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ब्रेकिंग : प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) पर सूचना आयोग ने की अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा…. सुनवाई में पहली बार एक साथ हाजिर हुए 3 IFS

रायपुर 21 अगस्त 2022। वन मंत्री की अनुशंसा पर कार्यवाही नहीं करना विभाग में तो एक प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भारी नहीं पड़ा परंतु सूचना आयोग में जब मामला पहुंचा तो सूचना का अधिकार के प्रावधानों के तहत छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को डीम्ड जन सूचना अधिकारी मानते हुए उनके विरुद्ध शासन को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का आदेश जारी कर दिया।

क्या है मामला

अधिवक्ता व्यास मुनि द्विवेदी ने वन मंत्री को प्रमाण सहित एक शिकायत की थी कि वन विभाग के दो अधिकारी सोनू हाथी को बंधक बनाने वाले अधिकारियों को किस प्रकार बचा रहे है और दोषियों को बचाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की थी पत्र पर वन मंत्री ने कार्यवाही की अनुशंशा की थी। वन मंत्री की अनुशंशा वाला पत्र प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के कार्यालय में 30-7-2019 को पहुंचा।

व्यास मुनि ने सूचना का अधिकार के तहत जानना चाहा कि वन मंत्री को प्रेषित उनके पत्र पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के कार्यालय पहुंचने के पश्चात क्या कार्यवाही की गई।

जवाब में जन सूचना अधिकारी ने बताया कि वन मंत्री को प्रेषित पत्र पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

जन सूचना अधिकारी के जवाब से असंतुष्ट होने पर प्रथम अपील लगाई गई परंतु अक्टूबर 2019 अंत में प्रथम अपील में भी यही जवाब दिया गया कि वनमंत्री को प्रेषित पत्र पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इस पर आवेदक द्वारा सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील दायर की।

द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त ने वन मंत्री को प्रेषित पत्र पर की गई कार्यवाही के दस्तावेज आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए।

सूचना आयोग के समक्ष जब दस्तावेज प्रस्तुत किए गए तो आयोग ने पाया की तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने नोटशीट में दिनांक 17-9-2019 को लिखा कि आवेदक को सूचित किया जाना उचित होगा कि कार्यवाही अभी कार्यालय स्तर पर प्रक्रियाधीन है। आयोग ने विभागीय दस्तावेजों का अवलोकन करने पर पाया की आवेदन दिनांक तक अपीलआर्थी द्वारा वांछित जानकारी के संबंध में कोई कार्यवाही प्रारंभ ही नहीं हुई थी।

आयोग ने तख्त टिप्पणी करते हुए लिखा कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने बाबत दी गई जानकारी सही नहीं पाई गई। सूचना आयुक्त ने कहा कि जब प्रकरण में कार्यवाही ही नहीं प्रारंभ हुई थी तो कार्यवाही प्रक्रियाधीन कैसे हो सकती है, इस प्रकार दी गई जानकारी सही नहीं पाई गई। आयोग ने तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जिन्होंने नोटशीट में 17-9-2019 को दस्तखत किए थे, उन्हें डीम्ड जन सूचना अधिकारी मानते हुए उनके विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की रक्षा प्रमुख सचिव वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन को की है।

पहली बार तीन भारतीय वन सेवा के अधिकारी पहुचे थे आयोग

प्रकरण में अंतिम सुनवाई 8 जून 2022 को हुई थी। 17 साल के सूचना का अधिकार की कार्रवाईयों में छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हुआ था जब प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) कार्यालय में अलग-अलग समय में पदस्थ रहे तीन भारतीय वन सेवा के अधिकारी अपना पक्ष रखने के लिए पहुंचे थे। इसमें उस दिनांक को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वनप्राणी) के कार्यालय की जन सूचना अधिकारी रही शमा फारुकी, उनके पूर्व पदस्थ रहे श्रीनिवास तनेती और पंकज राजपूत उपस्थित थे।

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