हौसलों को पर दे रहा है विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट, दो साल में ही VCI बन गया MBBS में सफलता की गारंटी, जानिये सफलता की कहानी, कामयाब बच्चों की जुबानी
Vishalakshi Career Institute: डाक्टर ऐसा प्रोफेशन है, जो सेवा का भी माध्यम है और संपन्नता का भी आधार है। समाज में प्रतिष्ठा के साथ-साथ लाखों की सैलरी वाली डाक्टर की जॉब हर युवाओं को आकर्षित कर रहा है। बेशक डाक्टर बनने के बाद आपकी जिंदगी की सारी परेशानियां खत्म हो जाती है, लेकिन डाक्टर बनने तक आपको हर कदम पर इम्तिहान देना होता है। हर साल लाखों बच्चे डाक्टर बनने के ख्वाब के साथ NEET के इम्तिहान में बैठते हैं, लेकिन चंद हजार बच्चों का ही ये सपना पूरा हो पाता है।
छत्तीसगढ़ के स्मृति नगर भिलाई में विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट VCI एक ऐसा संस्थान है, जो आपके बच्चों को पर दे सकता है। इस इंस्टिट्यूट का भिलाई में दूसरा वर्ष है। इससे पहले 2 वर्ष कोटा राजस्थान में संचालित रहा। यहां के शिक्षक कोटा के ही अनुभवी और प्रशिक्षित है।आईए ऐसे कुछ बच्चे जो विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट से सफल हुए, जिन्होंने अपने सफलता की कहानी अपनी जुबानी बताई।
डॉ आदिति सिंह
आदिति देश के टॉप टेन मेडिकल कॉलेज गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नागपुर में द्वितीय वर्ष की छात्रा है। जो कि छत्तीसगढ़ के ही अंबिकापुर की निवासी है वह बताती है कि डॉक्टर बनने का सपना लेकर मैं कोटा राजस्थान में पढ़ाई करने गई, जहा एक वर्ष की पढ़ाई के बाद मुझे सफलता प्राप्त नहीं हुई। तब मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं इस पढ़ाई में सफल नहीं हो पाऊंगी। इस बीच कोटा में ही संचालित विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट दिलीप सिंह सर (आईआईटी वाराणसी) से मेरा संपर्क हुआ जो फिजिक्स के एक बेहतरीन शिक्षक हैं। VCI में उनके साथ केमिस्ट्री, बायोलॉजी के अच्छे टीचरों का ग्रुप है। हेड होने के बावजूद दिलीप सर खुद लगकर NEET की अच्छी तरह से तैयारी करवाते हैं। जहां 01 वर्ष की पढ़ाई में ही मेरा अपेक्षा से भी अधिक अंक आए और मुझे ऑल ओवर इंडिया स्तर पर एक अच्छे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला। यदि मैं विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट VCI दिलीप सिंह सर के NEET की तैयारी के संबंध में बात करूं तो जहां 10 से 12 घंटे की क्लास और ग्रुप स्टडी के अलावा जो कमी होती हैं उसको चिन्हांकित करके पढ़ाया जाता हैं। तनाव दूर करने के लिए रोज सुबह सुदर्शन क्रिया करना, टाइम का बेहतर मैनेजमेंट और स्मार्टनेस की तरह पढ़ाई ही जिसमे समय का पूरा सदुपयोग बताया जाता हैं। खासकर पेपर सॉल्व करने का तरीका, किस विषय में कितना समय देना हैं। इसके तैयारी को अलग और खास बनाता है जो अन्य इंस्टीट्यूट में देखने, सुनने को नहीं मिलता। मैं आज सोचती हूं कि यदि मेरा संपर्क VCI एवं श्री दिलीप सिंह सर से नहीं हुआ होता तो आज मैं डॉक्टर नहीं बन पाती।
डॉक्टर भार्गवी
जो की शासकीय मेडिकल कॉलेज रीवा मध्य प्रदेश में MBBS की प्रथम वर्ष की छात्र हैं। वह बताती है कि मैं डॉक्टर बनने का सपना पाले NEET UG की कोचिंग के लिए कोटा राजस्थान गई। वहां एक माह की पढ़ाई में मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, ऐसा लगने लगा कि मैं इस पढ़ाई को छोड़कर वापस घर चली जाऊंगी। इस बीच मुझे विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट जो कोटा से छत्तीसगढ़ के स्मृति नगर भिलाई में शिफ्ट हो चुका था। इसका पता चला तो मैं कोटा की पढ़ाई छोड़कर छत्तीसगढ़ के भिलाई में संचालित VCI मे एडमिशन ली और अपना पढ़ाई प्रारंभ किया। मैंने देखा की कोटा की पढ़ाई और यहां की पढ़ाई में बहुत बड़ा अंतर है, जहां कोटा में 6 घंटे क्लास के बाद और कोई एक्टिविटी नहीं होती थी, तो वही यहां क्लास में ही 8 से 10 घंटे की पढ़ाई फिर 4 घंटे का ग्रुप स्टडी, क्लास स्टडी और वह भी टीचर्स के सामने। यहां समय से काफी पहले ही कोर्स को पूर्ण कराना फिर उसका रिविजन करवाना। टेस्ट सीरीज का बेहतरीन क्रम जिसमें जो बच्चा जिसमे कमजोर है उसको चिन्हांकन कर उसको दूर करने के लिए वन टू वन स्टडी कराया जाता हैं। VCI द्वारा ही स्मार्टनेस तरीके से टाइम टेबल सेट कर बच्चों की तैयारी कराया जाता है। तनाव से दूर रखने के लिए प्रतिदिन सुदर्शन क्रिया जो खास बनाता है। मेरे सत्र के बैच जो सुपर – 40 बैच जिसमे 40 बच्चे को ही भर्ती लिया गया था, जिसमे से मेरे सहित 28 बच्चों का चयन एमबीबीएस में हुआ। मैंने मेरा जो निर्णय कोटा छोड़कर VCI ज्वाइन करने का लिया था, वह बहुत ही सही रहा। मैं सफल हुई जिसका पूरा श्रेय VCI और दिलीप सिंह सर जी को ही जाता है।