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IPS Nalin Prabhat: IPS नलिन प्रभात बने NSG चीफ, 1992 बैच के ये अफसर छत्तीसगढ़ में भी रह चुके हैं पोस्टेड, जुड़ा था बड़ा विवाद

IPS Nalin Prabhat : 1992 बैच के IPS नलिन प्रभात को NSG का नया चीफ बनाया गया है। आंध्र प्रदेश कैडर के IPS नलिन प्रभात छत्तीसगढ़ में भी पोस्टेड रहे हैं। ये उस वक्त की बात है, जब बस्तर के ताड़मेटला में 76 जवान शहीद हुए थे। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी नलिन प्रभात को देश की आतंकवाद निरोधक इकाई राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का प्रमुख नियुक्त किया गया है।कार्मिक मंत्रालय के एक आदेश में यह जानकारी दी गई। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने 31 अगस्त 2028 यानी उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख तक की अवधि के लिए एनएसजी के महानिदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।

एनएसजी को ‘‘ब्लैक कैट्स’’ के नाम से भी जाना जाता है और इसकी स्थापना 1984 में की गई थी। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के प्रमुख दलजीत सिंह चौधरी एनएसजी का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे।एसीसी ने खुफिया ब्यूरो (आईबी) में विशेष निदेशक के पद पर सपना तिवारी की नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है। ओडिशा काडर के 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी तिवारी वर्तमान में आईबी में अतिरिक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। आदेश में कहा गया है कि उनका कार्यकाल दो वर्ष का होगा।

ताड़मेटला कांड के वक्त थे CRPF के DIG

2010 के ताड़मेटला कांड के वक्त नलिन प्रभात उस वक्त छत्तीसगढ़ में CRPF के DIG थे।उस समय नलिन प्रभात को ताड़मेटला कांड में जिम्मेदार मानकर इन्क्वायरी भी की गई थी। 2010 के ताड़मेटला कांड के वक्त जहां नलिन प्रभात CRPF के DIG थे, तो वहीं 2021 में जब बस्तर में 23 जवान शहीद हुए थे, तो उस समय नलिन प्रभात CRPF में IG थे। उनको राष्ट्रपति का वीरता पदक भी मिल चुका है। यह अवॉर्ड जम्मू कश्मीर में 2008 के दौरान एक मुठभेड़ में चार आतंकियों को गिराने के लिए दिया गया था।

76 CRPF जवान हुए थे शहीद

6 अप्रैल 2010 को दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में नक्सलियों ने CRPF के जवानों को ऐसे ही घेरकर मारा था। चिंतलनार कैंप के 150 जवानों को DIG नलिन प्रभात ने ही आदेश देकर 72 घंटे के एरिया सैनिटाइजेशन के लिए निकलने कहा था। जब तीसरे दिन यह टुकड़ी वापस लौट रही थी, तो रास्ते में एंबुश लगाकर बैठे नक्सलियों ने पहले विस्फोट से एक पुलिया उड़ाई और फिर ताबड़तोड़ फायरिंग कर 76 जवानों को मौत के घाट उतार दिया।

कोर्ट ऑफ इनक्वायरी भी हुई थी

इस मामले की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के साथ गृह मंत्रालय की राममोहन कमेटी ने भी जांच की। जांच में CRPF के तत्कालीन IG रमेश चंद्रा, DIG नलिन प्रभात, 62 बटालियन के कमांडर एके बिष्ट और इंस्पेक्टर संजीव बांगड़े दोषी पाए गए। इन पर पर्याप्त सुरक्षा के बिना फोर्स को एरिया सैनिटाइजेशन के लिए भेजने, क्षेत्र के जानकार कमांडेंट और डिप्टी कमांडेंट को साथ नहीं भेजने जैसे आरोप लगे। इन चारों अधिकारियों का तबादला कर दिया गया।

ताड़मेटला कांड के बाद नलिन प्रभात ने कहा था, कि उन्होंने IG को जानकारी देकर जवानों को भेजा था। यह भी कहा था कि जो डिप्टी कमांडेंट फोर्स के साथ गया था, वह करीब 6 महीने तक बटालियन में रहकर आया था। उसे लोकल रूट और स्थानीय नक्शे की जानकारी थी, लेकिन वह अपना काम नहीं कर सका।

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