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IAS न्यूज : कांफ्रेंस से 5 दिन पहले दो कलेक्टरों के विकेट डाउन….भेंट मुलाकात में बने हालात से गयी बालोद कलेक्टर की कुर्सी, भाजपा प्रेम में रितेश निपटे… सरकार ने कांफ्रेंस में बुलाने के बजाय विदा करना बेहतर समझा…

रायपुर 3 सितंबर 2022। कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस के ठीक 5 दिन पहले दो कलेक्टर और एक एसपी की राज्य सरकार ने छुट्टी कर दी। कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस के ठीक पहले ऐसा होता तो नहीं, लेकिन इस बार कांफ्रेंस के पहले राज्य सरकार के तेवर बता रहे हैं कि कलेक्टर -एसपी कांफ्रेंस के बाद भी बहुत कुछ होने वाला है। आज एसपी-कलेक्टर की लिस्ट ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मैसेज को साफ कर दिया है।

महज तीन महीने में बालोद कलेक्टर की छुट्टी ने हर किसी को सरप्राइज किया है, हालांकि जिस तरह की शिकायतें मिली थी, उसके बाद उन्हें तो हिट विकेट होना तय माना जा रहा था। बालोद कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने जून में ही बालोद ज्वाइन किया था, लिहाजा तीन महीने में ही राज्य सरकार ने उनकी कलेक्टरी छिन ली। हालांकि इससे पहले जब वो मुंगेली-सूरजपुर कलेक्टर थे, तो भी उन पर राज्य सरकार की नजरें टेढ़ी थी, लेकिन बाद में किसी तरह से स्थिति संभल गयी। लेकिन, मुंगेली-सूरजपुर में बाल-बाल बचे गौरव बालोद में अपना विकेट नहीं बचा सके। भेंट मुलाकात में जिस तरह से घटनाक्रम हुआ और रोड-शो में जिस तरह की स्थिति बनी, उसके बाद ही गौरव सिंह पर खतरा मंडराया हुआ था। भेंट मुलाकात के दौरान ही गौरव सिंह को लेकर जिस तरह की शिकायतें मुख्यमंत्री ने देखी और सुनी, उसके बाद ही उन्हें हटाने की पटकथा लिख गयी थी, लिहाजा सरकार ने कलेक्टर कांफ्रेंस में उन्हें बुलाने की औपचारिकता निभाने के बजाय कांफ्रेंस से पहले ही विदाई देना उचित समझा।

जशपुर कलेक्टर रितेश अग्रवाल एक तो लंबा वक्त जशपुर में बिता चुके थे, दूसरी बात ये कि उनके खिलाफ शिकायतों का अंबार था। खाने-पीने से लेकर बात व्यवहार तक को लेकर लंबी शिकायत सीएम हाउस आयी थी। पिछले दिनों जशपुर के एक विधायक ने मनरेगा में काम को लेकर सीएम हाउस में साक्ष्य के साथ शिकायत की थी। कहा ये जा रहा था कि कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने भाजपा से जुड़े लोगों को करोड़ों का काम दिया था, जबकि कांग्रेस से जुड़े लोगों को बमुश्किल कुछ लाख का ही काम मिला था। स्थानीय विधायकों और कांग्रेस नेताओं के साथ भी जशपुर कलेक्टर का कुछ अच्छा बन नहीं रहा था। लिहाजा कलेक्टर कांफ्रेंस के पहले रितेश अग्रवाल की भी विदाई हो गयी।

जहां कोरिया कलेक्टर कुलदीप शर्मा का सवाल है तो उन्हे 9 महीने के भीतर बालोद जैसा जिला मिल गया है। नया जिला बनने के बाद सिर्फ दो ब्लाक का ही कोरिया अब जिला बच गया है, लिहाजा कुलदीप जैसे काबिल अफसरों के लिए वहां कुछ ज्यादा बच नहीं गया था। ऐसे में बालोद जिला बहुत बड़ा तो नहीं है, लेकिन डीएमएफ के लिहाज से बालोद काफी स्ट्रोंग हैं।

लिस्ट में खास बात ये है कि 2016 बैच की कलेक्टरी अब शुरू हो गयी है। रायपुर जिला पंचायत सीईओ रवि मित्तल जशपुर के कलेक्टर बने हैं, उस लिहाज से चुनाव के पहले कलेक्टरी में 2017 बैच से आईएएस का नंबर लगना तय है। रायपुर जिला पंचायत सीईओ का पद एक बार फिर लकी बना है, जहां से सिर्फ 4 महीने में ही रवि मित्तल कलेक्टरी के लिए जा रहे हैं।

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