कृषि

बहुत चमत्कारी है ये पौधा…इसके पत्तियों से किया जा सकता है कई बीमारियों का घर पर इलाज,पढ़े अनसुने फायदे

सेहुंड का नाम सुनने से आपको अजीब तो लगेगा लेकिन इस कांटेदार झाड़ी को हिन्दी में थूहर कहते हैं। थूहर वैसे तो बाग-बगीचों में बाड़ की तरह इस्तेमाल किया जाता है,थूहर के तना, पत्ते, शाखा और दूध में कई तरह के बीमारियों से लड़ने के गुण पाये जाते हैं। कई ऐसे पेड़ पौधे हैं जिनकी पत्तियां आयुर्वेद में बहुत ही लाभदायक मानी जाती हैं. ऐसा ही सेहुंड का पेड़ है,यह औषधीय गुणों से भरपूर है. साथ ही यह इंसान की तमाम बीमारियों को जड़ से खत्म करने में मददगार है. इस पेड़ के तने और पत्तों की शाखाओं से निकलने वाले दूध में कई तरह की बीमारियों से लड़ने के गुण पाए जाते हैं.चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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What is Sehund

सेहुंड की कई जातियाँ होती हैं। साधारणतया जिसे सेहुंड कहते हैं, इसका तना व शाखाएं कांटों से परिपूर्ण होती हैं। इसे बगीचों के चारों ओर बाड़ के रूप में लगाया जाता है। थूहर की कई किस्म होती हैं – इनकी शाखाएं पतली, पोली और मुलायम होती हैं। थूहर की जातियों में त्रिधारा, चतुर्धारा, पंच, षष्ठ और चतुर्दश धारा तथा विंश धारा भी होती है।  सीएचसी कमालगंज में आयुष चिकित्साधिकारी डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि सेहुंड के पत्तों का प्रयोग आंखों में दर्द, सूजन और लाल होने की परेशानी दिलाता है. इस पेड़ से निकलने वाले झीर (दूध) से इलाज किया जाता है. साथ ही बताया कि सर्दी लगने पर इसके पत्तों को गर्म करके प्रयोग किया जाता है, तो यह खांसी के लिए भी रामबाण यह पौधा है. वहीं, इसकी कोमल पत्तियों को गर्म करके इसका रस निकालकर गुड़ के साथ मिलाकर पिलाने से बच्चों को उल्टी में भी फायदा मिलता है इनमें अल्पकंटक यानि कम कांटों की अपेक्षा ज्यादा कांटों वाले सेहुण्ड श्रेष्ठ माने जाते हैं।

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इन समस्याओ में लाभदायक
इसका 1.8-4.5 मी ऊँचा, बड़ा, मांसल, कांटेदार, छोटा वृक्षक अथवा गुल्म या झाड़ी होता है। इसका तना सीधा, शाखाओं से युक्त, बेलनाकार अथवा अस्पष्ट पंचकोणीय छोटा, युग्मित, तीखा, अनुपत्र जैसा 8-12 मिमी लम्बा कांटों वाला होता है। इसकी शाखाएँ गोलाकार या पंचकोणीय, नरम, गूदेदार,कांटों वाला तथा 1.8 सेमी व्यास (diameter) की होती हैं। इसके पत्ते एकांतर, शाखाओं के अंत पर गुच्छों में, मांसल, 15-30 सेमी लम्बे, मोटे तथा आगे के भाग में कुछ गोल आकार के होते हैं डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि सेहुंड का प्रयोग कान दर्द, कान से रस बहना, बहरेपन की समस्या जैसे अनेकों रोगों में किया जाता है. दरअसल इसके छिलका रहित तने को आग पर गर्म करने के बाद उसका रस निकालकर एक से दो बूंद कान में डालने से कान के दर्द से राहत मिलती है.इसके पत्ते शीत या ग्रीष्म-काल में झड़ जाते हैं। इसकी शाखा या पत्रों को तोड़ने से दूध निकलता है। इसके फूल लाल रंग के या पीताभ होते हैं। इसके फल लगभग 1.3 सेमी व्यास के, गहरे 4-पालिक तथा अरोमश (रोम वाले) होते हैं। इसके बीज चपटे, कोमल तथा रोमयुक्त होते हैं। इसकी शाखाओं को तोड़कर आर्द्र-भूमि यानि नम मिट्टी में लगा देने से नया क्षुप या झाड़ तैयार हो जाते हैं। इससे निकलने वाला आक्षीर या दूध अत्यन्त विरेचक तथा विषाक्त होते हैं।हालांकि इसका उपयोग डॉक्‍टर की बिना सलाह के न करें.

 

 

 

 

 

 

 

 

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