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राजपथ नहीं…. कहिए ‘कर्तव्य पथ…जानिए इसकी खासियत…


नई दिल्ली 8 सितंबर 2022 आजादी से पहले इस रास्ते पर सिर्फ ‘राजा’ या बड़े अधिकारी ही आते जाते थे. हाल ही में प्रधानमंत्री के औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने की बात को बढ़ावा देते हुए शहरी विकास मंत्रालय और कल्चर मिनिस्ट्री ने एक कदम आगे बढ़ते हुए इसका नाम कर्तव्यपथ करने का प्रस्ताव कर दिया
शुक्रवार से आम लोगों के लिए खुलने वाले कर्तव्य पथ के दोनों ओर लाल ग्रेनाइट से 15.5 किमी लंबे वॉकवे का निर्माण किया गया है. कर्तव्य पथ के 19 एकड़ नहर क्षेत्र पर 16 पुल बनाए गए हैं. साथ ही लोगों की सुविधा के लिए बैठने के साथ ही फूड स्टॉल की भी व्यवस्था की गई है.

3.90 लाख वर्ग मीटर में फैले इस हरित क्षेत्र में पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास के साथ ही आधुनिक लाइट्स लगाई गई है, ताकि शाम के समय में भी कर्तव्य पथ की भव्यता दिखाई दे. इससे एक दिन पहले ही नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NDMC) ने राजपथ के नाम को बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है.
तीन बार बदला जा चुका है नाम
102 साल में इतिहास में इस मार्ग का नाम तीन बार बदला गया है. ब्रिटिश राज में निर्मित इस मार्ग का पहला नाम किंग्सवे (Kingsway) था. जिसे आजादी के बाद बदलकर ‘राजपथ’ कर दिया गया था. राजपथ वही मार्ग है, जहां पर 26 जनवरी की परेड निकलती है. अब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा 28 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे. ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस प्रतिमा का वजन करीब 65 मीट्रिक टन है. इससे पहले 23 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था. ग्रेनाइट यह है. इसे प्रतिमा को मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है.


Central vista को केंद्र सरकार ने 2019 में प्रस्तावित और शुरू किया था. इस परियोजना में 10 बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ एक नई संसद, प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास का निर्माण एवं सभी सरकारी मंत्रालयों और विभागों को समायोजित करने की योजना है. सेन्ट्रल विस्टा की इस परियोजना में 3.2 किलोमीटर के हिस्से का पुनर्विकास करना शामिल है. जिसके तहत कई सरकारी भवनों को ध्वस्त करना और उनका पुनर्निर्माण करना भी है. इस प्रोजेक्ट का कुल अनुमानित खर्च 20,000 करोड़ रुपये हैं. नए संसद भवन के निर्माण पर करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. साल 2024 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का अनुमान है.


यह होंगी सुविधाएं
कर्तव्य पथ सुविधाओं से लैस है, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लान, हरे-भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, नई सुख-सुविधाओं वाले ब्लाक और बिक्री स्टाल होंगे।
इसके साथ ही पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए प्रदर्शनी पैनल और रात्रि में जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को बेहतर अनुभव होगा।
इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का इस्तेमाल, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी दीर्घकालिक सुविधाएं शामिल हैं।

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