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…ये तो गजब हो गया : जिस DMC पर सबसे गंभीर आरोप, उसका निलंबन कर दिया रद्द…..जिसने मामला किया उजागर वो अब भी भटक रहा है दर-दर…..शिक्षक संजय के निलंबन पर आक्रोश गहराया

रायपुर 19 नवंबर 2021। ।.…कानून तो यही कहता है सौ गुनाहगार बच जाये, पर एक बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिये….लेकिन जशपुर में तो कानून उलटा ही चलता है। जो सबसे बड़ा गुनाहगार था उसे फिर से नौकरी मिल गयी…और जिसका प्रकरण से दूर-दूर तक वास्ता नहीं था…जिसने आश्रम में चल रहे गंदे खेल को उजागर किया…वो आज भी दर-दर भटक रहा है। अजीबो-गरीब मामला दिव्यांग आवासीय केंद्र का है। छात्राओं से अश्लील हरकत के मामले में DMC और सहायक शिक्षक संजय राम को भी सस्पेंड किया गया था। घटना के लिए मूलरूप से जिम्मेदारी DMC और महिला अधीक्षिका की थी, लेकिन इस मामले में संजय राम को भी बलि का बकरा बनाया गया।  कमाल की बात ये है कि सरगुजा कमिश्नर ने इस प्रकरण में DMC को तो अभयदान मिल गया, लेकिन सहायक शिक्षक संजय राम अभी भी इस मामले में निलंबित ही है।

शासकीय बुनियादी बालक प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक संजय राम को सिर्फ आश्रम छात्रावास के बच्चों के लिए खाने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी थी, जबकि DMC को छात्रावास की देखरेख, नियमित निरीक्षण और सुविधाओं का ख्याल रखने का जिम्मा था। वहीं, आश्रम की अधीक्षिका पर छात्रावास में ही रहकर बच्चियों का ख्याल रखना चाहिये थे। संजय राम को हर दिन बच्चियों को खाने-पाने का इंतजाम करता रहा, लेकिन ना तो डीएमसी और ना ही अधीक्षिका ने अपनी ड्यूटी पूरी की। इसी बीच जब अश्लील हरकत का मामला सामने आया, तो शिक्षक संजय राम पर भी गाज गिरा दी।

इस पूरे प्रकरण में अपनी बेगुनाही का सबूत पेश करते-करते संजय राम कलेक्टर से लेकर कमिश्नर तक के चौखट पर दौड़ लगा चुका है, लेकिन उसकी सुनवाई कहीं नहीं हुई, जबकि जले पर नमक छिड़कते हुए सरगुजा कमिश्नर ने DMC को ना सिर्फ बहाल कर दिया, बल्कि उसे उसी पद पर भी बिठा दिया। इस मामले में सर्व शिक्षक संघ की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने भी काफी पहल की थी। विवेक दुबे ने इस मामले में अधिकारियों सहित कई जनप्रतिनिधि से भी मुलाकात की और ज्ञापन के जरिये संजय राम के साथ हो रहे अन्याय को रोकने की मांग की थी, लेकिन अभी तक संजय राम का निलंबन रद्द नहीं किया गया है।

संजय राम को जब इस प्रकरण में सस्पेंड किया गया था, उसने साफ तौर कहा था कि उसे पहले ही कई तरह की जिम्मेदारियां दे रखी गयी है, लिहाजा वो दिव्यांग आश्रम की जिम्मेदारी हटाने को लेकर कई दफा अधिकारियों को लिख चुका था। उसने ये भी बताया था कि उसे साइन लैंग्वेंज नहीं आती, लिहाजा दिव्यांग बच्चियों की बातें उसे समझ नहीं आती, बावजूद उसे ड्यूटी पर बनाये रखा गया और जब प्रकरण सामने आया तो उसे सस्पेंड कर दिया गया।

इस पूरे प्रकरण को लेकर सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है। उन्होंने कहा है कि

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस अधिकारी की पूरी जिम्मेदारी थी मामले को लेकर और जिनके निरीक्षण में पहले ही यह सब बातें सामने आ जानी थी उनके अभ्यावेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें बहाल कर दिया गया है जबकि इस मामले में निर्दोष सहायक शिक्षक संजय राम जिन्होंने कलेक्टर और कमिश्नर दोनों को अपना अभ्यावेदन सौंपा है और जिसकी इस पूरे मामले में कहीं पर भी सहभागिता नहीं थी और जिसकी जिम्मेदारी केवल भोजन व्यवस्था की थी उसके प्रकरण में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है । इस मामले को लेकर अब हम मुख्यमंत्री कार्यालय का रुख करेंगे ताकि निर्दोष संजय राम को न्याय मिल सके

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