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CG VIDEO : लाचार परिवार…इंसानियत शर्मसार – शव वाहन नही मिला, तो खाट पर लाश को लेकर 10 किलोमीटर किया पैदल सफर, बीच रास्ते में पुलिस ने ….

दंतेवाड़ा 16 जुलाई 2022 । छत्तीसगढ के माओवाद प्रभावित जिलों में भले ही विकास के दावे किये जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सिस्टम फेल हैं। यहां आदिवासी परिवार लाचार और इंसानियत शर्मसार होती नजर आती हैं। जीं हां ताजा मामला दंतेवाड़ा जिला का हैं, जहां एक महिला की लाश को एक शव वाहन तक नसीब नही हो सका, लिहाजा गरीब आदिवासी परिवार खाट को उल्टा कर उसी में लाश को रखकर पैदल गांव गांव तक जाने को मजबूर नजर आये।

दिल और दिमाग को झकझोर देने वाली यह तस्वीर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला से सामने आई है। जानकारी का अभाव और आर्थिक तंगी ने एक परिवार को बुजुर्ग महिला की लाश को खाट के सहारे पैदल गांव तक ले जाने को मजबूर कर दिया। परिवार के तीन पुरूष और एक महिला बुजुर्ग जोगी पोडियाम की मौत के बाद उसकी लाश को खाट में ही रखकर कांधे के सहारे रेंगातार से टिकनापाल के लिए रवाना हो गये थे। मुख्य मार्ग में उल्टा खाट पर रखे कफन से ढके लाश को कईयों ने रास्त में देखा, लेकिन किसी ने भी इस गरीब परिवार की तकलीफ महसूस नही की।

करीब 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद जब ये पीड़ित परिवार दंतेवाड़ा के कुंआकोंडा थाना क्षेत्र में पहुंचा, तो इसकी जानकारी पुलिस जवानों को हुई। परिवार के सदस्यों से जब थाना प्रभारी चंदन कुमार ने पूछताछ की तो गरीब आदिवासी परिवार ने आर्थिक तंगी का हवाला देकर पैदल ही लाश लेकर अपने गांव जाने की जानकारी पुलिस को दी गयी। जिसके बाद थाना प्रभारी चंदन कुमार पिकअप वाहन का बंदोबस्त कर शव को टिकनपाल गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था किया गया।

खैर ये कोई पहला मामला नही हैं, जब गरीब आदिवासी लाश को कांधे पर ढोते नजर आये हो। ऐसा नजारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आज भी देखा जा सकता हैं, जहां मरीजों को खाट के सहारे कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल तक पहुचाया जाता हैं। कई बार समय पर इलाज नही मिल पाने के कारण मौत और फिर लाश को कांधे में ढोते परिवार नजर आही जाते हैं। ये सारे नजारे कही ना कही बदहाल सिस्टम की हकीकत को बयां करते हैं, जिन्हे आज भी सुधारने की जरूरत हैं।

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