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करवा चौथ व्रत आज, जानें कब निकलेगा चांद…शाम को इतने बजे से शुरू करें पूजन, जानें पूजा- विधि….

रायपुर 13 अक्टूबर 2022 : करवाचौथ का व्रत 13 अक्तूबर यानी गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय ने बताया कि कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को चंद्रोदय ब्यापिनी में यह व्रत किया जाता है। इस वर्ष गुरुवार का दिन कृत्तिका नक्षत्र रात्रि तक रहेगा। सिद्धि योग पश्चात् व्यतिपात योग मिल रहा है। गुरुवार चतुर्थी तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस बार चंद्रोदय रात 7:55 बजे होगा। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है। करवा चौथ व्रत के दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।

सुहागिन महिलाएं रात के समय भगवान शिव, चंद्रमा, कार्तिकेय आदि के चित्रों व सुहाग की वस्तुओं की पूजा करती हैं। सबसे ऊपर चंद्रमा, उसके नीचे शिव, फिर कार्तिकेय के चित्र दीवार पर बनाकर उनका पूजन करना चाहिए। ॐ चं चन्द्रमसे नमः , ॐ शिवाय नमः के अलावा विशेष मंत्र ॐ षडमुखाय विद्महे मयूर वाहनाय धीमहि तन्नो कार्तिक प्रचोदयात से पूजन करना चाहिए।

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य व सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखती हैं। यह व्रत निर्जल रखा जाता है। शाम को चन्द्रदर्शन के उपरान्त शिव, माता पार्वती की विधिवत पूजन-अर्चन के बाद पति को छलनी से देखकर करवा से जलग्रहण करने की पंरपरा है। इसके बाद ही सुहागिन महिलाएं अन्न ग्रहण करती हैं। इस बार शाम छह बजे से सात बजकर 10 मिनट तक पूजा का अच्छा मुहूर्त बताया जा रहा है। चंद्रोदय सवा आठ बजे के करीब होगा।

करवा चौथ पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद मंदिर की साफ- सफाई कर ज्योत जलाएं।
देवी- देवताओं की पूजा- अर्चना करें।
निर्जला व्रत का संकल्प लें।
इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा- अर्चना की जाती है।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है।
चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें।
इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है।

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