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हाईकोर्ट : प्रशिक्षण समन्वयक के खिलाफ जांच, निलंबन और वसूली आदेश पर हाईकोर्ट की रोक … सिकल सेल इंस्टीच्यूट से जुड़ा है मामला …

रायपुर 24 जून 2022। सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर में प्रशिक्षण समन्वयक के पद में कार्यरत आनंद देव ताम्रकर को हाई कोर्ट से तब राहत मिली जब उनके विभाग द्वारा अनाम शिकायत पर जांच का आदेश निकाला जाकर, श्री ताम्रकार को सेवा से निलंबन के आदेश के साथ – साथ उनपर एक करोड़ रूपये से ज्यादा कि वसूली के निर्देश दिए गए थेI अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अनादि शर्मा के माध्यम से दायर हुई रिट याचिका में माननीय हाईकोर्ट नें जांच, निलंबन और वसूली आदेश रोक लगाते हुए सचिव, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग एवं अन्य से जवाब तलब कियाI

मामला इस प्रकार है कि, सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर में आनंद देव ताम्रकर कि प्रशिक्षण समन्वयक के पद पर नियुक्ति वर्ष 2014 में हुई थीI वर्ष 2021 में राहुल मिश्रा के नाम से उक्त विभाग को शिकायत प्राप्त हुई जिसमें विभाग में हुई फर्जी भर्ती, सिकल सेल मरीजों के लिए टोपी और टी-शर्ट खरीदी में ढाई से तीन लाख रूपये कि वित्तीय अनियमितता जैसे आरोपों का ज़िक्र थाI उपरोक्त शिकायत की जांच, एक जांच समिति गठित करके करवाई गयी, जिसमें जांच समिति नें स्वयमेव वर्ष 2017 से वर्ष 2021 तक की सम्पूर्ण जांच करने का निर्णय ले लियाI वर्ष 2022 में जांच समिति नें अपने प्रतिवेदन में यह स्पष्ट करते हुए कि बीते वर्षों में सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर में कुल 1,15,89,611.00 रूपये (एक करोड़ पन्द्रह लाख नवासी हज़ार छेह सौ और ग्यारह रुपय) की अनियमितता का दावा किया थाI जांच प्रतिवेदन में आनंद देव ताम्रकार के साथ करीब 14 अधिकारीयों और कर्मचारियों का नाम उल्लेखित था, जिनमे सिर्फ कुछ लोगों के खिलाफ ही सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब माँगा गया थाI श्री तिवारी द्वारा जब अपने ही मामले से सम्बंधित दस्तावेजों की पत्र द्वारा मांग करी गयी ताकि वे अपना पक्ष पूर्णतया अपने विभाग के समक्ष प्रस्तुत कर सकें, श्री तिवारी के उस पत्र को ही उनका अंतिम जवाब मानते हुए डायरेक्टर जनरल, सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर द्वारा श्री तिवारी को निलंबित कर उनकी सेवा को चंदुलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, दुर्ग में अटेच कर दिया थाI आनंद देव ताम्रकर द्वारा सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर के द्वारा की गयी जांच, कारण बताओ नोटिस, वसूली और निलंबन आदेश से व्यथित होकर उन्होंने अपने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अनादि शर्मा द्वारा माननीय हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करी थी, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट के माननीय श्री जस्टिस आर.सी..एस. सामंत की एकल बेंच में हुईI


मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि, याचिकाकर्ता को बिना कोई सुनवाई का मौका दिए सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ वसूली एवं निलंबन का आदेश जारी किया गया है, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विपरीत हैI अधिवक्ताओं द्वारा यह तर्क भी दिया गया कि, प्रतिवादियों द्वारा गलत ढंग से जांच करने के आदेश जारी किये गए थे और जांच के दौरान अपने क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर जाँच/ कार्यवाही की गयी हैI श्री सिद्दीकी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि राहुल मिश्रा जिनके नाम से शिकायत राज्य सरकार और सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर द्वारा प्राप्त हुई थी, वह अनाम व्यक्ति नें राहुल मिश्रा के नाम का गलत इस्तेमाल करते हुए संदिघ्ध तौर पर करी थीI राहुल मिश्रा के द्वारा लिखे गए पत्रों और एफिडेविट माननीय न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत करा गया जिसमे श्री मिश्रा द्वारा बारंबार निवेदन किया गया था की उनके द्वारा कोई शिकायत नहीं करी गयी थी, और ऐसी किसी भी झूठी शिकायत जिनमे उनका नाम गलत रूप से इस्तेमाल किया गया है, उस पर कोई कार्यवाही नहीं करी जायेI

अधिवक्ताओं द्वारा तर्क दिया गया कि राहुल मिश्रा के बताये सच को नकारते हुए प्रतिवादियों द्वारा सारी कार्यवाही को अंजाम दिया गया हैI इसके अलावा केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा जारी परिपत्र जिसमे निर्देश हैं, कि अनाम/ उपनाम से लिखे गए किसी भी शिकायत पर मंत्रालय/ विभाग/ या अन्य संस्थाओं द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकेगीI छत्तीसगढ़ राज्य शासन और पुलिस प्रशासन द्वारा भी केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार निर्देश समय – समय पर जरी किये गए हैंI श्री सिद्दीकी द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि याचिकर्कर्ता प्रशिक्षण समन्वयक के पद पर कार्यरत थे और उनके पास उनके विभाग सम्बन्धी खरीदी का अधिकार नहीं है और याचिकाकर्ता के विरूद्ध की गयी पूरी कार्यवाही छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1966 के विपरीत हैI उपरोक्त तर्कों के आधार पर माननीय श्री जस्टिस आर.सी..एस. सामंत की एकल बेंच नें निलंबन के साथ – साथ जाँच और कारण बताओ नोटिस पर अगली तारीख तक रोक लगाते हुए सचिव, , स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग, अवर सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग, संचालक, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय, और महानिदेशक, सिकल सेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़, रायपुर द्वारा जवाब तलब कियाI

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