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प्रमोशन पर स्टे को लेकर मत होईये कन्फ्यूज :…..याचिकाकर्ता के वकील ने स्पष्ट किया, किन प्रमोशन पर लगी है रोक…. पढ़िये ये पूरी खबर …

रायपुर 1 फरवरी 2022।.… तो क्या प्रमोशन पर अब पूरी तरह से ब्रेक लग जायेगा ?…. क्या प्रमोशन अब किसी भी शिक्षक का नहीं होगा ?… क्या हाईकोर्ट के कल के निर्देश से पूरी पदोन्नति प्रक्रिया प्रभावित होगी ?…हाईकोर्ट ने जब से E काडर की याचिका पर प्रमोशन पर स्टे दिया है, तभी से प्रमोशन का इंतजार कर रहे शिक्षकों में हड़कंप मचा है। सबसे ज्यादा परेशान सहायक शिक्षक हैं, हालांकि कल जब NW न्यूज ने सबसे पहले इस खबर को ब्रेक किया था, उसी वक्त ये स्पष्ट कर दिया गया था कि प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश से सिर्फ मीडिल स्कूल के हेडमास्टर और व्याख्याता पद होने वाली पदोन्नति ही प्रभावित होगी, शेष प्रमोशन की प्रक्रिया यथावत होती रहेगी। बावजूद कई शिक्षकों के मन में आशंका बैठ गयी थी, कि शिक्षकों का हर तरह का प्रमोशन इसकी जद में ना आ जाये। हालांकि ये बात अलग है कि कई अन्य याचिका भी प्रमोशन को लेकर अभी लगी है, जिस पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है।

शिक्षकों की आशंकाओं के बीच NW न्यूज ने जब E काडर शिक्षकों की कोर्ट में पैरवी कर रहे वकील प्रफुल्ल भारत से बात की, तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश से सिर्फ

“मिडिल स्कूल के हेडमास्टर और व्याख्यता पद पर होने वाला प्रमोशन पर ही स्टे होगा, बाकी पदों को लेकर हाईकोर्ट ने कुछ भी निर्देश नहीं दिया है”

यहां ये स्पष्ट हो जाना चाहिये कि छत्तीसगढ में सहायक शिक्षकों को लेकर प्रमोशन की जो प्रक्रिया चल रही है, वो चलती रहेगी। ना तो प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर की पदोन्नति पर रोका है, ना ही शिक्षक और ना ही टी संवर्ग की पदोन्नति पर रोक है। मतलब साफ है कि ज्यादातर पदों पर प्रमोशन होगी, हाईकोर्ट का उस पर कोई भी स्टे नहीं है।

पढ़िये क्या थी याचिका, किस पर लगी है रोक 

2010 में नियुक्त E काडर शिक्षकों की तरफ से हाईकोर्ट में प्रमोशन के प्रावधान को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गयी थी। आज इस मामले में चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच में सुनवाई हुई, जिसके बाद डबल बैंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए हेडमास्टर मीडिल स्कूल और लेक्चरर के पद पर प्रमोशन की प्रक्रिया पर स्टे लगाने का आदेश दिया।

दरअसल प्रदेश में शिक्षाकर्मियों के लिए साल 2010 में विभागीय प्रावधान लागू किया गया था, किया वो सीमित परीक्षा देकर मीडिल स्कूल हेडमास्टर बन सकते हैं। विभागीय परीक्षा देकर कई शिक्षाकर्मी हेडमास्टर बन गये, जिन्हें “E काडर” शिक्षक कहा गया, बाकी शिक्षक शिक्षाकर्मी बने रहे। बाद में साल 2018 में राज्य सरकार ने एक नीतिगत निर्णय लेते हुए शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया, जिन्हें “LB शिक्षक” कहा गया।

अधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने बताया कि मौजूदा प्रमोशन प्रक्रिया में राज्य सरकार ने नोटिफाई किया है कि “E काडर” और “LB काडर” से 50-50 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरे जायेंगे। चूंकि “E कैडर वालों की पोस्टिंग 2010 में हुई थी, जबकि “LB कैडर” 2010 में शिक्षा विभाग में आये और विभाग के नियम के मुताबिक प्रमोशन हर 5 साल में होना है, लिहाजा ई काडर के शिक्षकों ने दो ग्राउंड पर इसे चैलेंज किया था।

पहला ग्राउंड – दोनों शिक्षकों का सोर्स ऑफ रिक्रूटमेंट से आये हैं है, इसलिए अलग-अलग काडर नहीं कर सकते। इस आधार पर 50-50 प्रतिशत का बंटवारा नहीं हो सकता। 

दूसरा ग्राउंड- चूंकि शिक्षाकर्मी से ये शिक्षक 2018 में बने हैं, उस आधार पर 5 साल में प्रमोशन के बजाय 3 साल में प्रमोशन का फैसला नहीं लिया जा सकता। 

इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मिडिल स्कूल के हेडमास्टर और व्याख्याता के प्रमोशन की प्रक्रिया पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है, वहीं राज्य सरकार से इस मामले में 3 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद मीडिल स्कूल हेडमास्टर और लेक्चरर में होने वाली प्रमोशन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गयी है।

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