल पूरा पेंच पंचायत विभाग की उस स्थानांतरण नीति के कारण फंस रहा है जिसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख कर दिया गया था स्थानांतरण के बाद स्थानांतरित कर्मचारी अपने संवर्ग में कनिष्ठ हो जाएगा स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से संविलियन के समय भी इसे निर्देश में शामिल कर लिया गया था क्योंकि यह जानकारी आदेशों के साथ संविलियन निर्देश तैयार करते समय पंचायत विभाग ने ही उन्हें दी थी ऐसे में अब स्कूल शिक्षा विभाग उन तमाम स्थानांतरण नीतियों को कोर्ट के समक्ष पेश करेगा जिसके आधार पर स्थानांतरण हुआ है और जिन शर्तों को स्वीकार करके शिक्षाकर्मियों ने तत्कालीन समय में स्थानांतरण लिया था । बहरहाल इस मामले में न्यायालय ने पदोन्नति प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई रोक नहीं लगाई है बस विभाग को एक लाइन अतिरिक्त यह जोड़ना होगा की पदोन्नति की प्रक्रिया याचिका के इस अंतिम आदेश के अधीन है ।

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